पापा …आप बार-बार अपनी शादी की सीडी चला चला कर क्यों देखते हैं और उसको देखने के बाद हमेशा इमोशनल हो जाते हैं, पापा आपको अपनी शादी की सीडी देखकर दादा दादी और बुआ की याद आती है ना, कई बार आपको अकेले में रोते हुए भी देखा है, पापा मैं इतनी बड़ी तो हो गई हूं कि मैं जान सकूं की दादू दादी
हमारे पास क्यों नहीं आते और ना ही कभी आपने वहां जाने की कोशिश की, पापा… ममा का और मेरा भी कितना मन करता है अपने दादा-दादी से मिलने का, पापा क्या दादू दादी बहुत बुरे हैं? 8 वर्ष की अहाना के मुंह से यह सुनकर अजीत नेउसे चुप करते हुए कहा… नहीं बेटा.. दादू दादी के लिए ऐसा नहीं बोलते,
वह तो बहुत अच्छे हैं मैं ही उन्हें नहीं समझ पाया , बुरे वह नहीं बुरा तो मैं हूं जो उन्हें अकेला छोड़कर यहां परदेश में अच्छे करियर और यहां अधिक पैसा कमाने की चाह में सारे रिश्ते नाते गवा बैठा, अब मुझे समझ नहीं आता मैं किस मुंह से घर वापस जाऊं, उन्हें कितना तकलीफ पहुंचा कर मैं यहां आया था,
बेटा तुम्हारे दादा हमेशा मेरी पढ़ाई को लेकर बहुत सीरियस रहा करते थे, मेरी पढ़ाई के लिए वह कोई समझौता नहीं करते थे यहां तक कि जब मेरी परीक्षा होती थी वह अपने किसी फंक्शन में या शादी समारोह में भी नहीं जाते थे बस वह हर समय मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित करते और यही बात मुझे परेशान कर देती,
धीरे-धीरे करके मुझे उन दोनों से चिढ़ होने लगी, मम्मी तो फिर भी इतना नहीं टोका टाकी करती पर पापा हर समय टोकते थे और फिर धीरे-धीरे करके मैं अपनी पढ़ाई में अब्बल आता गया और एक दिन बहुत बड़ा इंजीनियर बन गया और वही बेंगलुरु में मेरी अच्छी जॉब लग गई ,
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किंतु मेरी जॉब के 2 महीने बाद ही मुझे विदेश से भी ऑफर आ गया मैं यहां की कंपनी नहीं छोड़ना चाहता था मैंने अपनी मम्मी पापा को लाख समझाना चाहा किंतु उन्होंने मुझे विदेश में जाने से मना कर दिया और कहा बेटा… यहां किस चीज की कमी है फिर तुमको अपने देश को छोड़कर,
हमें अकेला छोड़कर विदेश जाने की क्या आवश्यकता है और मैंने उनसे यह कह दिया कि आप तो मेरा कैरियर बनने ही नहीं देना चाहते, आप मेरी तरक्की का श्रेय अपने ऊपर लेना चाहते हैं जबकि यह सब मैंने अपनी मेहनत के दम पर पाया है आप चाहते हो मैं कुएं का मेंढक बनकर रहूं, ना मेरा यहां कोई करियर है
ना भविष्य है, मैं यहां आप लोगों के साथ अब नहीं रह सकता और मैं उन्हें तड़पता हुआ छोड़कर विदेश आ गया, उन्होंने कई बार मुझे बुलाने के लिए फोन भी किया किंतु मैंने उनके फोन का जवाब तक नहीं दिया यहां आकर मैंने तुम्हारी ममा से शादी कर ली और फिर मेरे दो प्यारे प्यारे बच्चे हो गए, अब मुझे दिन रात तुम दोनों बहन भाई की ही चिंता रहती है
हर प्रकार से तुम्हारा अच्छे से अच्छा करियर और भविष्य बनने देना चाहता हूं किंतु अब मुझे महसूस होता है कि मेरे मम्मी पापा ने भी मेरे लिए कितने त्याग किए होंगे, अपनी कितनी खुशियां कुर्बान की होगी और मैं उनकी मेहनत का श्रेय खुद लेता रहा, मैं आज तक यह समझता रहा कि मैंने जो भी प्राप्त किया है अपने बलबूते पर प्राप्त किया है लेकिन बेटा…
