“हलो टीना!रिनी बोल रही हूं!विकास एक हफ्ते को मुंबई ट्रेनिंग में जा रहे हैं!बड़ा मन है दो-चार दिन तुम्हारे साथ रहने का!तुम कहो तो मैं तुम्हारे पास आ जाऊं”?
टीना ने अपने पति मुकेश को रिनी के आने के बारे में बताया तो उसने मुँह बनाकर जवाब दिया”बस तुम मिडिल क्लास लोगों के साथ यही प्राब्लम है जब देखो मुंह उठाए किसी के भी घर चल देते हो अब आ रही है तो आने दो!”
बहुत दिनों बाद दोनों बहनें मिल रही थी !टीना ने पूछा किस फ्लाईट से आ रही हो ड्राइवर को एयरपोर्ट भेज देंगे!
रिनी अचकचा गई बोली “अरे हवाई जहाज की टिकट तो बहुत महंगी है,विकास बोले एक रात की ही तो बात है इसलिए ट्रेन से ही रिजर्वेशन कराया है”
मुकेश क्या कहेंगे सोचकर टीना को अच्छा नहीं लगा!
नियत समय पर रिनी को लिवाने गऐ मुकेश के चपरासी और ड्राईवर से उसे सैकेंड क्लास के डिब्बे से उतरते देखा तो आश्चर्य चकित रह गए! मेमसाहब की बहन और वो भी ट्रेन के आर्डनरी डिब्बे में?
मुकेश की चमचमाती कार में बैठकर रिनी उनकी हवेली नुमा कोठी में उतरी तो बहन के ठाठ-बाट देख कर उसकी तो आँखें ही चौंधिया गईं!
एक नौकर ने दरवाजा खोला एक ने लपक कर रिनी का सामान उठाया!
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रिनी अंदर आई तो टीना से गले मिलना ही चाह रही थी कि टीना झिझक कर पीछे हट गई तभी मुकेश की आवाज सुनाई दी!” साली साहिबा!पहले फ्रेश तो हो लीजिए! देख नहीं रहीं कैसे पसीने में तर-बतर खड़ी हैं!भई हम तो हवाई जहाज या एक.सी.फर्स्ट से कम चलने की सोच भी नहीं सकते”कितने घंटों का भी सफर हो जब भी उतरो तो फ्रेश के फ्रेश! “कहते हुए उनकी गर्दन शान से तन गई!
टीना भी बोली”क्या रिनी तुम भी ना!ये सिंथेटिक साड़ी पहनकर क्यों चल दीं!हमारे यहां तो काम वालियां पहनती हैं!
गर्मी का मौसम ऊपर से ट्रेन का साधारण डिब्बा!मुझसे कह देती मैं एक.सी.की टिकट करा देती!पता नहीं विकास की कंजूसी की आदत कब जाऐगी”
आते ही मुकेश और टीना के अहंकार भरे व्यंग बाणों से रिनी का मन खिन्न हो गया!
रिनी और टीना के पिता काॅलेज में प्रोफेसर थे!दोनों बेटियां टीना और रिनी बहुत सुन्दर थीं!रिनी का ब्याह उन्होंने विकास के साथ कर दिया था जो एक बैंक में नौकरी करता था!टीना को मुकेश की मां ने किसी की शादी में देख कर पसंद कर लिया था!मुकेश के पिता बहुत बड़े रईस थे कई फैक्ट्रियों के मालिक! विदेशों में भी उनका कारोबार फैला था!
मुकेश उनका इकलौता बेटा था!टीना की तो ब्याह होते ही किस्मत ही पलट गई!
दौलत का नशा और पैसे की चकाचौंध ने मुकेश को अंधा कर रखा था टीना भी उसके ही रंगमें रंग गई थी!
मां-बाप के मरने के बाद टीना ने अपनी इकलौती बहन रिनी से भी कोई बहुत अधिक वास्ता नहीं रखा था!
अहंकार के मद में चूर अपने से कम हैसियत वाले लोगों को वे दोनों हेय दृष्टि से देखा करते!
इकलौती बहन के प्यार से मजबूर रिनी कुछ दिन को टीना के पास रहने चली आई थी!
मेहमानों के कमरे में पहुंच कर रिनी मंत्रमुग्ध हो गई बिल्कुल फाईव स्टार होटल जैसा!उसे अपनी बहन के ठाठ-बाट देख कर उसके भाग्य पर रश्क हो आया!
