घर से अपनी मां की तेज आवाजें सुनकर मोहित का माथा ठनका,आज फिर इन सास बहू में ठन
गई…उफ्फ!!क्या करूं इस दिव्या का..कितना समझाया है इसे मैंने..मां से ज्यादा पंगा मत लिया करो पर सुनती
कहां है मेरी।
मोहित को आया देखकर दोनों चुप गई थीं,मोहित की मां शकुंतला जरूर कुछ बड़बड़ाने लगी थीं पर दिव्या
खामोशी से किचेन में काम करने लगी।
जब मोहित को पानी देने आई वो,उदास और टेंस थी।
आज क्या हुआ?मां क्यों गुस्सा हो रही थीं तुम पर?पूछा था मोहित ने।
आदत है उनकी तो मेरे में कमियां निकालने की..बड़ी भाभी उनके मुंह पर उनकी चमचागिरी करती हैं,पीठ
पीछे खिल्ली उड़ाती हैं,वो बहुत सीधी और अच्छी हैं उनके लिए और मैं दुनिया की सबसे बुरी बहू।
जब जानती हो तो क्यों नहीं तुम भी वैसा कर देती?अरे क्या चला जाएगा तुम्हारा जो झूठ मूठ उनके मुंह पर
उनकी तारीफ कर दोगी,उनकी हां में हां मिला दोगी…तुम भी भली बन जाओगी उनकी निगाहों में और क्या?
मोहित बोला।
देखिए! मैं आपको कई बार कह चुकी हूं,मुझसे बिना बात किसी की लल्लो चप्पों नहीं होती, मैं जैसी हूं,वैसी ही
रहूंगी।गलत बात का समर्थन कभी नहीं करूंगी अगर विरोध ने भी करूं तो।
राजा हरीशचंद्र के खानदान से हो क्या?मोहित मजाक करता बोला।
दिव्या थोड़ी हर्ट थी मोहित की मजाक से…ये आप कह रहे हो?आप जानते नहीं कि मैं उनकी कितनी इज्जत
करती हूं,उनके लिए बुरा सोच भी नहीं सकती कभी लेकिन बिना बात खुशामद करना मैंने नहीं सीखा।
अरे! आंसू न लाओ आंखों में,तुम्हें परेशान देखकर कह दिया था मैंने,समझाऊंगा मैं मां को।
मोहित कुछ दिन बाद,मां को समझा रहा था दिव्या की आदत के बारे में लेकिन उन्हें तो बड़ी बहू राखी ही पसंद
आती थी जो बात बात में अम्मा जी की तारीफे करती रहती थी।हाय अम्मा!आप की एनर्जी लेवल की तो हम
कभी बराबरी कर ही नहीं सकते,आपने कैसे चार चार बच्चों को इतना काबिल बनाया,हमसे तो एक नहीं
संभलता।
मोहित की बात अम्मा को समझ न आई और न ही दिव्या ने मोहित की सलाह मान सास की तारीफे करनी
शुरू की,बहरहाल समस्या वैसे ही बनी रही लेकिन उस दिन ऐसा क्या हुआ जिससे शकुंतला जी को अपनी
छोटी बहु दिव्या का असली चेहरा नजर आ गया।
हुआ यूं कि बड़ी बहू पड़ोस में किटी पार्टी में गई थी ,वो बन संवर के अपनी सहेलियों के साथ मौज मस्ती में
लगी थी कि शकुंतला जी ने फोन कर बुलाया उसे…
बेटा!मेरे सीने में बड़ा दर्द हो रहा है…जल्दी आ जाओ।
अम्मा! गैस का दर्द होगा, गर्म पानी अजवाइन नमक फांक लो,ठीक हो जाएगा.. मैं अभी नहीं आ सकूंगी।
राखी ने टका सा जबाव दे दिया।
दिव्या ने सुना तो वो झट बोली…मैं चली जाती हूं घर अम्मा को देखने।
कहां जा रही है छोटी?अम्मा को तो आदत है तिल का ताड़ बनाने की,कुछ नहीं हुआ होगा,यूं ही शोर मचाती हैं
हम बहुओं की मौज मस्ती में खलल डालने को।
लेकिन दिव्या ने उनकी एक न सुनी और झट घर की तरफ दौड़ी।
घर पहुंचते ही उसने देखा कि शकुंतला दर्द से छटपटा रही हैं,उसे समझ आ गया था कि इन्हें हार्ट अटैक सा ही
कुछ आया दिखता है,उसने झट राम किट जिसमें तीन दवाइयां थीं,अपनी सास को पानी के साथ पिला दी
और उन्हें आश्वासन दिया कि वो घबराएं नहीं,ठीक हो जाएंगी, रास्ते में आते हुए अपने फैमिली डॉक्टर को
फोन कर दिया था उसने।
थोड़ी देर में डॉक्टर आए और शकुंतला जी को जांच कर बोले…आपकी बहू की सूझबूझ ने आपकी प्राण रक्षा
की है,ऐसी बहू सबको मिले।
शकुंतला जी प्यार से दिव्या को देखने लगीं ,आज उन्हें अपने बेटे मोहित की बात समझ आ रही थी,दिव्या
जुबान से न कहती हो पर दिल से उनकी इज्जत और ख्याल बहुत करती है।जरूरी नहीं है कि किसी की
खुशामद करके ही आप उसको अपना प्यार,लगाव दिखाएं,कुछ लोग मुंह से कम बोलते हैं लेकिन दिल के
साफ,सच्चे होते हैं।
समाप्त
डॉक्टर संगीता अग्रवाल
#लल्लो चप्पों करना(खुशामद करना)