मैं ऐसी क्यों हूं? – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“कब तक चुप रहूं “क्या मुझे बोलना चाहिए•••? पिछले 10 सालों से मेरी जुबान बोलने से लड़खारती रही•• ना मैंने अपना दर्द  किसी को बताया और ना ही कभी किसी ने मुझसे पूछा•••! २२ साल की काव्या उदास सी कमरे में  चहल कदमी रही थी।  #अनकहा दर्द उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था। 

बड़ी बहन अनन्या जो डॉक्टर थी की, शादी की तैयारी जोर-शोर से चल रही थी ।

तभी दादी केतकी जी का कमरे में प्रवेश होता है:-

क्या बात है बेटा•• तू इतनी परेशान क्यों है•••? 

नीचे चल••• दीदी-जीजा जी तुझे बुला रहे हैं अनन्या को अपनी शादी के लिए•• साड़ियां लेनी हैं तू भी उनके साथ चली जा•• साड़ी भी पसंद करवा देगी और तेरा घूमने भी हो जाएगा••! 

इतना सुनते ही काव्या के पसीने चलने लगे।

 क्या है ना दादी•• मेरी तबीयत सही नहीं–इसलिए अभी मुझे कुछ देर अकेले छोड़ दीजिए••! कहते हुए वह चादर तान सो गई।

  पोती के चेहरे की हाव-भाव को उन्हें समझते देर ना लगी कि वह किसी बड़ी असमंजस में फंसी  है•• परंतु अभी उन्हें  पोती-जमाई को बताने जाना था कि काव्या नहीं जाएगी वरना वे लोग इंतजार में वहीं बैठे रह जाते। 

मां••• आज खाने में क्या बना लूं•••? जैसे ही केतकी जी अनन्या और राहुल को बाहर तक छोड़, घर के अंदर आई तब उनकी बहू सरला उनसे पूछ बैठी।

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 अरे•• तुझे जो अच्छा लगे तू बना ले••• अभी तो मैं काव्या के कमरे में जा रही हूं•• देख रही हूं कि वह कई दिनों से परेशान है••!

 क्या तुझे कुछ बताया उसने••? नहीं मां•• वह मुझे कभी कुछ नहीं बताती••• आप ही पूछ लीजिए••!

 कहते हुए सरला जी किचन में कामवाली से सब्जियां कटवाने चली गईं ।

क्या बात है बेटा••• जब से तू अपने नानी घर से आई है तब से चुपचाप सी रहने लगी है बता क्या बात है•••?

 नहीं दादी••• कोई बात तो नहीं•••आप खामखां परेशान हो रही हैं•••! मुझे तो बस चुप रहने का मन करता है••!

 अच्छा मैं भी तेरी दादी हूं– ऐसे कैसे चुप रहने का मन करता है••••? मेरा बच्चा•• बता क्या बात है •••? तेरी परेशानी मुझे रात भर सोने नहीं देगी बता बच्चा •••!

दादी की प्यार भरी पूचकार सुन, काव्या जोर-जोर से रोने लगी••• ।

 दादी ने प्रेम पूर्वक उसे अपनी गोद में सुलाते हुए और उसके उलझे बालों को सुलझाते हुए पूछीं ••बेटा बताएगी नहीं तो हमें कैसे पता चलेगा कि तू किस मुसीबत से गुजर रही है••••?

फिर काव्या बताना शुरू करती है:-

  दादी••• जब मैं करीब 12 साल की थी••• उस समय दीदी भी एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए बेंगलुरु जा चुकी थी••घर में सिर्फ मैं थी •••!

मेरे स्कूल में एक लड़का जिसका नाम बबलू था•••! हाव-भाव से मुझे लगता कि वह मुझे पसंद करता परंतु मैं उससे नफरत करती  वह बार-बार मुझसे उलझता •• ताकि मैं उससे बात करूं! मेरी सहेलियां मुझे चिढ़ाया करती कि••• मैं बबलू की बबली हूं–  सुन के मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ जाता•••  !

 मेरी एक बेस्ट फ्रेंड ने मुझसे  कहा कि बबलू की इस हरकत को तुझे अपने पेरेंट्स को बता देना चाहिए •••! 

जब मैने ये बात मां को बताई तो उन्होंने मुझे ही डांटा कि तू फालतू की बकवास क्यों कर रही है स्कूल पढ़ने जाती है या नौटंकी करने•••? 

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हमें उस शहर में रहते हुए 4 साल हो गए— एक दिन  पापा की ट्रांसफर आर्डर आ गई ••!

 मुझे बहुत सुकून मिला कि अब तो यहां कुछ ही दिन रहनें हैं ••और इस बबलू जैसी आफत से मैं निपट गई। 

 इतनी छोटी उम्र से ही मुझमें  इनसिक्योरिटी  वाली फीलिंग आने लगी•••!

 खैर नई जगह आने से एक नई ऊर्जा का संचालन हुआ और सब कुछ भूला कर मैं नवजीवन के निर्माण में लग गई,•••!

