…🖊️आज मुझे अपनी माँ की बात स्मरण हो आई l
बोलती थी बेटा किसी बेसहारा की “मदद” जरूर करो।
अगर आप कर सकते हो अपनी सुविधा अनुसार जरूर “मदद” करो।
मैंने भी एकबार ऎसा करके देखा l बल्कि अब तो कई बार किया है l और बहुत ख़ुशी मिलती है। उसी में से एक आपके समक्ष प्रस्तुत है l हो सके तो आप भी करना l
……बहुत समय बीत गया मुझे याद है जब मै अपने बेटे की फीस देने उसके स्कूल गया l एक छोटी सी बच्ची स्कूल के पास ही बैठी रो रही थी ओर पास ही बैग भी पड़ा था l मैंने उससे पूछा तुम बाहर क्यों बैठी हो बेटी ओर रो क्यों रही हो l ओर तुम्हारा नाम क्या है गुड़िया l
पहले तो वो घबराई फ़िर डरते डरते बोली..
….अंकल जी मेरी मम्मी बीमार हैं और मम्मी ने मुझे मेरी फ़ीस जमा करने के पैसे दिये थे वो मुझसे गुम हो गये l अब फ़ीस नहीं दे सकती l स्कूल जाऊँगी तो मेडम गुस्सा होंगी और घर जाऊँगी तो मम्मी मारेगी l अब मैं क्या करूं अंकल जी….!
….क्यूँ गुड़िया तुम्हारे पैसे कहाँ गये.. कैसे गुम हो गये…?
….अंकल जी मैंने अपनी फ्रॉक की जेब में रखे थे मेरी जेब फटी थी मुझे नहीं पता था…!
….कितने पैसे थे गुड़िया… फ़ीस कितनी देनी थी..?
….अंकल जी एक नोट सौ का था और एक पचास का था…!
….अच्छा गुड़िया आपका नाम क्या है..?
….मेरा नाम अंकल जी गुड़िया ही है आपको कैसे मालुम..!
….अरे गुड़िया मैंने तो प्यार से बोला था गुड़िया…
….अच्छा अंकल जी आप भी मेरे पापा की तरह प्यार से गुड़िया बोले मेरे पापा भी मुझे प्यार से गुड़िया बुलाते थे l
इसीलिए मम्मी ने मेरा नाम गुड़िया ही रख दिया l
….अच्छा गुड़िया तुम्हारे पापा क्युं नहीं आये फ़ीस देने….?
….अंकल जी मेरे पापा मैंने देखे ही नहीं…!
मम्मी कहती हैं वो भगवान के पास चले गये..!
लेकिन मुझे लगता है कि मेरे पापा भी ना आपके जैसे होंगे… आप ही ने पूछा ओर किसी ने नहीं पूछा मुझसे सब बच्चे ओर मेडम भी मुझे देखकर भी स्कूल के अंदर चले गये सब गंदे हैं…!
…..अच्छा गुड़िया आपका घर कहां पर है…?
…..अंकल जी वो देखो सामने वहाँ एक मेज रखी है ना वहां पर है मेरा घर मेरी मम्मी ना सबके कपडों को प्रेस करती है मेरी मम्मी बहुत बीमार है बिस्तर से उठ नहीं सकती मैं ओर मम्मी रहती हैं उस घर में बस l
आज मैं खुद तैयार होकर आई हूँ l देखो मैंने अपने बालों
की चोटी भी अपने आप बनाई है l
…..अच्छा गुड़िया मैं आपकी फीस जमा कर देता हूँ तो आप स्कूल चली जाओगी….?
