मजाक – बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

“अब देखती हूं बुड्ढा कैसे बुढ़िया के साथ जाता है?”कैसे मम्मी का हाथ अपने हाथ में लेकर सच्चे प्रेमी का नाटक करते हुए कहते थे शकुंतला यदि तुम्हें कुछ हो गया तो मैं तुम्हारे बगैर जी नहीं पाऊंगा..… तुम्हारे साथ ही मेरी अर्थी निकलेगी….. ऐसे कोई अपनी पत्नी के साथ नहीं जाता… मैं अभी ससुरजी को सास के मरने की खबर देकर आती हूं” रेखा ने अपनी देवरानी अनीता से कहा तो अनीता  बोली “आप ठीक कह रही हो दीदी ससुर जी को कुछ नहीं होगा कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है….

बड़े आए सच्चे प्यार करने वाले ..….चलो अब पापा जी को मम्मी के जाने का समाचार तो सुना दो।”अनीता की बात सुनकर रेखा अपने ससुर दुष्यंत के कमरे की तरफ चल दी थी दुष्यंत अपनी पत्नी की फोटो को लेकर बड़े प्यार से निहार रहे थे कुछ समय पहले दिल का दौरा पड़ने  के कारण  उनकी पत्नी शकुंतला अस्पताल में दाखिल थी वे शकुंतला से अथाह प्रेम करते थे जीवन की ढलती सांझ में जब वे अपने कर्तव्यों से मुक्त हुए तो वह अपना सारा समय शकुंतला को देने लगे थे कभी वे शकुंतला के साथ पार्क में घूमने जाते

तो कभी अपने आंगन में लगे झूले पर बैठकर शकुंतला का हाथ अपने हाथ में लेकर उससे घंटो बतियाते अपनी पूरी जवानी तो उन्होंने अपने दोनों बेटों राजीव और अंकित का भविष्य बनाने में ही गुजार दी थी दोनों बेटों की शादी के बाद जब वह नौकरी से रिटायर हुए तो उन्होंने मन ही मन ठान लिया था कि अब जीवन का बचा हुआ समय अपनी पत्नी को देंगे परंतु, दुर्भाग्य से उनकी दोनों बहुएं ऐसी आ गई थी जो बुढ़ापे में पति-पत्नी को एक साथ बैठे देखकर उन्हें लैला मजनू कहकर उनका मजाक उड़ाने लग जाती थी।

    तब उनके मजाक सुनकर शकुंतला को बहुत बुरा लगता था  तो वह दुखी होकर दुष्यंत से कहती”आप मेरे पास मत बैठा करो यहां से कहीं दूर चले जाओ.…मुझे अच्छा नहीं लगता जब बहू मजाक उड़ाती हैं….  तब शकुंतला की बात सुनकर दुष्यंत भी दुखी होकर उसका हाथ अपने हाथ में लेकर कहते “अब इस उम्र में मुझे अपने से दूर जाने को मत कहो यदि मैं तुमसे दूर चला गया तो मैं ज्यादा दिन जी नहीं पाऊंगा।इनको क्या पता? कि जब बच्चे अपने जीवन में व्यस्त हो जाते हैं तो जीवन का एक-एक पल अकेले काटना कितना मुश्किल हो जाता है तब जीवन की ढलती सांझ में पति-पत्नी ही एक दूसरे का सुख-दुख साझा करते हैं कहने दो इन्हें जो कुछ कहती हैं तुम दुखी मत हो।”

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   दुष्यंत की बात सुनकर शकुंतला के चेहरे पर तो मुस्कुराहट आ जाती थी परंतु, उनकी दोनों बहू रेखा और अनीता ससुर की बात सुनकर जल फुक कर राख हो जाती थी सास ससुर को ताने मारते हुए तब रेखा  अनीता से कहती”कोई किसी के जाने से नहीं मारता यह सब कहने की बात है बड़े आये लैला मजनू”रेखा की बात सुनकर अनीता हंसने लगती थी।