 नाइंथ तक तो सब कुछ सही था पर वह कहते हैं ना कि जिससे  दूर भागो उसी मुसीबत का सामना करना पड़ता है•• !

मैं 10th में आ गई— कॉलोनी का एक लड़का जो मुझे छुप- छुप कर देखा करता••! पहले तो मैने  इग्नोर किया लेकिन उसका एवनॉर्मल जैसा घूरना देख, मुझे कुछ अजीब सा लगा और एक दिन मैंने मम्मी को सारी बात बता दी ••परंतु उस समय भी उन्होंने मेरी सपोर्ट करने की बजाय•• कि तू क्यों••• उसे घूरती है•• तभी तो लगता है कि वह तुझे घूर रहा है•••! मत कुछ रिस्पांस किया कर•• देखने वाले तो देखते ही रहते हैं सबकी आंखें तो नहीं फोड़ सकती ना•••फिर कॉलोनी में किसी को इस बात की जानकारी होगी तो इसमें हमारी ही  बदनामी होगी•••! वैसे भी तेरे पापा बड़े पोस्ट पर कार्यरत हैं•••! सभी हमारा मजाक उड़ाएंगे•••!

अब मैं सब कुछ देखकर भी अनजान सी बनी रहती••!

 उसकी हिम्मत तो देखिए दादी•••कि

एक दिन जब हम चार-पांच लड़कियां एक साथ स्कूल से लौट रही थीं! अक्सर हम घर रेलवे ट्रैक से ही होकर आते क्योंकि वह हमारा शॉर्टकट रास्ता हुआ करता–! ठीक  4:00 बजे उसे मैंने रेलवे ट्रैक पर देखा शायद वह अच्छी तरह से इस बात को जानता कि हमारे घर लौटने का टाइम है•••जैसे ही

  मेरी नजर उस पे गई तो वह मुझे आंख मारते हुए निकल गया••! अब मेरी रात की नींद हराम हो गई—उस रात वह मुझे सपनों में भी घूरता ,आंख मारता नजर आया•••! मैं घबराकर बैठ गई !मेरी नींद तो मेरी आंखों से कोसों दूर जा चुकी थी—!

सोचा सुबह होते ही मां को सब कुछ बता दूं– लेकिन•••शायद कोई फायदा नहीं !

 10th का प्री बोर्ड पास आ गया और मुझे स्कूल जाने में थोड़ी हिचकिचाहट होने लगी इस वजह से मैं हर दिन नए-नए बहाने स्कूल नहीं जाने की ढूंढती रहती—! लेकिन कब तक•••? 

प्री बोर्ड की वजह से मुझे स्कूल जाना ही पड़ता••! कभी सोचती पापा को सारी बात बता दूं फिर मम्मी की बात याद आती—-! 

 मां•••आज मैं स्कूल नहीं जाऊंगी वैसे भी मेरी प्री बोर्ड की एग्जाम शुरू होने वाली है सोचती हूं आज घर पर ही रह ,तैयारी करू•• और आपका व्रत भी है तो मैं किचन में  थोड़ी मदद भी कर दूंगी•••! 

 बहाने बाजी बहुत करने लगी है तू ••आजकल••• !

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चल आज भर रुक जा और सुन•• बाहर सविता आंटी के पार्क में फूल लगे हैं कुछ फूल  पूजा के लिए तोड़ ला•••!

 मम्मी हंसते हुए बोलीं।

  मां की सहमति मिल जाने से मुझे वह खुशी मिली जैसे ठंड के मौसम में सूरज भगवान के निकल जाने से  हमें खुशी मिलती है—!  हाथ में फूल डाली ले, मैं फूल तोड़ने के लिए चली लेकिन  वही आवारा लड़का अपने कुछ साथियों के साथ वहां से गुजर रहा था—मुझे देखते ही भद्दे ,अश्लील गाना गाने लग गया•••!  अब मेरी सांस गर्दन में ही अटक गई••! जल्दी-जल्दी दो-चार फूल लेकर घर चली आई••• लेकिन उसके बोले गये अश्लील शब्द से मुझ में हीन भावना पैदा हो गई••• !

बोलना बहुत कुछ चाहती थी दादी उसे•• परंतु मान-मर्यादा के ख्याल  से ••इस बार भी खून की घूंट पीकर रह गई•••! 

 हद तो तब हो गई जब हमारी कामवाली बाई को झाड़ू लगाते वक्त  एक कागज का टुकड़ा मिला जिसे वह जरूरी कागजात समझ, मम्मी को पकड़ा दी••• मां ने जब पढ़ा तो••यह क्या है काव्या••? 

   मैं फूट-फूट के रोने लगी••

देखा ना चुप रहने का नतीजा•• आप मुझे हमेशा से इग्नोर करने को बोलती ••अब देखिए बात यहां तक पहुंच गई  •••!

हां•• वह मैं भी देख रही हूं बेटा••! पर अब एक महीना ही तो रह गया है तेरी बोर्ड एग्जाम्स खत्म हो जाएगी •••!पापा का तो ऑलरेडी ट्रांसफर आर्डर आ ही गई है उन्होंने  ज्वाइन भी कर ली•••! 