सामान खोल कर उसने टीना की बेटी शीना के लिए एक गुलाबी रंग की फ्राक और स्वेटर और टीना के लिए देशी घी के बेसन के लड्डू का डिब्बा निकाला!
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उसे पता था टीना को उसके हाथ के बने लड्डू बहुत पसंद थे!
लंच के वक्त मुकेश के सामने जैसे ही रिनी ने स्वेटर और फ्राक शीना को दिया वे मुंह सिकोड़कर बोले”हमारे घर में ये घर के सिले बुने कपड़े कोई नहीं पहनता!हम तो बस ब्रांडेड गारमेंट्स ही पहनते हैं!”
बेसन के लड्डू देखते ही टीना के मुँह में पानी आ गया जैसे ही उसने एक लड्डू उठाकर खाना चाहा मुकेश फौरन बोले “ये घी तेल का सामान खाकर वजन बढ़ाओगी क्या!”भई रिनी बुरा मत मानना!हमारे यहां तो हल्दीराम और बड़ी बेकरियों से ही सामान आता है!”टीना सुनो!ये लड्डू नौकरों में बांट देना !बता देना मेमसाहब की बहन लाई हैं!
रिनी ने देखा जिस बहन के लिए वह बरसों से दबी अनगिनत बातों का पुलिंदा लेकर आई थी उसे तो दो घड़ी पास बैठने की फुर्सत ही नहीं!
मुकेश और टीना की दिनचर्या में दिखावा,शानो शौकत,क्लब,महंगे कपडों,जेवर की शापिंग,महंगी से महंगी शराब,और लेट नाइट पार्टियाँ शुमार थे!अपनी मासूम सी बेटी शीना को नौकरों और आया के सहारे छोड़कर जाते हुए वे एक पल को भी नहीं झिझकते!
उनका ख्याल था बिज़नेस बढ़ाने के लिए क्लब जाना ,आऐ दिन पार्टीज करना बहुत जरूरी है!
शाम को क्लब में मुकेश और टीना का डिनर था!टीना ने रिनी से भी साथ चलने को कहा !फिर बोली तुम्हारे पास तो कोई ढंग की साड़ी होगी नहीं आओ मेरी साड़ियों में से कोई भी पहन लो!”कहकर अपनी वार्डरोब खोल दी!
टीना की वार्डरोब देख कर रिनी हक्की बक्की रह गई! अनगिनत साड़ियों और ड्रेसेज के साथ मैचिंग जेवर और जूते चप्पल देख कर उसकी तो आँखें फटी की फटी रह गई!
रिनी ने एक गुलाबी शिफाॅन की साड़ी पहन ली!टीना ने उसे एक मानिक और हीरे का नेकलेस पहनाया सुन्दर तो वह थी ही उसका रूप और खिल उठा!
एक बार तो मुकेश को भी विश्वास नहीं हुआ कि यह वही बेहद सीधी सादी रिनी है!
दोनों बहने जब क्लब पहुँची तो सबकी नजरें बस उन दोनों पर ही टिक कर रह गईं!
टीना तो क्लब के माहौल से परिचित थी पर रिनी के लिए वह सब अजीब और अटपटा था!लेडीज और जेन्ट्स का इस तरह बेतकल्लुफ होकर शराब पीना ,खुलकर मिलना वह इन सबकी आदि नहीं थी!
उससे ज्यादा देर वहां रूका नहीं गया!थोड़ी देर बाद रिनी टीना से कहकर ड्राइवर के साथ घर आ गई!
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घर आते ही वह अंदर का दृश्य देख कर दंग रह गई!
नौकर और आया एक सोफ़े पर बैठे टी.वी.पर अश्लील सी फिल्म देख रहे थे हाथों में शराब के जाम पकड़कर प्रेमालाप में व्यस्त थे!टेबल पर चिप्स, नमकीन के पैकेट और मैगी बिखरी पड़ी थी!
एक सोफ़े पर शीना डरी सहमी सी बैठी थी!
रिनी को देखते ही शीना भागकर आई और उससे लिपट कर रोने लगी!”बोली
“मौसी मुझे बहुत जोर की भूख लगी है!मैने इनको बोला कि खाना लगा दें पर इन्होंने मुझे डांट दिया बोले ये मैगी खा लो!मुझे मैगी बिल्कुल भी पसंद नहीं है!”
रिनी पुचकार कर शीना को किचन में ले गई और उस के लिए आलू के परांठे बनाए!
रिनी को ऐसा लगा जैसे शीना ने पहली बार पेट भर मन का खाना खाया!
शीना ने बताया मम्मी पापा रोज क्लब चले जाते हैं!
