जिज्जी,अगले महीने की अठारह को पड़ी है निम्मो की शादी,सबसे पहले तुम्हें ही फोन कर रही हूंँ,आठ दिन पहले आना,सारे रीति-रिवाज तुम्हीं तो बताओगी ना,और कोई बहाना ना बनाना,बता देती हूंँ…हांँ “-फोन पर अल्पना अपनी बड़ी बहन निर्मला से कह रही थी।
“अरे क्यों ना आऊंँगी,इतनी बड़ी खुशी की बात है,वैसे कहांँ कर रही हो, लड़का-परिवार सब कैसा है?”
“निम्मो के तो भाग्य जाग गए जिज्जी,लड़का आई आई टी से पढ़ा इंजीनियर है और परिवार की तो पूछो मत,इतने अच्छे लोग अब नहीं मिलते यही समझ लो”
“वाह, बहुत अच्छी बात है, कहांँ नौकरी करता है लड़का”
“देखो जिज्जी,तुमसे क्या छिपाना तुम दूसरी तो हो नहीं। दरअसल होने वाले समधी जी के दो बेटे हैं,दोनो आई आई टी से पढ़े इंजीनियर है।बड़ा वाला पढ़ाई करके मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहा है और छोटा वाला अंतिम साल की पढ़ाई कर रहा है।अब बात ये हुई….आजकल तो जानती ही हो,बच्चे कितनी आसानी से प्यार मुहब्बत में पड़ जाते हैं।तो उनके बड़े बेटे भी किसी विजातीय लड़की को दिल दे बैठे हैं।पर है मांँ के अंधभक्त और उनकी मांँ को निम्मो हद से ज्यादा पसंद है।अब सारा परिवार उन्हें मनाने में लगा है कि प्यार का भूत सर से उतारें और मांँ की पसंद से शादी रचा लें।वैसे भी ये प्यार व्यार का बुखार शादी के बाद बीबी का साथ पाकर ऐसे ही उतर जाता है ।”
“पर अल्पना,तुम बेटी की जिंदगी से इतना बड़ा रिस्क कैसे ले सकती हो,लड़का ना माना तो?”
‘जिज्जी,पहले पूरी बात तो सुन लो..वो लोग बहुत ही भले है। उन्होंने कहा है कि वो बड़े बेटे को मना रहे हैं मान गया तो बड़ी अच्छी बात है,और वो आश्वस्त हैं कि वो उसे मना ही लेंगे। बाई चांस ना माना तो छोटा बेटा तो है ना,उसी से निम्मो की शादी करवा देंगे।अरे लड़के की मांँ को इतनी पसंद आई गई है ना अपनी निम्मो की वो किसी भी हाल में उसे अपनी बहू बनाना ही चाहती है।”
“अल्पना,शादी तुम लड़के से करोगी या उसकी मांँ से, तुम लोगों ने छोटे लड़के को देखा,उससे बात करी,उससे पूछा कि वो तैयार है या नहीं”
“मानती हूंँ जिज्जी,समय बहुत बुरा है,भरोसा नहीं होता किसी पर, लेकिन ये लोग बहुत ही अच्छे हैं ।छोटा बेटा तो आया था निम्मो को देखने,बड़े भाई सा सुंदर तो ना है,पर बहुत ही सज्जन है।वैसे अगर उससे शादी की नौबत आई तो,बिना उसकी सहमति के शादी थोड़े ही हो जाएगी।”
“अल्पना,तुम मांँ हो अपनी बेटी का भला ही सोचोगी,पर मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा”
“चिंता ना करो आप जिज्जी,आठ दिन पहले आ रही हो ना,जो होगा आपके सामने ही होगा,आप भी बात करके तसल्ली कर लेना।”
फोन रखने के बाद निर्मला गहरी सोच में डूब गई।अल्पना की तीन बेटियां हैं,तीनों पढ़ लिख रही हैं,निम्मो तो नौकरी भी करने लगी है,अल्पना के पति सरकारी विभाग में हैं, सीमित आय है।पर बच्चे तीन हो या तीस,कोई भी मांँ बाप किसी भी बच्चे के जीवन से इतना बड़ा जोखिम कैसे उठा सकता है। दहेज भी नहीं मांगा उन्होंने एक पैसा,इतने आदर्शवादी है।कोठी,बंगला गाड़ी सब है कोई कमी नहीं, यहां तक तो सब ठीक है,पर ये किस तरह की बात है कि बेटे को मनाएंगे..अभी भावावेश में आकर लड़का मान भी जाए,पर वो लड़की तो उसके साथ काम करती है,शादी के बाद भी उसके संपर्क में रहा तो क्या निम्मो की जिंदगी नरक नही बन जाएंगी।
सोच सोचकर निर्मला बेचैन रहती।खैर वो समय भी आ गया जब वो बहन के घर पहुंँची।
शादी की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थी।सब काफी खुश थे।निर्मला को निम्मो की फ़िक्र थी,देखा निम्मो भी परेशान नहीं हैं हंँस बोल रही है तो उसे अच्छा लगा,पर कैसे इस ‘शादी कम सौदे” के लिए मान गई आजकल की लड़की,ये आश्चर्य का विषय तो था।
