मैं अपनी सास जैसी बिलकुल नहीं बनूँगी – मुकेश कुमार

किरण की बेटे की कल ही शादी थी आधे घंटे में बारात वापस आने वाली थी और नई बहू भी आने वाली थी नई बहू की स्वागत की तैयारियां जोरो शोर से  थी किरण ने घर के सारे औरतों को बहू के स्वागत के लिए तैयार रहने को बोल दिया था। कुछ देर के बाद बारात आ गई और नई बहू ने घर में कदम रखा।

किरण की बहू आरती इतनी खूबसूरत थी कि जो भी देखा देखता ही रह गया।  कई लोगों ने बोला किरण तुम्हारी बहु तो लाखों में एक है। किरण ने कहा आज तो आप लोगों ने बहु कह दिया लेकिन आज से कोई भी आरती को मेरी बहू नहीं कहेगा बल्कि बेटी कहेगा।  मेरा बस चले तो मैं इस दुनिया से सास-बहू नाम का शब्द ही खत्म कर दूँ।

किरण सास बहू के रिश्ते को लेकर इतना चिड़ी क्यों रहती है यह जानने के लिए हमें आज के 30 साल पीछे जाना पड़ेगा।  किरन और प्रीतम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे और एक दूसरे से दोस्ती हुई और कब दोस्ती प्यार में बदल गई या उन्हें पता ही नहीं चला। किरन और प्रीतम दोनों शुरू से पढ़ाई में अव्वल आते थे ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी करना शुरू की और दोनों एसएससी पास कर  दिल्ली के सरकारी दफ्तर में नौकरी करने लगे।



एक  दिन प्रीतम नौकरी से घर आया तो प्रीतम की मां (किरण की सास) ने  अपने बेटे को एक फोटो दिखाया और बोला बेटा मैंने तुम्हारी शादी इस लड़की से ठीक कर दी है,  दहेज में 15 लाख कैश और एक स्कॉर्पियो गाड़ी तय कर दिया है मैंने। प्रीतम ने कहा मैं क्या कोई सामान हूं जो तुमने मुझे बेचा  है मेरे से बिना पूछे तुम मेरी शादी कैसे तय कर सकती हो।

हम अब बच्चे नहीं हैं जो तुम्हारे पसंद के खिलौने से खेलेंगे शादी है मेरी कोई खेल नहीं है।  तुम्हें मुझसे एक बार पूछना तो चाहिए था कि मैं तुम्हारी शादी तय करने जा रही हूं। मां मैं ऑलरेडी एक किरण नाम की लड़की से प्यार करता हूं और उसी से शादी करना चाहता हूं मैं बहुत जल्द तुम्हें बताने ही वाला था।

प्रीतम की मां ने कहा बेटा कुछ भी होगा तुम्हारी शादी तो अब इसी  लड़की से होगी क्योंकि मैंने हां कर दिया है और मैं नहीं चाहती हूं कि हमारे घर का इज्जत चली जाए।  प्रीतम ने कहा मुझे कुछ नहीं पता मैं तो शादी जब करूंगा किरण से ही करूंगा।

आखिर में प्रीतम की मां को प्रीतम के आगे झुकना ही पड़ा और किरण से शादी करने के लिए तैयार हो गई लेकिन प्रीतम की मां ने बोला शादी मैं एक शर्त पर करूंगी जब मुझे दहेज में जितना पहले मिल रहा था उतना ही मिलेगा।  प्रीतम ने कहा मैं ₹1 भी दहेज नहीं लूंगा मैं इन सब चीजों के खिलाफ हूं।

प्रीतम ने जबरदस्ती किरण से शादी तो कर ली किरण के मां बाप ने जो जितनी उनकी हिम्मत थी उन्होंने अपनी बेटी को दहेज में दिया।



किरण अपने ससुराल तो आ गई थी।  लेकिन किरण के सास-ससुर कभी भी ढंग से किरण से बात नहीं करते थे किरण को भी इस चीज का एहसास होने लगा था उसकी सास  दहेज ना मिलने के कारण उससे सही से बात नहीं करती है। किरण के सास हमेशा किरण से नफरत करती रहती थी आए दिन किरण के कामों में कोई ना कोई नुक्स निकालना शुरू कर दिया था।  बात-बात पर किरण को ताने सुनाना यह तो जैसे किरण के सास की आदतों में शामिल हो गया था। लेकिन किरण इन सब को नजर अंदाज कर देती थी सिर्फ इसलिए कि प्रीतम किरण से इतना प्यार करता था सब उसके आगे कुर्बान था।