     एक दिन शकुंतला नहाने के लिए बाथरूम की तरफ जाने लगी तो अचानक से उसे चक्कर आने लगे इससे पहले कि वह कुछ समझ पाती उसे  ऐसा दिल का दौरा पड़ा कि वह बेहोश होकर वहीं जमीन पर गिर पड़ी थी उस वक्त राजीव और अंकित ऑफिस जाने की तैयारी कर रहे थे जब उन्होंने अपनी मम्मी को बेहोश देखा तो वे दोनों तुरंत उन्हें अस्पताल लेकर चल दिए जब उनके पापा भी अपनी पत्नी की हालत देखकर उनके साथ अस्पताल चलने लगे

तो राजीव उन्हें समझाते हुए बोला” पापा आप अस्पताल में परेशान हो जाओगे हम दोनों भाई हैं ना हम अच्छे से मम्मी का ख्याल रखेंगे आप थोड़ी देर बाद अस्पताल आ जाना हम मम्मी को जल्दी से अस्पताल लेकर जाते हैं “तब पत्नी की चिंताजनक हालात देखते हुए दुष्यंत ने बेटे की बात मान तो ली थी परंतु, उनका मन बेहद विचलित हो गया था वे चुपचाप अपने कमरे में जाकर बैठ गए थे तभी उनकी नजर दीवार पर लगी शकुंतला की खूबसूरत तस्वीर पर पड़ी जिसे हाथ में लेकर वे उसे प्यार से निहारने लगे थे।

      अस्पताल में पहुंचने के बाद राजीव और अंकित ने अपनी मम्मी को वहां पर जाकर दाखिल करा दिया था तब अस्पताल में मौजूद डॉक्टर ने उन्हें आईसीयू में भर्ती करने के बाद उनका इलाज करना शुरू कर दिया था इलाज के दौरान ही दोबारा दिल का दौरा पड़ने से शकुंतला की मौत हो गई थी

जब डॉक्टर ने राजीव और अंकित को उनकी मम्मी की मौत के बारे में सूचना दी तो राजीव और अंकित की आंखों से आंसू बहने लगे थे दुखी मन से जब राजीव ने फोन के द्वारा अपनी मम्मी की मौत की सूचना रेखा को दी तो सास की मौत पर दुखी होने की बजाय वह ससुर की बात को याद करके उनका मजाक उडाते  हुए 

उनसे बोली” पापा मम्मी तो चली गई”यह सुनकर दुष्यंत मुस्कुराते हुए बोले”ठीक है तो मैं भी उसके पास चला जाता हूं तुमने मेरे प्यार को मजाक समझा था।” ये शब्द मुख से निकलते ही दुष्यंत भी ईश्वर को प्यारे हो गए थे अपनी पत्नी को दिया हुआ वादा उन्होंने पूरा कर दिया था और जिन्होंने उनके प्यार को मजाक समझा था उन दोनों की आश्चर्य और ससुर का सास के प्रति सच्चे प्रेम के कारण देह त्याग देने पर आंखें खुली की खुली रह गई थी दोनों ही सास ससुर के प्रति अपने व्यवहार को याद करके मन ही मन शर्मिंदा हो रही थी।

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 इस रचना के माध्यम से मैं यही कहना चाहती हूं कि जितनी जरूरत पति-पत्नी को युवावस्था में एक दूसरे की होती है उतनी ही जरूरत वृद्ध अवस्था में पति-पत्नी को एक दूसरे की होती है जीवन की ढलती सांझ में जब बच्चे माता-पिता के प्यार का मजाक उड़ाते हैं तो उन्हें दुख होता है

कि युवा पीढ़ी जिनके लिए उन्होंने अपने सभी सुखों का त्याग किया  वृद्धा अवस्था में उनके प्यार का सम्मान नहीं करती कभी-कभी जुबान से निकली बात भी सच हो जाती है इसलिए किसी की बात का मजाक उड़ाने की बजाय उनका सम्मान करें और अपने बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करें क्योंकि ढलती सांझ तो हर किसी के जीवन में आना निश्चित ही है।

लेखिका : बीना शर्मा 

 #ढलती सांझ
VM

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