छोटी चल खेलने का टाइम खत्म हो गया शाम हो गई है.. घर चल पापा आते ही होंगे.. तुझे बहुत डांट पड़ेगी नहीं मैं अभी और खेलूंगी.. मुझे खेलने में बहुत मजा आता है ..मानव किरण और शांतनु तीनों भाई बहन बड़े ही लाड-प्यार से रहते थे किरण सबसे छोटी दोनों भाइयों में और सब की लाडली उसे प्यार से सभी लोग छोटी कहते थे
बचपन से ही बहुत जिद्दी स्वभाव की की थी ..उसे हर कुछ हाथों में चाहिए पड़ता था.. मानव और शांतनु अपनी छोटी बहन किरण का बहुत ध्यान रखते थे.. पापा छोटा सा बिजनेस संभालते थे ..कभी-कभी साइकिल से भी अपना फुटकर सामान बेचने जाते थे.. कुछ सालों में तीनों भाई बहन बड़े हो गए मानव की शादी हो गई घर में खुशियां ही खुशी आ गई ..
छोटी की लेकिन भाभी से बहुत नहीं बनती थी वक्त आ गया था छोटी की शादी का घर में बहुत पैसा नहीं था ..लेकिन छोटी ने पहले ही कह दिया था ..मेरी शादी अच्छे घर में होगी तो ही मैं कराऊंगी नहीं तो नहीं करूंगी ..मानव और शांतनु ने बहुत मेहनत की छोटी के लिए अच्छा सा वर देखने की!!
दोनों ने अपना कमाया हुआ पैसा छोटी की शादी में लगा दिया *पापा के पास ज्यादा पैसा नहीं था कुछ पैसा उधार लेकर छोटी की शादी धूमधाम से की: और अच्छे घर में की छोटी दिखने में बहुत सुंदर पढ़ी-लिखी भी थी।
कस्बे में रहने के बाद भी उसने पढ़ाई अच्छे से की थी.. कुछ सालों के बाद शांतनु की शादी भी हो गई ..पर अब इन दोनों के ऊपर छोटी की शादी का कर्ज बकाया था।
धीरे-धीरे करके कुछ सालों में छोटी की शादी का कर्ज उतर गया छोटी किरण की किस्मत इतनी अच्छी थी।
कि जिस घर में उसकी शादी हुई थी वहां पर आलीशान मकान था ..
अच्छा खासा पैसा था और देखते-देखते पति का बिजनेस भी अच्छा चल पड़ा कुछ सालों में ही करोड़पति बन गई।
उसे अपने पैसों का इतना घमंड था कि जब भी मायके आती थी ..
अपने पति और पैसों की तारीफ से नहीं थकती थी छोटे से गांव में मायके में ज्यादा पैसे न होने के कारण.. रहन सहन भी साधारण होता था.. लेकिन किरण के आने पर उसके लिए दोनों भाभियों एक कमरा अच्छे से तैयार करवा देती थी ..उसके लिए अलग-अलग वैरायटी का खाना रोज बनता था.. उसके बच्चों के लिए चॉकलेट बिस्किट पेप्सी हर दिन आया करती थी।
और जाते समय मां विनीता उसको हाथ में 10 -20000 पकड़ा दिया करती थी।
लेकिन किरण कभी यह नहीं सोच पाती थी कि मेरे दोनों भाइयों का बिजनेस छोटा सा है.. वह साल में कितना कमा पाते होंगे अपने अहंकार में डूबी किरण.. कभी नहीं सोच पाती थी ।
दोनों भाई किरण को खुश करने के लिए महंगे महंगे गिफ्ट सामान लाकर देते थे।
और किरण भी मायके आकर बहुत खुश होती थी ना कभी कोई काम में हाथ बटाती थी क्योंकि उसके घर में बहुत सारे नौकर लगे हुए थे ।
खाना बनाने वाले कपड़े धोने वाले झाड़ू पोछा करने वाले उसकी बिल्कुल भी आदत नहीं थी।
की भाभियों के साथ हाथ बटाएं और भाभी अभी इतनी अच्छी थी कभी दीदी से नहीं कहती थी कि हमारे साथ काम कर लो…. एक बार मां की तबीयत बहुत खराब हो गई होती भी क्यों नहीं अब उनकी उम्र जो हो गई थी।
घर में अधिक पैसा नहीं था लेकिन दोनों भाइयों और भाभियों ने सोचा कि दीदी शहर में रहती है और उनके घर ही आराम से जाकर रहा जा सकता है…
और मम्मी को भी वहां पर आराम मिलेगा पहली बार मौका पड़ा किरण के घर जाकर रहने का वैसे तो कभी मानव कभी शांतनु किरण को लिवाने चले जाते थे ..
और किरण उनके साथ आ जाती थी लेकिन पहली बार ऐसा हुआ की मां की बहुत अधिक तबीयत खराब हो गई और उन्हें शहर में डॉक्टर को दिखाना बहुत जरूरी हो गया घुटने में इतना दर्द होता था कि वह चल फिर नहीं पाती थी।
डॉक्टर का कहना था कि उन्हें नी रिप्लेसमेंट कराना पड़ेगा *उसके लिए आपको लगभग 1 महीने रुकना पड़ेगा।
और अस्पताल में भी एडमिट होना पड़ेगा यह सब सोच कर मानव और शांतनु ने सोचा की किरण का घर सबसे अच्छा रहेगा शहर में है उसे वहीं पर अस्पताल में मां का चेकअप हो जाएगा वहीं पर आराम भी हो जाएगा मां का !!!
इतना सब सोच कर सबने पैकिंग कर ली और किरण के घर के लिए निकल गए किरण को फोन पर बता दिया कि हम तुम्हारे घर आ रहे हैं।
कुछ दिनों के लिए किरण को तो अच्छा नहीं लगा कि इतने लोगों का खर्चा उठाना पड़ेगा ..