किरण भी सरकारी नौकरी करती थी तो दोनों साथ-साथ ही घर से ऑफिस के लिए निकल जाते थे लेकिन शाम को किरण जल्दी घर आती थी क्योंकि उसे घर का भी काम करना होता था लेकिन यहां घर आने पर तो सास की तानों का बंधा हुआ गठरी मिलता था।

किरण की सास अपने आप में ही बोलना शुरु कर देती थी ऐसा बहू होने का भी क्या फायदा यहां बुढ़ापे में भी अपना सारा काम खुद ही करना पड़े हमने तो सोचा था कि एक ही बेटा है बहू आएगी तो चलो हमे आराम  हो जाएगा, हमें कुछ खुद नहीं करना पड़ेगा। यह सब बातें किरण की सास प्रीतम के सामने भी करती थी प्रीतम को कई बार गुस्सा आता था वह सोचा था कि अपनी मां को डांट दे लेकिन किरण, प्रीतम को रोक देती थी, वह नहीं चाहती थी कि उसके कारण मां बेटे के रिश्तो में दरार आ जाए।



किरण अपनी सासू मां की बातों को सुनकर कई बार तो उसने प्रितम से कह भी दिया था कि तुम नौकरी तो करते ही हो मैं नौकरी छोड़ देती हूं, कम से कम तानेने तो नहीं सुनने को मिलेगा।  लेकिन प्रीतम किरण को मना कर देता था बोलता था कुछ भी हो जाएगा तुम्हें नौकरी नहीं छोड़ना है।

 शादी के दूसरे साल की किरण गर्भवती हो गई इसलिए ऑफिस से उसने मेटरनिटी लीव ले लिया।  कुछ दिनों के बाद किरण को एक प्यारा सा बेटा हुआ। लेकिन वह अभी भी ऑफिस नहीं जा सकती थी क्योंकि किरण की सास ने बिल्कुल ही किरण को हेल्प नहीं करती थी सब कुछ उसे खुद ही करना पड़ता था फिर बच्चे को किसके सहारे छोड़ कर जाए।  कई बार तो प्रीतम ने भी अपनी मां से कहा कि माँ तुम अपने पोते का ख्याल रख लो तो किरण अपनी ऑफिस ज्वाइन कर सकती है।

लेकिन किरण की सास ने साफ-साफ मना कर दिया था और कहने लगी हां सही कह रहे हो बेटा अब यही तो मेरी जिंदगी रह गई है पहले तुम को पाल पोस कर बड़ा किया फिर बहू का ख्याल रखा और अब इसके बच्चे को भी ख्याल रखो मेरी तो जिंदगी में कहीं आराम ही नहीं लिखा है बस पूरी जिंदगी सब की सेवा करती रहो।  किरण ने अपने बच्चे के लिए अपने नौकरी छोड़ने का फैसला ले लिया था।

किरण  ने अपने बहू को बिल्कुल ही बेटी की तरह मान देना शुरू कर दिया था बहू भी किरण को माँ जी  ना कह कर सिर्फ माँ ही कहती थी क्योंकि माँ जी शब्द ही माँ और सास में फर्क बता देता है क्योंकि कोई भी लड़की अपनी माँ  को माँ जी की नहीं कहती है।

किरण ने अपनी बहू को बी. एड करवाया और उसके बाद उसकी बहू टीचर की जॉब करने लगी, जब उसकी बहू का लड़का भी हुआ तो किरण ने पूरे दिन उसके बच्चे को संभालती थी और बहू नौकरी करने जाती थी।

अब समय बदल रहा है अब हर सास को भी अपनी बहू को बेटी की तरह इज्जत देना होगा और साथ में बहू को भी अपनी सास को मां की तरह मानना होगा क्योंकि यह कब तक चलता रहेगा सास बहू का द्वंद युद्ध कभी तो इसे रोकना पड़ेगा।

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