मैं तो डर ही गया था – नेकराम : Moral Stories in Hindi

मुठ्ठी में बीस रुपए दबाए तेज कदमों से घर से कुछ दूर पैदल चलने के बाद संदीप मोहल्ले की एक फोटो स्टूडियो की दुकान के पास आकर रुका दुकान में दो-चार कस्टमर पहले से ही वहां मौजूद थे दुकानदार उनकी फोटो खींच रहा था संदीप थोड़ा जल्दी में था बीस रुपए दुकानदार की तरफ बढ़ाते हुए बोला मुझे अर्जेंट फोटो चाहिए आज शाम को लड़की वालों के घर अपना फोटो भिजवाना है ।

मैं पूरे 23 वर्ष का हो चुका हूं मेरी मां को मेरी शादी की चिंता है

पढ़ा लिखा हूं पर अभी नौकरी नहीं है ।

संदीप की बात सुनकर वहां खड़े सभी कस्टमर उसका मुंह तांकने लगे ।

दुकानदार ने संदीप को 2 मिनट बैठने के लिए कहा फिर दुकानदार ने झटपट पहले आए हुए कस्टमरों की फोटो खींचकर उन्हें विदा किया जब दुकानदार फ्री हुआ तो उसने संदीप से पूछा कैसी फोटो खिंचवानी है ।

संदीप का दिल जोरो से धड़क रहा था अपनी शादी की बात किसी अजनबी से करने में थोड़ी हिचक हो रही थी फिर भी हिम्मत करके बोला एक सुंदर सी फोटो खींच दो लड़की वालों के घर भिजवानी है दुकानदार ने फोटो खींच दी फिर अपने कंप्यूटर स्क्रीन में फोटो का साइज बनाने लगा ।

संदीप को अपनी खिंची हुई फोटो पसंद नहीं आ रही थी तब उसने दुकानदार से कहा फोटो में रंग साफ कर दो कितना चेहरा काला आ रहा है ।

संदीप की बात सुनकर दुकानदार बोला रंग तो मैं साफ कर दूंगा मगर शादी के बाद जब तुम्हारी दुल्हन को पता चलेगा कि तुम तो सिर्फ फोटो में ही हैंडसम दिख रहे हो हकीकत में नहीं तब यह तो धोखे वाली बात हुई वह तुम्हारी जीवन साथी बनने जा रही है इसलिए मेरी बात मानो जैसे हो वैसे ही फोटो खिंचवाओ —

संदीप का मन उदास हो गया लेकिन दुकानदार की बात भी सही है आखिर हम जैसे हैं वैसे ही सामने नजर आने चाहिए ।

संदीप 2 घंटे तक वहीं दुकान में जमा बैठा रहा जब फोटो तैयार हुई तो वह अपनी फोटो लेकर घर की तरफ चल पड़ा लेकिन मन ही मन सोच रहा था अब तो यह फोटो लड़की वालों के घर भिजवाने का कोई फायदा नहीं है वह मुझे पसंद नहीं करेंगे क्योंकि आजकल की लड़कियों को सुंदर दूल्हे चाहिए और मेरी इस फोटो में तो चेहरा मेरा कितना काला आ रहा है ।

यही सोचते सोचते घर कब आ गया पता ही नहीं चला मां को फोटो देते हुए संदीप ने कहा लो खिंचवा लाया फोटो लड़की वालों के घर भिजवा दीजिए ।

किसी पहचान वाले बिचौलिए के हाथों फोटो भिजवाई गई

   ,,  ,, 1 घंटे बाद घर में रखा छोटा बटन वाला फोन बज उठा संदीप की मां ने फोन उठाया और स्पीकर में बात की ताकि संदीप को भी सुनाई दे तब उधर से आवाज आई हमारी बेटी तो गोरी चिट्टी है और तुम्हारा बेटा तो बहुत काला है ,, लड़की ने फोटो देखते ही मना कर दिया ,, हम अपनी बेटी को फंसा कर इतना बड़ा पाप अपने ऊपर नहीं लाद सकते ,,कल शाम को हमारी बेटी शालू की करनाल फार्म हाउस मैं सगाई है आप लोग जरूर आइएगा और देखना हमने दूल्हा कितना सुंदर ढूंढा है

,,  ,,  फिर फोन कट गया ,,

संदीप की मां बड़बड़ाते हुए बोली कितने बेशर्म लोग हैं हमारे मुंह पर हमें इंकार करके हमें अपनी ही बेटी की सगाई में बुला रहे हैं ।

इंकार वाली बात जब संदीप के घर के लोगों को पता चली तो संदीप के ताऊ जी को बहुत बुरा लगा लड़की वालों से बदला लेने के लिए ताऊ जी ने परिवार में सबको समझा दिया उनकी बेइज्जती करने के लिए हम सभी लोग करनाल फार्म हाउस जरूर चलेंगे ।

