मैं समझौता क्यों करूं? – गीता वाधवानी

आज प्रीति का विवाह होने जा रहा था। वह दुल्हन के रूप में सजी संवरी बैठी थी। उसका विवाह एक पढ़े-लिखे, सुंदर व्यक्तित्व वाले प्रकाश नामक लड़के से हो रहा था। स्वयं को दुल्हन के रूप में देखकर प्रीति को एक पुरानी दर्दनाक घटना स्मरण हो आई। इस घटना का जिक्र वह प्रकाश से कर चुकी थी क्योंकि उसका मानना था कि वैवाहिक जीवन की शुरुआत सच्चाई से होनी चाहिए। 

      कुछ वर्ष पहले, एक बार प्रीति अपने कॉलेज से साइकिल पर वापस आ रही थी कि तभी अचानक गांव के मुखिया का बेटा पवन खेत में से निकल कर अचानक उसके सामने आ गया। उसके इस तरह अचानक सामने आने से वह खुद को संभाल ना सकी और साइकिल समेत जमीन पर गिर पड़ी। प्रीति ने उठकर अपने कपड़े झाड़े और पवन को फटकार लगाई। वह उसे पहले भी कई बार परेशान कर चुका था। उसके पिता गांव के मुखिया थे और बहुत ही अच्छे इंसान थे, पवन के बिगड़ने के पीछे उसकी दादी का हद से ज्यादा लाड प्यार था। उन्होंने पवन को बहुत अधिक सिर पर चढ़ा रखा था। वह किसी को भी, पवन को डांटने नहीं देती थी और ना ही खुद उसे कुछ कहती थी। 

    प्रीति के कपड़े झाड़ पर खड़े होने के बाद पवन अचानक उस पर झपटा और उसका हाथ पकड़ कर खेत में ले जाने लगा। प्रीति ने खुद को छुड़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन लंबे चौड़े और हट्टे कट्टे पवन के आगे उसकी एक न चली और वह खुद को उस से बचा ना पाई। 

आखिरकार इस खींचातानी में पवन उसे घसीट कर खेत में ले गया और उसका शारीरिक शोषण किया। 

       जैसे ही वह अपनी हवस पूरी करने के बाद खेत से बाहर निकला, तभी वहां से गुजर रहे उसके पिता और पंचायत के एक वृद्ध व्यक्ति ने उसे देख लिया और अस्त-व्यस्त कपड़ों में रोती हुई प्रीति को भी उन्होंने देखा। 

      प्रीति ने घर जाकर अपने माता पिता को पूरी बात बताई। पहले तो उन्होंने प्रीति से बदनामी के डर से चुप रहने को कहा। लेकिन जब प्रीति नहीं मानी तब उन्होंने निर्णय लिया कि पंचायत में शिकायत की जाए। 



      पंचायत में बड़ी ही सरलता से पवन का अपराध सिद्ध हो गया क्योंकि पंचायत के एक वृद्ध व्यक्ति ने उसे अपनी आंखों से देखा था। 

   पंचायत में सोच विचार कर यह निर्णय सुनाया-“प्रीति का विवाह पवन से कर दिया जाए, इस तरह वह बदनामी से बच जाएगी और दोनों का घर बस जायेगा।” 

    प्रीति ने यह निर्णय मानने से साफ इंकार कर दिया। उसने कहा-“यह जो कुछ भी हुआ है उसमें मेरी कोई गलती नहीं है फिर मैं जीवन भर इसका भुगतान क्यों करूं? यह विवाह नहीं, यह तो समझौता है। जिसे मेरा मन ना माने मैं वह समझौता क्यों करूं? मैं इस हैवान के साथ विवाह नहीं करूंगी चाहे मुझे जीवन भर अविवाहित ही क्यों न रहना पड़े।” 

प्रीति के माता-पिता ने, पंचायत वालों ने, गांव वालों ने प्रीति को दबाने की बहुत कोशिश की। उसे बिरादरी से निकालने की धमकी भी दी गई, और साथ ही साथ उसे मुखिया के घर की बहू होने का लालच भी दिया गया, लेकिन प्रीति अपने फैसले से टस से मस ना हुई। 

      आखिरकार सब को उसके सामने झुकना पड़ा। उन्होंने पवन के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई। पंचायत के वृद्ध व्यक्ति और उसके पिता ने गवाही देकर उसे सजा दिलवाई। इस सबके बीच भी प्रीति ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। 

प्रीति आज एक अच्छी नौकरी पर है और उसके साथ ऑफिस में काम करने वाला प्रकाश उससे प्यार करता है और आज उससे विवाह कर रहा है। प्रीति ने सही समय पर सही निर्णय लिया। आज उसकी खुशी का कारण यह था कि उसने अपनी बात हिम्मत से सबके सामने रखी और समझौता करने से इंकार कर दिया। 

#समझौता 

स्वरचित गीता वाधवानी दिल्ली

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!