सभी लोग अच्छे से किरण के घर पहुंच गए किरण ने एक गेस्ट रूम तैयार कर दिया सबको वहीं रुकने का दिया।
अब बाथरूम भी उन्हीं का उसे करने का दिया एक दिन अचानक मम्मी विनीता किरण की बिटिया के बाथरूम में चली गई किरण की बिटिया ने बहुत चिल्लाया की नानी ने मेरा बाथरूम गंदा कर दिया।
फिर किरण के बेटा बहुत गुस्सा करने लगा कि मामी किचन में हमेशा क्या बनाती रहती हैं।
फिर दूसरे दिन किरण कहने लगी भाभी आप पंखा हमेशा मत चालू किया करो बीच में बंद कर दिया करो।
बिजली का बिल बहुत आता है छोटी-छोटी बातों पर किरण मम्मी भाभियों को बहुत टोकने लगी.. फिर भी कोई बुरा नहीं मान रहा था.. कि ठीक है कुछ दिन तो निकालने हैं यह सोचकर ..सभी लोग शांत रह रहे थे।
कुछ दिनों के बाद दोनों भाई और भाभी घर वापस आ गए क्योंकि पापा यहां पर अकेले थे और मम्मी को किरण के पास छोड़ दिया।
जब भी मम्मी की बात अपने बेटे से होती थी कहती थी कि मुझे यहां पर अच्छा नहीं लग रहा है ना मैं कोई काम कर पा रही हूं!
और ना कुछ कर पा रही हूं! बच्चों में इतना अहंकार है इतना गुरूर है कि वह अपनी नानी को कुछ भी नहीं समझ रहे।
हमेशा किरण पैसों की ही बात करती रहती है मेरे घर में यह है मेरे घर में वह है
मैं तो इतने आलीशान मकान में रहती हूं इतना अहंकार है कि उसका यह अंतर देखकर मुझे भी बहुत तकलीफ हो रही है।
एक दिन विनीता ने किरण को समझाया कि बेटा कुछ दिनों की यह चांदनी है और कब यह चांदनी चली जाए पता नहीं रहता।
हमें किसी भी चीज का गुरुर नहीं करना चाहिए किरण कहती है की मां मुझे पता है मेरे हस्बैंड बहुत अच्छा पैसा कमाते हैं उनका बिजनेस बहुत अच्छा है ।
अहंकार में डूबी किरण को कुछ भी समझ में नहीं आता था कुछ दिनों में ही मां विनीता ठीक होकर अपने घर वापस आ गई ….एक दिन ऐसा आया किरण के पति की कंपनी में आग लग गई.. और जितना माल था राख हो गया उसने तुरंत फोन पर खबर अपने बड़े भाई मानव को दी… मानव ने कहा कि मैं जैसे भी हूं शाम की गाड़ी से तुम्हारे पास पहुंच रहा हूं.. और मानव किरण के पास पहुंच गया.. वहां पर देखा तो पूरा बिजनेस दुकान पैसा सब राख हो गया था।
और किरण के पास जो बचा था सिर्फ मकान था मानव दो-तीन दिन तक किरण के घर में रुका!!! और अपने जीजा जी को समझता रहा!! कि जीजा जी सब ठीक हो जाएगा आप फिर से बिजनेस करते कर सकते हैं !!जीजा जी ने कहा कि मेरा जितना पैसा था मैं दुकान में लगा दिया था और आज मैं एक प्लॉट खरीदने जा रहा था लगभग 10 लख रुपए मैं दुकान में ही रख दिए थे ।
अचानक में घर आ गया था और मुझे नहीं पता था कि किसने मेरी दुकान में आग लगा दी !
मेरा वह पैसा भी चला गया अब मैं पूरा तरह से कंगाल हो गया मैं क्या करूं ??अब मानव ने कहा आप टेंशन मत लीजिए ।तभी वहां से फोन आया शांतनु का भैया मैं यहां से आपको कुछ रुपए भेज रहा हूं।
किरण के हाथ में दे दीजिए जिससे इस महीने तो उसका खर्च चल जाएगा मानव ने कहा भाई हमारे पास भी पैसा नहीं है फिर कैसे चल जाएगा कहने लगा की मम्मी ने अपना सोना और दोनों मेरी बीवी और भाभी ने अपने सोना गिरवी रखकर कुछ पैसे लगभग 1 लख रुपए हो गए हैं.. मैं आपको भेज रहा हूं आप किरण को दे दीजिए इस महीने उसका खर्च चल जाएगा जैसे ही मानव ने किरण को ₹100000 पकङा दिए ।
कहां की मेरे जीजा जी की कुछ नहीं होना चाहिए बच्चों की फीस और सब खर्च तुम कर लो और इन्हें वापस देने की मुझे जरूरत नहीं है ।
हम लोग अपना कर लेंगे यह सब सुनकर देखकर किरण को रोना आ गया वह अपने भाई के गले लग गई।
और कहने लगी कि मैं अपने अहंकार के कारण अपने रिश्तों को भूल गई थी मैं अपनी मां की सेवा भी अच्छे से नहीं कर पाई और आज तुम लोगों ने मुझे तुरंत ही पैसे लाकर दे दिए।
और मेरी मदद कर दी सच में भाई तुम लोगों ने मेरी आंखें खोल दी कभी भी पैसों का अहंकार नहीं करना चाहिए.. मां सही कहती थी आज अच्छा है तो कल किसने देखा है हमें हर करम का फल इसी जन्म में मिल जाता है इसलिए हमें भाई-बहन और मां-बाप की हमेशा इज्जत सम्मान करनी चाहिए।