मकसद क्या है इन मतलबी रिश्तों का..? – रोनिता कुंडू : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : मम्मी जी, कल पापा जी की रिपोर्ट आने है, इनको तो छुट्टी नहीं मिलेगी तो मैं ही जाकर ले आऊंगी… राधा ने अपनी सास कावेरी जी से कहा..

हां हां तुम जाकर ले आना… कावेरी जी ने कहा…

राधा:   पर मम्मी जी… वह काफी दूर है, इसलिए मुझे थोड़ा समय लग जाएगा और सोच रही थी कि लौटते वक्त रसोई के कुछ सामान भी लेती आंऊ.. तो ऐसे में मुन्ने को मैं अपने साथ नहीं ले जा सकती…

कावेरी जी:  अरे तू मुन्ने की चिंता मत कर.. मैं उसे संभाल लूंगी… तू जाकर आराम से काम करके वापस आ…

उसके कुछ दिन बाद, एक दिन राधा कहती है… मम्मी जी, आज मेरी एक सहेली की शादी पर जाना है, तो वहां काफी भीड़ होगी तो मुन्ना भी परेशान हो जाएगा, क्योंकि इन सब के लिए वह काफी छोटा है…

कावेरी जी:   कहीं तू मुन्ने को मेरे भरोसे में तो छोड़ कर जाने की बारे में तो नहीं सोच रही है ना..? देखो बहू, मेरी भी उम्र हो गई हैं, इतना तो अब मुझसे नहीं होता… 8:00 बजे खाकर मुझे 9:00 तक सोना होता है… ऐसे में मैं मुन्ने को लेकर बैठी रहूं… शादी का घर है पता नहीं कितनी देर हो जाएगी…. ना ना तु मुन्ने को साथ लेकर जा और वैसे भी हम औरतों को अपने बच्चों के साथ ही हर जगह जाना सीखना होता है… 

फिर राधा मुनेने को लेकर ही शादी में चली जाती है, पर इतना शोर शराबा सुन मुन्ना काफी रोना शुरू कर देता है. जिससे राधा बिना कुछ खाए ही शादी से चली आती है, क्योंकि मुन्ना अपने पापा के पास जाकर भी संभल नहीं रहा था… 

फिर दो दिन बाद,

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कावेरी जी:  बहू कल तुम्हारे पापा जी का रुटीन चेकअप है.. डॉक्टर का अपॉइंटमेंट ले लेना और हो सके तो तुम ही चली जाना, मुझसे अस्पताल में इतनी देर बैठा नहीं जाता… 

राधा:   पर मम्मी जी, मुन्ना..?

कावेरी जी:   अरे उसकी दादी है ना उसके लिए, यह कहते हुए कावेरी जी मुन्ने को खिलाती हुई अपने कमरे में चली जाती है…

अगले दिन राधा कावेरी जी से कहती है… मम्मी जी..! मुझे दीदी के लिए कुछ शॉपिंग करना है, तो आप क्या 1 घंटे के लिए मुन्ने को संभाल लेगी..?

कावेरी जी:  1 घंटा..? तुझे अपने बच्चों को छोड़कर घूमने में मजा आता है क्या.? जब देखो इसे छोड़कर जाने की बात करती हो..? क्या मेरे भरोसे इसको पैदा किया था..? और आजकल कौन मार्केट में जाकर शॉपिंग करता है..? वैसे तो हर दिन ऑनलाइन शॉपिंग करती हो… आज क्या हो गया..? और आज मेरी तबीयत भी खराब है…

राधा:  मम्मी जी, दीदी कह रही थी जो उन्हें चाहिए, यहां हमारे शहर के मार्केट में अच्छी मिलती है… इसलिए..? 

कावेरी जी:   इसलिए बच्चे को छोड़ निकल पड़ी हमारी बहू… कह दो अपनी दीदी से, की या तो ऑनलाइन मंगवा ले या फिर कभी यहां आए तो खुद खरीद ले…

राधा:   ठीक है मम्मी जी… मैं अभी फोन कर कर देती हूं उन्हें, उसके बाद राधा फोन पर हेलो पम्मी दीदी… वह क्या है ना मैं मार्केट नहीं जा सकती… वह मम्मी जी..?

क्या..? पम्मी है..? कह उससे तू जाएगी मार्केट… कावेरी जी ने बीच में ही राधा को टोकते हुए कहा…

राधा फिर फोन रख कर कहती है… क्या हुआ मम्मी जी..? अचानक से…

कावेरी जी:  पम्मी है, पहले बताना था ना..? मुझे लगा तेरी दीदी स्वेता है…

राधा:   क्या मतलब मम्मी जी..? मैं देखती हूं कि जब आपका काम होता है, तब आप एक पल में मुन्ने को संभालने को तैयार हो जाती है… पर जब मैं अपने लिए आपसे मुन्नी को संभालने को कहूं तो, आप सीधा मना कर देती है… बड़ा ही मतलबी रिश्ता निभा रही है आप… मैंने कभी आप में और मेरी मां में फर्क नहीं किया, क्योंकि मेरी लिए दोनों ही मेरा परिवार है… शादी के बाद सभी कहते हैं के बेटा बदल गया, बहू के आने से… पर कभी भी कोई यह नहीं देख पाता कि अगर बहू को मतलब के लिए इस्तेमाल करेंगे, तो वह भी बस मतलब के ही रिश्ते बनाएगी… कोई भी लड़की अपने ससुराल अपनी गृहस्ती बसाने के मतलब से आती है और ना कि सिर्फ मतलब के रिश्ते निभाने… पर हालात उसे मतलबी बना देता हैं… फिर दूर-दूर उसकी वही ख्याति फैल जाती है… आखिर क्या मकसद है इन मतलबी रिश्तो का..?

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  कावेरी जी को राधा की बात समझ आ रही थी और वह अपनी नज़रें झुकाए खड़ी थी…

राधा:   ठीक है मम्मी जी… मैं जा रही हूं मार्केट दीदी का सामान लाने…

कावेरी जी:  सुन बहू… वहां से पार्लर भी होकर आना… काफी दिनों से तू जाने का सोच रही थी ना, पर मैं ही मुन्ने को रखने से कतराती थी… अब जा, थोड़ा खुद पर भी ध्यान दे…. मेरा क्या है….? सास हूं, किच-किच करने की फितरत तो रहेगी ही… पर तू इसे एक कान से डाल दूसरे से निकाल देना…

कावेरी जी के इस बात से राधा हंस पड़ती है और उन्हें गले लगा लेती है…

धन्यवाद 

#मतलबी रिश्ते 

मौलिक/स्वरचित/प्रकाशित

रोनिता कुंडू

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