चलो अच्छा ही है,आजकल के बच्चे ज्यादा सोचते नहीं “जब जैसा तब तैसा” पर चलते हैं,तो कष्ट भी ज्यादा नहीं होता–निर्मला ने मन ही मन सोचा।
ठीक वही हुआ जिसका अंदेशा था,लग्न पोटली के साथ खबर भी आई कि बड़ा लड़का तैयार नहीं,छोटे से ही शादी होगी।खैर,सब तो तैयार थे ही।
सबसे बड़ा विस्फोट शादी के दिन हुआ।
सुबह से निम्मो गायब थी,बारह एक बजे के आसपास एक लड़के का हाथ थामे,वरमाला डालें हाजिर हो गई।माता पिता सहित सब सदमे में थे।
मम्मी,पापा…ये राहुल है,मेरा सहकर्मी। हमलोग एक दूसरे को बहुत पसंद करते हैं। मैंने कुछ महीनों पहले ही आप लोगों से बात की थी।पर आप लोगों ने राहुल के विजातीय होने के कारण, घर की इज्ज़त, बहनों की शादी में दिक्कतें और समाज में हुक्का पानी बंद होने की बात की। मुझे और राहुल को और किसी बात की नहीं पर बहनों की चिंता तो थी,तो हमने जिंदगी भर अच्छे दोस्त रहने का वादा लेकर अपने अपने रास्ते भी अलग कर लिए।
फिर घर में शादी की बात चली,बड़े बेटे तक तो ठीक था,पर जब वे लोग सौदेबाजी पर उतर आए कि “अच्छा ये पसंद नहीं तो ये रख लो” तो मैं अंदर तक हिल गई।मेरी किससे शादी होगी,मुझे ये पता तक नहीं होगा। मैं सपने और अरमान भी नहीं पाल सकती, क्योंकि मेरा दुल्हा कभी भी बदल जाएगा।मेरे एक तरफ कुआं एक तरफ खाई,बड़े बेटे ने शादी के बाद भी विवाहेत्तर संबंध रखें तो भी मेरी जिंदगी खराब,छोटे बेटे ने पारिवारिक दवाब में शादी करके मुझे कभी मन से ना अपनाया तो भी जिंदगी खराब।चलो मान लिया सब ठीक रहा, लेकिन ये जीवन तो ऐसे ही अनिश्चितताओं से भरा है,मैं जानबूझकर इतना बड़ा जोखिम क्यों उठाऊं। इसलिए मैंने फैसला कर लिया था चाहे उनका निर्णय जो हों, मैं अब वही करूंगी जो मेरी खुशी है।
मेरी जिंदगी है कोई कठपुतली का खेल नहीं मम्मी पापा।रही बात उनको जवाब देने कि उन्होंने जो किया उनको ऐसा ही जवाब मिलना चाहिए। इतनी ज्यादा पसंद थी मैं तो पहले ही दिन से छोटे बेटे की बात क्यों नहीं की।सोचा मिडिल क्लास लोग हैं जुआ खेल लेते हैं इनके साथ,बड़ा हाथ से बाहर है हाथ में आ गया तो ठीक वरना छोटे से शादी करवा कर महानता का तमगा तो मिल ही जाएगा।
मैं मम्मी पापा,अपनी बहनों और यहांँ मौजूद सभी लोगों से माफी मांगती हूंँ, उसके लिए जो मैंने किया।पर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं बचा था,मैं जिंदगी जीना चाहती हूं,काटना नहीं।–निम्मो ने हाथ जोड़कर कहा और रो पड़ी।
निर्मला आगे बढ़कर आई और निम्मो को कलेजे से सटा लिया।
बहुत अच्छा किया बेटा,मुझे तुम पर गर्व है।मैं पुराने ख्यालात की हूं,पर आज जाने क्यों मुझे तुम्हारा निर्णय बहुत अच्छा लगा,मेरे दिल को छू गया। अपने हाथों अपने आप को हर रोज तिल तिल मारने से कहीं अच्छा है, परिवार और समाज तुम्हें धिक्कारे,मरा मान ले।
अरे अल्पना, आशुतोष जी आपलोग खड़े खड़े मुंँह क्या देख रहे हैं आगे आकर अपनी बेटी,दामाद और उनके निर्णय को स्वीकारिए और आशीर्वाद दीजिए।इनकी शादी कोर्ट और मंदिर में हुई हो,आज शुभ मुहूर्त में हम पूरे विधि-विधान से इनकी शादी करवाएंगे। ईश्वर ने आपको बहुत समझदार बेटी दी है,आजका एक ग़लत फैसला अगर उसकी जिंदगी खराब कर देता तो क्या आपलोग कभी चैन से जी पाते।
पर जिज्जी… मर्यादा तो टूटी ना…?
अरे बेवकूफों, जहां आपलोग इसे बांध रहे थे मर्यादा हीन तो वो थे जो अपने दोनों बेटों पर सौदेबाजी कर रहे थे,और मर्यादा प्यार करने से नहीं धोखा देने से टूटती है…जीवन भर साथ रहने का फैसला कर तो हमारी बेटी ने हमारी मर्यादा बढ़ा दी है।
अल्पना आशुतोष और दोनों बहनों ने आकर निम्मो को गले से लगा लिया।एक सुखद बदलाव सबके सामने था।