एक बार साईं बाबा एक गांव में पहुंचे और वहां पर रात बिताने को सोचा। गांव के जितने भी लोग थे सब लोग सोच रहे थे कि साईं बाबा आज रात मेरे घर आकर गुजारे लेकिन साईं बाबा ने किसी के घर रात गुजारना स्वीकार नहीं किया बल्कि उन्होंने यह कहा कि वह गांव के बाहर जो झोपड़ी दिख रही है मैं वहीं पर रात बिता लूंगा।
तभी गांव के प्रधान ने साईं बाबा से बोला बाबा आप वहां कैसे रह सकते हैं झोपड़ी में तो कुष्ठ रोगी रहता है पहले वह इसी गांव में रहता था लेकिन जब से उसे कुष्ठ रोग हुआ है हम लोग ने उसे गांव से बाहर रहने के लिए बोल दिया है। साईं बाबा ने किसी की नहीं सुनी उन्होंने बोला मैं तो आज रात उसी के साथ गुजार लूंगा।
साईं बाबा झोपड़ी के पास पहुंचे और दरवाजा खटखटाया अंदर से कुष्ठ रोगी बाहर निकला और साईं बाबा के चरणों में गिर गया। बाबा ने बोला उठो बेटा। आज मैं तुम्हारे झोपड़ी में ही रात बिताने आया हूं। कुष्ठ रोगी बोला बाबा आप मेरे साथ कैसे रह सकते हैं मैं तो कुष्ठ रोग से ग्रसित हूं सब लोगों ने मुझे गांव से बाहर कर दिया है आप यहां पर मेरे साथ रहेंगे तो आपको भी कुष्ठ रोग हो जाएगा और मैं नहीं चाहता हूं कि आपको भी मेरा रोग हो।
साईं बाबा बोले कुछ भी हो बेटा आज तो रात मैं तुम्हारी ही झोपड़ी में गुजारुंगा
साईं बाबा ने पूरी रात उस कुष्ठ रोगी की झोपड़ी में कीर्तन किया और सुबह होते ही कुष्ठ रोगी को जगाया और बोले।
बेटा मैं अब जा रहा हूं सुबह हो गई है और तुम भी गांव की ओर लौट जाओ। कुष्ठ रोगी भोला बाबा मैं गांव में कैसे जा सकता हूं गांव वाले मुझे कहां रहने देंगे। बेटा अब गांव वाले तुम्हें रहने देंगे अपने शरीर से चादर तो हटाओ।
कुष्ठ रोगी क्या देखता है कि उसके शरीर के सारे रोग दूर हो गए हैं और वह बिल्कुल ही स्वस्थ हो गया है।
साईं बाबा ने उस कुष्ठ रोगी से इतना ही कहा- आज के बाद मानव की सेवा करना ही अपना जीवन धर्म बना लो और याद रखो किसी भी इंसान से घृर्णा नहीं करोगे बल्कि जो भी तुम्हें इस तरह के लोग मिलेंगे उनकी सहायता करोगे। ऐसा बोलकर साईं बाबा दूसरे गांव में भ्रमण के लिए चल दिए।