मैं नहीं मरूँगी – प्रीती सक्सेना

आज रिजल्ट आने वाला है, जल्दी से सायबर कैफे जाकर, देखूं, कितने नंबर आए हैं, अच्छा कॉलेज मिलेगा कि नहीं, हे भगवान साथ देना, खूब अच्छे नंबर आएं मेरे, वरना क्या करुंगी मैं, कैसे मम्मी पापा को चेहरा दिखाऊंगी मैं, गवर्नमेंट कॉलेज नहीं मिला, तो पापा बड़ी भारी फीस कैसे भर पाएंगे, बेचारी मम्मी गिनी चुनी साड़ियों में काम चलाती है, हिसाब से घर का खर्च चलता है, कैसे मेरी पढ़ाई का खर्च निकालेंगे दोनों?

     जाती हूं सायबर, जो होगा देखती हूं, भैया प्लीज़ मेरा रोल नंबर देखकर मेरा रिज़ल्ट बता दो, हां 20 रूपये देती हूं न, लीजिए बताइए, दिल धड़क धड़क कर रहा है, चक्कर से आने लगे, इतनी देर क्यों लग रही है, हां भैया क्या हुआ, क्या 56 प्रतिशत, अब क्या करूं, मुझसे तो चलते भी नहीं बन रहा, मेरे पैर कांप रहे हैं, मुझे बहुत घबराहट हो रही है, पसीना पसीना हो रही हूं, मैं मम्मी पापा को कैसे मुंह दिखाऊंगी, मैं मर जाऊंगी, हां, यही सही रहेगा, कहां है स्टूल, कहां है मम्मी की साड़ी, मेरे न रहने से खर्च भी बच जाए, मम्मी पापा अच्छा जीवन जी पाएंगे,



मरने के पहले घर को एक बार अच्छे से देख लूं, पता नहीं फिर कभी देख पाऊं या नहीं, छोटा सा मेरा प्यारा घर, मेरा कमरा , पापा ने कितना प्यारा सुंदर सा रेडियो मुझे गिफ्ट किया था, फोटोफ्रेम, जिसमें हम चारों का फोटो है, मेरा छोटू, अकेला पड़ जाएगा, कभी उसे कोई मारेगा, तो उसे बचाएगा कौन, मम्मी की आंखो में सिलाई करते समय पानी आता है, मेरे बाद तो रोती ही रहेंगी, कौन उन्हें चुप कराएगा, पापा ने मुश्किल से अब तक मेरी पढाई करवाई है, सब पैसे बरबाद हो जायेंगे न।

भूख लगने लगी, थोड़ा सा खाना खा लेती हूं, फिर मम्मी के हाथ का खाना , कहां मिलेगा, अरे वाह, छोले पूरी, मम्मी ने आज मेरी पसन्द का खाना बनाया है, कितनी प्यारी मां दी है मुझे आपने, भगवान जी 🙏🙏

खाना खा लिया कल कढ़ी पकौड़ा बनाने को कहा था मैने, अगर मर गई, तो कैसे खा पाऊंगी, मैं कहां उलझ गई खाने में, मुझे तो मरना है, जीकर क्या करुंगी,

प्रीती सक्सेना, मौलिक

अगर मैं मर गई तो, मम्मी के बीमार होने पर घर का काम और खाना कौन बनाएगा,? पापा को तो आता नहीं, बाहर का तो बहुत महंगा होता है न, तो बजट ही बिगड़ जाएगा घर का, बुढ़ापे में छोटे की बीबी की मम्मी से न पटी , तो अपने दिल की बात मम्मी किससे करेंगी, उफ्फ मेरा सिर दुखने लगा, थोड़े से नंबर ही तो कम आएं हैं मेरे , मैं कोई दूसरा कोर्स कर लूंगी, मेरे माता पिता, भाई को मेरी जरुरत है, इसलिए मैं क्यों मरूं, मैं नहीं मरूंगी ।

प्रीती सक्सेना  इंदौर

मौलिक

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