…..ना अंकल जी मेरी मम्मी ने मुझे मना किया है, कहा है किसी से भी कभी भी पैसे या खाने की चीज मत लेना l
….अच्छा गुड़िया मैं आपके स्कूल में आपके साथ चलता हूँ ओर फ़ीस जमा कर देता हूँ फिर तो ठीक है l
…..लेकिन अंकल जी मैं आपके पैसे कहाँ से दूँगी l
…..अरे मेरी प्यारी गुड़िया जब आपकी मम्मी ठीक हो जाएंगी प्रेस करने लगेगी तब आप मुझे मेरे पैसे वापिस कर देना l
…..हां अंकल जी ये ठीक है लेकिन अंकल जी मुझे आपका घर तो पता ही नहीं तो मैं आपके पैसे कैसे दूँगी…?
…..ओहो ये तो मैंने सोचा ही नहीं… गुड़िया..
अच्छा गुड़िया आप ना ऎसा करना मैं अगली बार फ़ीस देने जब आऊँगा तो आप मुझे यहीं मिलना ठीक है…
ठीक अंकल जी..!
…गुड़िया की ओर अपने बेटे की फीस देकर गुड़िया को स्कूल के अंदर भेज कर मैं बाहर आ गया l ओर ऑफिस चला गया l
दिन यूँ ही बीत गए…
फ़िर फ़ीस देने का दिन आ गया और मैं फिर फ़ीस देने के लिए निकल गया घर से कुछ दूर चलते ही मुझे गुड़िया की बात याद आ गई l
सोचा चलो उस गुड़िया से भी मिल लूँगा पर पता नहीं वो मिलेगी के नहीं यही सोचते सोचते स्कूल के पास आ गया l ओर देखा कि गुड़िया एक महिला के साथ वहीं बैठी है जहाँ उस दिन बैठी थी l शायद उसकी मम्मी थी यही सोचते मैं उनके पास जैसे ही पहुंचा….
…. गुड़िया ने खूश होकर मम्मी को बताया मम्मी मम्मी देखो वही अंकल जी आ गये जिन्होने फ़ीस दी थी…. गुड़िया बहुत खूश थी ओर उससे भी ज्यादा खूश उसकी मम्मी थी….!!
…..गुड़िया भागकार आई और मुझसे लिपट गई मैंने उसको गोद में उठा लिया और वो मुझे प्यार से देखती रही…
….तभी गुड़िया की मम्मी बोली….
….नमस्कार भाई साहब जी आपने उस दिन गुड़िया की फीस देकर मुझपर ओर गुड़िया पर बहुत बड़ा अहसान किया हमारी “मदद” की, मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगी…! भाई साहब…..!
मुझे बड़ी खुशी हुई के आज भी भले लोगों की कमी नहीं है दुनिया में आप बहुत अच्छे इंसान हैं आपका बहुत बहुत धन्यवाद….
….ओर फ़ीस के पैसे मुझे देने लगी…..
…..ये लो साहब आप बुरे वक़्त पर हमारे काम आये ईश्वर आपकी मनोकामनाएं पूरी करे…!!
……अरे अरे रूको जरा पहले ये बताओ आप स्वस्थ तो हो ना…?
……जी भाई साहब मैं ठीक हूँ….!
…..अहा ये हुई न बात अब ठीक है….
…..क्या ठीक भाई साहब…? महिला अचंभित होकर बोली..?
….अरे आपने जो अभी बोला….
…..महिला बोली क्या बोला…?
……आपने बोला भाईसाहब… तो मैं आपका भाई हुआ ओर जो मुझे भाई माना है तो मैं गुड़िया का मामा हुआ….
अब जब मैं गुड़िया का मामा बन ही गया हूँ तो पैसे कैसे…
इन पैसों से गुड़िया की नई सुन्दर सी ड्रेस दिला देना मामा की ओर से…
…..क्यूँ गुड़िया लोगी ना सुंदर सी ड्रेस…
…..गुड़िया ने भी खूशी से हां कर दिया ओर मुझे प्यार से चूम लिया ओर मैंने भी गुड़िया को चूम लिया l
…..ओर अपने अपने घर चले गये l
…🖊️विनोद शर्मा”विश” (दिल्ली)