Moral Stories in Hindi : माँ ममता की मुरत है तो सासु माँ जीवन की सुरत हैl
हैलो मां कैसे हो आप ? में ठीक हूं। तुम कैसे हो ? बेटा ! मां में भी ठीक हूं।
भैया भाभी सुबह ही निकल गए । शाम तक उन लोग भी घर पोहच जाएंगे । फिर तुम्हे और आराम मिल जायगा । फिर कमला मौसी को।घर भेज देना बहोत सेवा की उसने आपकी जब भाभी और भैया यहां आयेथे तब ,
मेरे तरफ से धन्यवाद बोल देना मौसी को ।
यहां पे सब मेहमान चले गए । बस इनकी मौसी और उनकी बेटी है ।उन लोग भी कल की फ्लाइट से जायेगे ।
और उन लोग भी अभी कहीं नजदीक कही सब बाहर घूमने गए ।
मां आपको सब याद कर रहे थे ।सब पूछ रहे थे ।की ममी कैसे नही आ पाई? नाती की जो शादी थी ?
हा बेटा ! मेरा मन तो वही लगा था । ना में हडबड करती ना में गिरती ।
और ना पैर की हड्डी टूटती। अब दो महीने चलना फिरना बंद । बहु ने फोन पर फोटो विडियो सब भेज दिए ।
बहुत सुंदर शादी हुई बेटा ।सबका खयाल रखा तुमने ।
हा मां ! लेकिन मां तुम आती तो ? खुशी और दुगनी हो जाती । हा बेटा …
अच्छा हुआ कमला मौसी नी मदत्त की । तो तुम्हारे यहां बहु भी शादी में जा पाई।नही तो उसका जाना मुश्किल ही था । मेरे को अकेले छोड़कर जाना ?
हा मां भाभी बहुत अच्छी ही ।तुम्हार बहुत खयाल रखती है । तुमने भाभी को अपने जैसे बनाया है।
मुझे मां की कमी महसूस नही होने दी ।
और मां तुम्ही भी तो बहु को बहुत प्यार करती हु।
मां एक बात बोलनी थीं। हा बोल मां मुझे माफ करना ?
किस बात की माफी ? कुछ नही मां ।
बाद में बात करूंगी ।अब रखती हु फोन कह कर नेहा ने ,अपनी रूम में चले गई।
चार पांच दिन से नेहा को फुरसत नहीं थी उसके बेटे की जो शादी थी ।
मेहमानों से भरा घर आज खाली खाली लग रहा था ।
बेटा संजय और बहु शालिनी दोनो ही हनीमून के गए ।
और तभी उसको अपनी गलती पर पछतावा हो रहा । इसलिए वो अपनी ममी को। बार बार याद कर रही थी । और सात आठ साल पीछे में चली गई ….
भैया की जब शादी तब में मां से मेरा झगड़ा हुआ था ।ना ठीक से बात कर रहती और ना कुछ काम में मद्दत कर रही थी । मुंह फुलाकर बैठिथी।।
पूरे शादी में सब का एक ही सवाल था ?क्या हुआ नेहा ससुराल में सब कुछ ठीक ही ना ? तबेत तो ठीक ही ना ?
तो हा कर सबको जवाब दे रहती।
मन ही में मां पर गुस्सा हो रही थी ।
और मां को पत्ता था की में नाराज हु । मां ने कितने बार कोशिश किई मेरे से बात करने की लेकिन मेरा मूड ही खराब था ।
क्या करु? बचपन से में , लाड प्यार से पली हूं। मेरे बगैर कुछ काम नही होता ।
पूरे खानदान में जो इकलौती बेटी थी । शायद इस लाड प्यार की आदि हो गई थी ।
घर का रंग हो या पड़दे मेरी चॉइस ।ससुराल जाने बाद भी मेरा इंतजार रहे था की जब नेहा आएगी तब पसंद करेगी ।
लेकिन जब से भैया की शादी तय हो गई कुछ घर का माहोल बदलसा गया । पत्ता नही कुछ मेरे मन को ऐसा लग रहा था ।
जब में भैया के शादी में ससुराल से मायेके आई तो ऐसा लग रहा था मानो अब में पराई ही गई ।
मां को तो फुरसत नहीं । नई बहु से ,बस उसी का खयाल ।और उसिका ध्यान। नई बहु को कुछ भी कम नहीं पड़ना चाहिए । मां व्यस्त थी ।
और अचानक मां ने मेरे हाथ में कुछ कपड़े और गहने दिए ।ये सब रिशेदारो ने दिए ।और मैने फट से अपना हाथ बाजू कर दिया ।
मां ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया ।बेटा नाराज मत होना ।
कुछ दिन से मुझे समय नहीं मिल रहा था ।इसका मतलब कदापि यह नहीं की तुम्हारा ध्यान नहीं दे पारी हु ।
नई बहु घर आई ।वो भी तो अपना घर अपने लोग छोड़कर नए घर में आई है ।हमारे विश्वास के साथ तो आई है।
नई बहु नए घर में अपनोको खोज रही है ।और में एक मां हु अपनी नई बेटी का ध्यान रख रही हु । किसी भी चीज की कमी ना हो ।
में मां जगहा नई ले सकती लेकिन अपनी बेटी की जगह जरूर दे सकती हु ।
इसलिए ये आंगन तुम दोनो का बराबर है। दोनो के साथ कभी भी पक्षपात नहीं हो ।
अपने बेटे के शादी में नेहा को आज समझ में आराहा है।
की जब नई बहु घर में आती है तो सास नही मां बनकर रहें ना पड़ता है ।
माफ करना मां!में गलत थी आपकी ममता को समझ नही पाई।
मां मुझे आपके जैसा ही बना हे,मुझे सास नही मां बनकर रहें ना हे।और बहु को बहु नही बेटी बनाकर रखना हे।
सास और मां बस शब्दों का ही अंतर है। ममता दोनो में भी बराबर ही रहती है ।
तृप्ति देव
धन्यवाद .
#ममता