तेरे एग्जाम के बाद हम भी यहां से निकल जाएंगे•• फिर यह फालतू का हंगामा करने से कोई फायदा नहीं ••उल्टे हमें ही बदनामी मिलेगी•••! 

अगले महीने एग्जाम खत्म होने के बाद हम रायपुर आ गए•• वहां का मैटर तो वही खत्म हो गया! परंतु आज उस घटना के सात साल हो गए लेकिन इस मेंटल टार्चर से मैंने अपना कॉन्फिडेंस खो दिया•• और मुंह दब्बू बन गई••• !

अभी हाल में••• मैं •••जब नानी घर (मामा का बेटा )संजू भैया की शादी में गई थी–!

शादी के माहौल में सभी अपने-अपने काम में व्यस्त थे अंजू दीदी ने मुझे सूखे कपड़े छत पर से लाने को कहा•• मैं अकेले ही छत पे गई वहां•• उनके हस्बैंड  बैठे चाय पी रहे थे मुझे देखते ही आ जाओ अंजू•••एक साथ चाय पीते हैं••! उनके ऐसे बोलते ही मैं कांपने लग गई•••! क्या हुआ काव्या•••? तुम इतनी डर क्यों गई—? जीजा जी ने मुझसे पूछा।  

मैं  उल्टे रास्ते वहां से नीचे चली आई •••!  

दादी मेरा कॉन्फिडेंस इतना लूज हो चुका है कि सही गलत में, मुझे फर्क पता नहीं चलता•••!

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 जहां बोलना चाहिए वहां चुप रहती हूं जहां चुप रहना चाहिए वहां झगड़ पड़ती हूं– कहते हुए काव्या दादी के गले से लिपट के रोने लगी•••।

 बस बेटा••• सब ठीक हो जाएगा•••! मैं तेरे साथ हूं•••! 

ड्राइंग रूम में सभी साथ बैठे थें•••।  काव्या की बड़ी बहन अनन्या जो कि एक डॉक्टर थी बहन की स्थिति जानकर वह बहुत दुखी हुई।

 आज••• काव्या की हालत की वजह सिर्फ तुम हो सरला •••!काव्य के पापा रवि जी उन्हें डांटते हुए बोले।

 जब वह पहली बार  टार्चर हुई•• यदि तुम उस समय उसका साथ देती•• उस लड़के को धमकाती••• या मुझे ही बताती•• तो हमारी बेटी की मन: दशा यह न होती•••!

 हां मैं अपनी गलती मानती हूं उस वक्त मुझे आपकी पोस्ट आपकी इज्जत का  ख्याल था ••कहीं बदनामी ना हो•• इस वजह से मैंने  उसकी बात को दबा दिया•• मैं स्वार्थी हो गई थी••• बेटी को इस कदर कमजोर कर दिया कि अब वह सही गलत का निर्णय नहीं ले पा रही है •••! सरला जी रोते हुए  बोली।

 मां•• जो हो गया सो हो गया••! अब हमें आगे की सोचनी होगी•• काव्या कैसे ठीक हो ये सोचना पड़ेगा•• और इसके लिए हमें सबसे पहले प्यार से उसकी सारी बातों  को सुनकर••  यह कहना होगा की•• गलती हमारी थी हमने इस बात पर ध्यान नहीं दिया••! अपनी गलतियों को मानकर ही हम उसको प्रेरित कर सकते हैं •••   अभी उसे हमारे प्यार की जरूरत है हमारे भरोसे की जरूरत है•••तभी हम उसका दिल जीत सकते हैं और उसमें कॉन्फिडेंस ला सकते हैं•••! पापा•••आपने देखा दादी की थोड़ी सी सहानुभूति और प्यार मिलते ही उसने सालों से रखी दिल की बात बता दी ••मुझे भरोसा है वह ठीक हो जाएगी वह बिल्कुल ठीक हो जाएगी•••!

परिवार का सहयोग और प्यार पा के काव्या धीरे-धीरे ठीक होने लगी उसके पापा हमेशा उसके साथ रहते  उसे प्रोत्साहित करते अब वह सामान्य जीवन जीने लग गई। 

दोस्तों यह कहानी तो थी काव्या की परंतु ऐसी कहानी कितनी  काव्या की हैं जो अपने मन में बातों को दबा के रखती है जिससे उनकी मनोदशा बिगड़ जाती हैं। जो बात अगर बच्चे अपने माता-पिता से शेयर करना चाहते हैं तो हमें उन्हें सुन लेना चाहिए और उनकी समस्या का निदान ढूंढना चाहिए ना कि अपनी इज्जत और रुतबे का ख्याल कर उनकी बातों को दबाना चाहिए। इससे बच्चों में  आत्मसम्मान और कॉन्फिडेंस की कमी हो जाती है।

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धन्यवाद ।

मनीषा सिंह

#अनकहा दर्द

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