राशि को घर आने में थोड़ी देर हो गई थी सुबह का सारा काम समेट कर गई थी
खाना पीना बच्चों का नाश्ता सब व्यवस्थित करके गई थी
रह गई थी तो गरमा गरम उतरती रोटी !!
सासू मां के दांतो की परेशानी के चलते उन्हें उतरा उतरा फुल्का ही पसंद था
इसी बात पर कई बार बहस भी हो जाती थी अमर कुछ नहीं कहते थे जो जैसा मिला खा लिया
बच्चे भी ज्यादा परेशान नहीं करते थे पर सासू मां उनकी उम्र का तकाजा था कभी बाहर जाना पड़ता तो वो उनके लिए दलिया खिचड़ी या चावल बना कर रख जाती पर उस दिन समय नहीं मिला था
घरेलू सहायिका को बोला कि दोपहर में गरमा गरम फूले फूले फुलके बना देना
ना पतले ना मोटे!
लेकिन वो जब शाम को आई तो मामला कुछ अजीब सा था
राशि ने आंखों ही आंखों में बच्चों और पति को देखा तो वो सब मुस्कुरा उठे..
राशि थोड़ा घबरा गई
पानी पी कर, सासू मां के सामने जा बैठी और पूछने लगी, माता जी आपने खाना ठीक से खाया था ना?
वो सिर हिला कर चुप रही
राशि से कुछ ज्यादा बात नहीं की, उन्होंने.. क्योंकि वो अपना पसंदीदा टीवी सीरियल देखने में व्यस्त थी भक्ति चैनल… चल रहा था लेकिन राशि की शक्ति जवाब दे गई थी!!
वो बाहर ड्राइंग रूम में आई
बच्चों ने चाय बना दी थी
साथ ही समोसा भी हाजिर था
पतिदेव ने मुस्कुराते हुए पूछा कैसा रहा दिन?
अरे पूछो मत!
दिमाग तो,यहीं लगा हुआ था
बच्चों ने कहा मम्मी घबराओ नहीं.. हमने दादी की रोटी का भी एक नायाब नुस्खा निकाल दिया!
राशि बोली क्या किया तुम लोगों ने?
बताओ तो?
सब, बड़े मुस्कुरा रहे हो..
गिन्नी बोली, दादी मां को मैंने कहा आज रोटी में बनाती हूं!!
मैंने आशा आंटी से रोटी बेलने को कहा उन्होंने रोटी बेली और मैंने उसके किनारे हाथ से थोड़े थोड़े दबा के पतले कर दिए
और उसे तवे पर डाल दिया
पलटे से पलटा.. और दादी मां को बोला आज की रोटी मेरे हाथ से ..!
पर, पहली रोटी..थोड़ी सख्त भी थी कहीं कहीं से ऊंची नीची भी हो थी पर दादी ने बड़े आराम से एक-एक टुकड़ा तोड़कर खाया… और जो टुकड़े चबाए नहीं गए.. उनको उन्होंने सब्जी के झोल में डाल दिया और थोड़ी देर बाद जब मैं दूसरी रोटी लाई तो वो पहली से थोड़ी बेहतर बनी थी
बेटे, रूपेश ने बोला और मम्मी… मैंने उनके बर्तन उठा दिए थे पानी भर दिया..
पूछ लिया था कुछ और चाहिए तो बताओ!
पर दादी ने कुछ नहीं मांगा.. आराम से सो गई थी
शाम की चाय भी पापा और हम ने मिलकर बनाई ..
पापा समोसे ले आए थे
सच में,आज का दिन बहुत अच्छा गुजरा.. आप इतमिनान से कभी-कभी बाहर चले जाया करो…
सच में आपको भी ब्रेक मिलना चाहिए!
और दादी मां के साथ हमारे बिताए पल, दादी के लिए भी बहुत खुशी वाले रहे!
दादी, बाद में पापा को बता रही थी कि आज गिन्नी ने पहली बार रोटी बनाई ,मुझे बहुत अच्छा लगा!!
बहुत स्वाद आ रहा था उसके नन्हे हाथों से… राशि बोली,मेरी बेटी अब, बड़ी हो गई है
ये कहकर उसने गिन्नी को अपने साथ बिठा लिया
तभी रूपेश बोला और मम्मा मैं…?
तू मेरा प्यारा बच्चा है ना… छोटी सी,गिन्नी को भी संभाल लेता है
पर दिमाग में उसके यही घंटी बज रही थी क्या उसकी जरूरत घर तक है?
रसोई तक… या फिर इस भागा दौड़ी की जिंदगी में, व्यवस्थाएं संभालने तक…
लेखिका अर्चना नाकरा