मेरा पढ़ाई में भी मन नहीं लगता क्योंकि रामू भैया और रीता दीदी रोज टी.वी.लगाकर बैठ जाते हैं!मुझे खाना भी नहीं देते!मम्मी देर में आती हैं!मैं सो जाती हूं!
“मौसी!आप यहीं रहो ना!”कहकर शीना रिनी के गले से लिपट कर सो गई!
सुबह शीना के रिजल्ट कार्ड में उसे सारे सब्जेक्ट्स में फेल देख कर मुकेश का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया”ऐसे कैसे फेल हो गई! पूरे साल हजारों रुपये का डोनेशन देता हूं!क्या इसलिए?
रिनी जब से आई थी देख रही थी शीना को पढ़ाने जो ट्यूटर आती थी वह शीना को रीडिंग या राइटिंग करने को कह मोबाइल पर बतियाने में व्यस्त रहती!उसका इंट्रेस्ट शीना की पढ़ाई से ज्यादा महीने के आखिर में मिलने वाले पे पैकेट में रहता!
यही देख कर उसने मुकेश को बताने की कोशिश की तो मुकेश गुर्राते हुए बोला”अपनी मिडिल क्लास मैंटैलिटी अपने पास रखो!तुम क्या जानो हाई सोसाइटी में रहना क्या होता है!अच्छा होगा हमारे हाऊस ओल्ड में दखल ना दो!”
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रही सही कसर टीना ने कहकर पूरी कर दी !रिनी!मैं देख रही हूं तुम हर वक्त ही कभी नौकर कभी आया से टोका टाकी करती रहती हो,तुम तो चली जाओगी कल ये नौकरी छोड़कर चले गए तो काम कौन करेगा?मुझे लगता है मेरे ठाठ-बाट और शानो-शौकत से तुम्हें जलन हो रही है!तुम आई हो तो मेहमान की तरह रहो!”
रिनी को बहुत बुरा लगा!उसने देखा कि उसके बहन बहनोई की आँखों पर रईसी की ऐसी पट्टी बंधी हुई है कि उन्हें सही गलत का ध्यान ही नहीं!
उसे सबसे ज्यादा शीना की फिक्र थी कहीं मुकेश और टीना के पैसे और पावर के नशे से उसके साथ कोई हादसा न हो जाए!
उसने अगले दिन वापस जाने का इरादा कर लिया!
पर रात को एक बार टीना से बात करने का फैसला लिया.
उसने टीना को बताया कैसे नौकर और आया शीना के सामने अश्लील हरकतें करते हैं,तुम्हें नहीं पता,टीचर क्या पढ़ाती है वो भी तुम नहीं जानती!शीना बड़ी हो रही है कल उसके साथ कोई ऊंच-नीच हो गई तो कौन जिम्मेदार होगा!तब पछताने और हाथ मलने के सिवाय कुछ हासिल नहीं होगा!
तभी शीना आकर रिनी की गोद में बैठ गई! उसने कहा”मौसी मुझे अपने साथ ले चलो,मुझे यहां नौकरों के साथ नहीं रहना!
मम्मी पापा के पास मेरे लिए टाइम ही नहीं है!”और वह जोर जोर से रो पड़ी! शीना की रोने की आवाज सुन कर मुकेश भी आ गए! टीना ने सारी बात बताई! मुकेश शीना से बहुत प्यार करते थे उस पर कोई आंच आऐ ये उसे गवारा नहीं था!
उसका मन ग्लानि से भर गया उसे पश्चाताप हुआ कि बाहरी दिखावे और पैसे की चकाचौंध से उसका अपना ही घर जलकर राख हो जाता!
मुकेश और टीना ने रिनी से कहा”तुमने हमारी आँखें खोल दी हमारे घर ,हमारी बच्ची को बचा लिया!हम तुम्हारा ऐहसान भूल नहीं पाऐंगे,हमें माफ कर दो! हम रिश्तों की अहमियत भूल गए “!
रिनी ने भी कहा ” मां पापा के जाने के बाद आप लोग ही मेरे अपने हो ,आप के साथ कुछ गलत हो ऐसा मैं कैसे देख सकती थी,पैसे से खुशियाँ नहीं ख़रीदी जा सकती!
दो दिन बाद शीना की समर वैकेशन शुरू हो रही थी रिनी शीना को अपने साथ ले आई.
मुकेश और टीना ने भी सोच लिया कि वे अब शीना को अकेला कभी भी नहीं छोड़ेंगे!
कुमुद मोहन
स्वरचित-मौलिक