“मैं शादी में जरूर आऊंगा” – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

मान जाइए ना भाई साहब…. देखिए रोहन जिद रहा है जब तक उसके बड़े पापा शादी में नहीं आएंगे वह घोड़ी नहीं चढ़ेगा, भाई साहब… भूल दीजिए ना पुरानी बातों को 10 साल हो गए, आप अभी तक उन बातों को मन में लिए बैठे हैं, भाई साहब रोहन को तो आपने अपनी गोदी में खिलाया है  उसको साइकिल चलाना अपने ही सिखाया है उसकी हर जिद् को आपने ही बढ़ावा दिया था फिर आप आज उसकी शादी में नहीं जाएंगे तो सोचिए उसे और हम सबको कैसा लगेगा, भाई साहब तीन बहनों के बीच में इकलौता भाई है वह, अगर आप इस शादी में नहीं आएंगे तो उसकी दो बहने शादी में नहीं  आएंगी यह आप जानते हैं, बस सब आपकी हां का इंतजार कर रहे हैं अगर आज आप शादी में नहीं आए तो मैं समझ लूंगा आपने मुझे कभी अपना भाई माना ही नहीं था, भाई साहब कल उसकी शादी है शादी के सारे कार्यक्रम शुरू हो गए हैं किंतु आपके बिना कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा! सुदेश के वहां से जाते ही रमेश की पत्नी सुनंदा जोर-जोर से रोते हुए बोली… हां बिल्कुल मत जाइए आप रोहन की शादी में, क्यों जाएंगे आप रोहन की शादी में हमारा क्या लगता है वह? आपके छोटे भाई का बेटा… एक छोटी सी गलती की सजा आप खुद को और  पूरे परिवार को दे रहे हैं, आपको भी  पता था देवर जी ने आपको गाड़ी से टक्कर नहीं मारी थी बस वह गाड़ी को पीछे कर रहे थे उसी समय आप मोबाइल पर बातें करते हुए जा रहे थे और आप अचानक से उनकी गाड़ी के पीछे आ गए आपको तो कोई खास चोट भी नहीं आई थी किंतु इतनी सी बात का आपने इतना बतंगड़ बना लिया और सारे रिश्ते नाते खत्म कर लिए, दो भाइयों के बीच में दीवार खिंच गई जहां कभी यह पता नहीं चलता था रोहन और रीता और हमारी दिव्या और निशा में से कौन उनके बच्चे हैं और कौन हमारे, किंतु आपकी वजह से आज वह एक दूसरे से मिलने को तरस रहे हैं वह कभी आपके डर से कह नहीं पाए ना ही मैं कभी आपसे कह पाई की मेरा उन बच्चों और अपनी देवरानी के बिना जीना भी कोई जीना नहीं है, संगीता को मैंने अपनी छोटी बहन माना था और वह सब हमें कैसे बड़े भाई भाभी का दर्जा देते आए थे, रोहन और रीता तो बड़े पापा बड़ी मम्मी कहते-कहते थकते ही नहीं थे आपने एक घर को दो घरों में बांट दिया, दोनों बच्चे अपने पापा से ज्यादा आपसे अपनी मांगे पूरी करवाते ,अगर आज भी आप का दिल नहीं पसीजा  तो मैं सोच लूंगी आपके सीने में दिल ही नहीं है अरे कुछ तो अपना बड़ा दिल रखिए छोटा भाई इतनी मिन्नतें करके गया है कितनी बार वह अपनी शादी के कार्यक्रमों को छोड़कर आपको मनाने आया  है और आप क्या सोचते हैं अगर आप शादी में नहीं जाएंगे तो क्या शादी नहीं होगी ..? होगी अवश्य होगी, किंतु आप बड़े हैं  आपको बड़प्पन शोभा देता है ना की ऐसी छोटी सोच! छोटा भाई इतनी मिन्नतें करके गया है किंतु आप 10 साल पुराने हादसे को अभी तक नहीं भूले हैं, आप क्यों खुद को और हम सबको सजा दे रहे हैं बताइए..? रोहन क्या अपने बड़े पापा के बिना खुशी-खुशी शादी कर पाएगा उसकी दोनों बहने उसका जब तिलक नहीं करेंगी उसकी आंखों में आंसू नहीं आएंगे, मेरी देवरानी मुझे बड़ी बहन मानती है जब मैं ही शादी में नहीं जाऊंगी वह किससे पूछ के सारे काम कर रही होगी, आप दो भाइयों की लड़ाई में पूरा परिवार क्यों पिस रहा है? और ऐसा कहकर रमेश जी की पत्नी रोती हुई चली गई! घंटे भर तक एकांत में सोचने पर रमेश जी को लगा उनकी पत्नी सही तो कह रही है अब तक मैंने 10 सालों में उन्हें अपने परिवार से अलग रहने की सजा ही तो दी है, भाई बहनों को एक दूसरे से अलग कर दिया, भाई-भाई हम अलग हो गए, दो बहनों जैसी देवरानी जेठानी  सिर्फ मेरे व्यवहार की वजह से अलग हो गई, बड़े नसीबों से ऐसा परिवार मिलता है और मैं उसी को गवाने चला था,नहीं नहीं.. आज तक मैंने जो गलती की है अब आगे नहीं दोहराऊंगा, हमें बड़ी मुश्किल से एक होने का मौका मिला है मैं अपने रोहन की शादी में जाऊंगा और  खूब  नाचूंगा और सुदेश.. मुझ से छोटा है अगर उसने कुछ भी कहा तो दो थप्पड़ लगाऊंगा, बड़ा भाई हूं मैं उसका, बड़ा भाई तो पिता समान होता है,  मैं पूरे हक के साथ जाऊंगा और उसने अपनी दोनों बेटियों को फोन करके कहा… तुम्हारा भाई तुम्हारा इंतजार कर रहा है जल्दी आओ, तुम्हें पता है वह तुम्हारे बिना शादी भी नहीं करेगा, कहता है पागल.. जब तक मेरी बहन नहीं आएगी मैं फेरे नहीं लूंगा, मैं और तुम्हारी मम्मी तो बस जा ही रहे हैं! इतना सुनते ही उधर दोनों बहनों की आंखें आंसुओं से  भीगने  लगी थी दोनों इसी  पल का तो इंतजार कर रही थी और इधर रमेश जी और उनकी पत्नी  की आवाज तो इतनी भारी हो गई थी कि उनसे आगे कुछ बोला ही नहीं जा रहा था, बस खुशी से उनकी आंखें रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी! 

   हेमलता गुप्ता स्वरचित 

    कहानी प्रतियोगिता  “बड़ा दिल”

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