तुम दोनों बहन भाइयों को अगर हल्की सी खरोच भी आ जाती है या तुम बीमार पड़ जाते हो तो मेरा कलेजा धक से रह जाता है, अब जब मैं खुद पिता बना हूं तब उनकी भावनाओं को अच्छे से समझ सकता हूं, बेटा मैं उनसे माफी मांगना चाहता हूं उनके साथ रहना चाहता हूं
इस विदेशी जमीन पर नहीं रहना चाहता, मैं वहां उनके साथ में अपनी जिंदगी बिताना चाहता हूं, बेटा… क्या बच्चों को सिर्फ अपने बच्चों की ही चिंता फिक्र करनी चाहिए, क्या मां-बाप के प्रति उनकी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है? हम अपने बच्चों के लिए तो इतना सोचते हैं किंतु हम अपने माता-पिता की हमेशा अनदेखी कर देते हैं
और अब तुम दोनों को देखकर मुझे यह एहसास हो रहा है कि मैं कितना गलत था, कौन मां-बाप नहीं होगा जो अपने बच्चों की तरक्की देखकर खुश नहीं होता होगा किंतु मैंने इतना गलत मतलब निकाल लिया उन्हें मैंने क्या-क्या नहीं कहा किंतु अब मैं किस मुंह से वापस जाऊं? तब नन्ही सी अहाना ने कहा….
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पापा जिस तरह से आप घर छोड़ कर आए थे उसी तरह वापस चले जाइए, वह आपके पापा मम्मी है आपको जरूर माफ कर देंगे, पापा कितना मजा आएगा जब दादा दादी पापा मम्मी और हम दोनों बहन भाई एक साथ रहेंगे, हमारी बुआ चाचू और सारे रिश्तेदार हमें मिलेंगे, पापा हमने तो कभी आज तक अपने दादा-दादी को देखा भी नहीं है,
पापा मैंने आपसे कभी नहीं कहा किंतु मुझे भी अपने दादा-दादी की याद आती है और मैं उनके पास जाना चाहती हूं, पापा आप अभी फोन लगाइए और पापा वह आपकी मम्मी पापा है जैसे आप हमारी हर गलती माफ कर देते हैं वैसे वह भी देखना आपकी गलती माफ कर देंगे और अहाना के मुंह से इतनी समझदारी वाली बातें सुनकर और
जोर देने पर अजीत ने अपने पापा को फोन लगा दिया, फोन पर अजीत का नंबर देखकर पापा के हाथ पैर कांपने लगे और मम्मी के गले में भी आवाज वही अटक कर रह गई, बड़ी कोशिशें के बाद दोनों के मुंह से निकला बेटा अजीत…. तुम कहां हो कैसे हो? पापा… मैं अच्छा हूं पापा मैं आपके पास वापस आना चाहता हूं जो गलतियां मैंने की है
उन्हें सुधारना चाहता हूं ,पापा आपके पोता पोती हैं वह आपसे मिलना चाहते हैं, पापा… क्या मैं घर वापस आ जाऊं? रोते हुए अजीत की बात सुनकर पापा ने कहा… क्या.. हमारे पोता पोती है? तो अजीत बेटा.. देर किस बात की तू जल्दी से अपना वहां का सारा काम समेट और जल्दी से हमारे पास आ जा हमारी
बुड्ढी आंखें तो तुम्हारे आने के इंतजार में ही अब तक जिंदा है! हां पापा मैं आ रहा हूं मैं बहुत जल्दी घर वापस आ रहा हूं और महीने भर बाद अजीत सपरिवार अपने मम्मी पापा के पास पहुंच गया, उस दिन उनके घर में दिवाली मनाई गई पटाखे जलाए गए मिठाइयां बांटी गई, कितने सालों बाद आखिर बनवास पूरा करके उनके बेटे की घर वापसी हो रही थी !
हेमलता गुप्ता स्वरचित
कहानी प्रतियोगिता घर वापसी