अगली सुबह होने के बाद ,,

शाम होते ही सभी लोग तैयार होकर ताऊजी के साथ एक बड़ी सी ओला गाड़ी में बैठकर शाम 5:00 बजे तक करनाल फार्म हाउस पहुंच गए

करनाल फार्म हाउस में चारों तरफ चहल पहल और खाने-पीने की पूरी व्यवस्था थी वेटर इधर-उधर कोल्ड ड्रिंक लेकर भागते दौड़ते नजर आ रहे थे ।

सामने एक खूबसूरत लड़की लहंगा चुनरी में दिखाई दी गहनों से पूरी ढकी हुई लोग जोर-जोर से तालियां बजा रहे थे

किसी ने कहा दुल्हन तो आ गई दूल्हे को भी बुलाए

किसी ने कहा ,, लो ,, दुल्हन की मां भी आ गई

दुल्हन की मां सबको संबोधित करते हुए बोली अब मैं दूल्हे को मंच पर बुलाना चाहूंगी फिर वह संदीप की तरफ आगे बढ़ी

संदीप से कहा हमारी बेटी शालू की उंगली में सगाई की रिंग पहनाइए

वहां खड़े सभी उपस्थित लोग जोर-जोर से तालियां बजाने लगे

संदीप के परिवार वाले कुछ समझ नहीं पा रहे थे आखिर माजरा क्या है संदीप की मां दुल्हन की मां के पास पहुंच कर कहने लगी

कल फोन में तो आप लोगों ने रिश्ते के लिए मना कर दिया था

तब दुल्हन की मां कहने लगी समधन जी आप कैसी बातें कर रही है हमने तो कोई कॉल नहीं किया संदीप की फोटो आते ही हमने सगाई की तैयारीयां शुरू कर दी थी ।

,,  ,,  ,, शायद आपसे किसी ने मजाक किया होगा

संदीप के परिवार वाले कहने लगे हम तो कोई तैयारी करके नहीं आए दुल्हन के लिए भी कुछ नहीं लाए

तभी वहां खड़े लोग जोर-जोर से तालियां बजाते हुए कहने लगे दुल्हन के पिता भी आ रहे हैं अब सगाई की रस्म शुरू हो जाएगी

संदीप ने गौर से देखा ऊंचा कद चेहरे पर मूंछे यह तो फोटो स्टूडियो के दुकानदार है

इनसे तो मैं कल मिल चुका हूं क्या यही दुल्हन के पिता है

तब वह फोटो स्टूडियो के मालिक संदीप के पास आकर खड़े हो गए फिर संदीप को गले लगाया और कहा मैं ही दुल्हन का पिता हूं

करनाल में हमारा अपना घर है लेकिन तुम्हारे मोहल्ले में हम फोटो स्टूडियो की दुकान किराए पर लेकर चला रहे हैं

,, ,, 20 वर्षों से फोटो खींचने का काम कर रहा हूं

जितने भी लड़के फोटो खिंचवाने के लिए आते थे अपने चेहरे को मलमल के साफ करवाते थे कुछ पैसे भी हमें एक्स्ट्रा देते थे

लेकिन पहली बार मुझे तुम मिले जब मैंने तुमसे कहा तुम जैसे हो वैसी ही फोटो खिंचवाओ और तुम राजी हो गए

इससे पता चलता है तुम्हारा मन बिल्कुल साफ है जहां मन साफ होता है वहां रंग कोई मायने नहीं रखता ।

दोपहर को लंच में जब मैं घर पहुंचा तो मुझे अपनी बेटी के लिए तुम्हारी फोटो दिखाई गई पहले तो मैं चौंक गया इस लड़के से मेरी मुलाकात दुकान में हो चुकी है दुकान संभालने के लिए मुझे एक पढ़ा लिखा दामाद चाहिए था और तुम्हारे पास नौकरी भी नहीं थी

,, ,, फिर सोचा तुम्हें सरप्राइज दिया जाए

तुम्हारी छोटी साली पिंकी को मैंने समझा दिया लड़के वालों के घर तुम्हें दुल्हन की मां बनकर कॉल करके रिश्ते के लिए मना करना है और सगाई में आने का निमंत्रण भी देना है ..

और तुम्हारी छोटी साली पिंकी ने तुम्हें खूब उल्लू बनाया

संदीप ने अपने होने वाले ससुर जी से कहा आपकी बात सुनकर तसल्ली हुई साली की बात सुनकर

           ,,  मैं तो डर ही गया था ,,

लेखक —  नेकराम सिक्योरिटी गार्ड

स्वरचित रचना दिल्ली से

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