ससुराल से घर आई बेटी नयना ने जैसे ही सूटकेस के साथ घर में अकेले प्रवेश किया उसकी मां मधु का माथा ठनक गया। वह अपनी बेटी का चेहरा पढ़ने की कोशिश करने लगी पर उन्हें कुछ खास समझ नहीं आया ,पर मां का दिल कहे या जिंदगी का अनुभव उन्हें अपनी लाडली का यूं अचानक आना कुछ समझ नहीं आया।
घर में सभी नैना से बहुत प्यार करते हैं जब उसने श्लोक से शादी करने का निर्णय लिया तो मधु जी को और सभी को श्लोक बहुत पसंद आया, शायद चिराग लेकर ढूंढने पर भी उन्हें श्लोक जैसा दामाद ने मिलता , कोई किसी तरीके का ऐब नहीं था उसमें,साधारण शख्सियत और मध्यम वर्गीय परिवार का संस्कारी बेटा था श्लोक।
पर मधु जी के मन में एक ही बात चल रही थी कि श्लोक अपने घर का बड़ा बेटा था उसके कंधों पर घर परिवार की जिम्मेदारी थी।
क्या उनकी लाडली श्लोक जैसे सादगी पसंद लड़के और उसके मध्यवर्गीय परिवार के साथ कदम से कदम मिलाकर चल पाएगी? गृहस्थी की गाड़ी सुखपूर्वक निभा पाएगी?
जहां श्लोक की छोटी बहन प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी , वही उसका छोटा भाई बैंक की तैयारी में जुटा हुआ था। श्लोक की मां बहुत ही सरल स्वभाव घरेलू महिला है जिन्होंने अपने बच्चों की परवरिश बहुत ही अच्छे संस्कारों के साथ की है ,वो भी अपने पति की सीमित आमदनी में। श्लोक के पिताजी एक सरकारी स्कूल में अध्यापक रहे हैं जो अभी 2 साल पहले ही रिटायर हुए थे।
जबकि उनकी नैना तो अपने घर में अपनी दादी, अपने पापा और सभी की इतनी लाडली रही है उसकी एक मांग मुंह खोलने से पहले ही पूरी की गई थी।बस इसी कशमकश में वो नैना को कुछ और सोच विचार करके शादी का फैंसला लेने के लिए बोलना चाहती थी।
नैना और उसके भाई के जन्म से पहले उनका भी परिवार साधारण मध्यवर्गीय ही था ।ईश्वर की कृपा से नैना और उसके भाई के जन्म के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया। कभी मधु जी के पति अरुण भी साधारण व्यापारी थे।पर जब से उन्होंने प्रॉपर्टी डीलर का काम करना शुरू किया है उसमें उन्हें हर कदम मुनाफा हुआ और उनका परिवार शहर के खास संबद्ध लोगों में गिना जाने लगा ।
उन्होंने नैना को समझाना चाहा की एक बार फिर अपने फैसले पर सोचे, उसे समय दे, लेकिन नैना नहीं मानी। फिर मधु जी ने अपने पति को अपने मन की दुविधा के बारे में बताया तो उनके पति अरुण जी ने उनका हाथ पकड़ कर कहा कि जब तुम मेरी जिंदगी में आई थी और शादी करके मेरे घर आई थी तो मेरे पास भी क्या था? क्या तुमने मेरा और मेरे परिवार का साथ नहीं निभाया? और देखो जोड़ियां तो ऊपर से बनकर आती हैं, भरोसा रखो मधु सब अच्छा ही होगा।
फिर उनकी और उनके पति की श्लोक से मिलने के बाद एकराय हो गई। उन्होंने सोचा इतना समझदार लड़का है शायद नैना की नादानियों को वही संभाल सकता है। श्लोक गुणीं होने के साथ-साथ स्वाभिमानी भी बहुत था। उसने किसी भी तरह की दी जाने वाली मदद को हाथ जोड़कर बहुत ही सुभ्रांत तरीके से मना कर दिया। उसका कहना था कि वह कम से कम साधनों में भी उनकी बेटी को बहुत अच्छे से खुश रख सकता है ।
शादी का मुहूर्त निकाला गया दोनों परिवारों ने बहुत ही खुशी और कुछ ही रिश्तेदारों की मौजूदगी में साधारण तरीके से विवाह संपन्न किया। जैसे ही बारात आई मधु जी ने जब श्लोक को देखा तो वह श्लोक जैसा दामाद प्रकार अपने आप को धन्य मान रही थी, बिल्कुल साक्षात श्री राम जैसा उनका दामाद श्लोक जंच रहा था। सभी रिश्तेदारों ने भी श्लोक जैसा दामाद पाने की की बहुत बहुत बधाई दी और प्रशंसा की। उन्होंने भी अपनी बेटी के भाग्य की मन ही मन सराहना की।
नैना भी विवाह के जोड़े में आज बहुत ही सुंदर लग रही थी एक तो नैना के नयन नक्श सुंदर थे ही उस पर अपना मनचाहा जीवन साथी पाने का रंग उसके चेहरे पर गुलाब की तरह खिल आया था।
सारी रस्में बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ मनाई गई और सुबह की बेला में तारों की छांव में घर की लाडली अपने पिया के घर विदा हो गई। उनका आंगन जैसे सूना हो गया पर मन में परम संतोष था श्लोक जैसा दामाद और घर परिवार पाकर।
फिर आज अचानक नैना जब घर अकेले आई तो उनके मन में हजार सवाल उठ गए वो नैना से इस बाबत बात करना चाहती थी पर नैना अपनी मां से कुछ दूर दूर ही भाग रही थी।
रात को थोड़ा उचित समय जानकर वो नैना के पास गई जो अधलेटी सी किन्हीं विचारों में खोई थी। मधु जी उसके सिर की मालिश करने लगी। मालिश करते-करते वो उसकी ससुराल के हाल-चाल पूछने लगी पहले तो नैना ने कुछ नहीं कहा पर अनुभवी मां से ज्यादा देर तक कुछ छुपा ना सकी।
उसने आखिर बता ही दिया कि वो आज श्लोक से झगड़ा करके हमेशा हमेशा के लिए वो घर छोड़ आई है। मधु जी और उनके पति उसकी बात सुनकर स्तब्ध थे ।उन्हें एक पल को लगा की खानदान की इज्जत का क्या होगा , समाज में लोग क्या कहेंगे,कुछ समय पूर्व ही तो बेटी ने अपनी मनपसंद विवाह किया है और आज अचानक यूं घर लौटना कुछ समझ नहीं आया ।उन्होंने उस समय तो ज्यादा कुछ नहीं कहा पर मन ही मन सोचने लगे कि किस तरह वो नैना को समझा सकती हैं।
और फिर नैना का घर छोड़कर आने का कारण कोई खास भी तो नहीं था ,बस वही छोटी-छोटी उससे बातें उसे अखरने लगी थी। क्योंकि वो यहां पूरे परिवार का केंद्र थी और वहां अपनी ससुराल में थोड़ा तो फर्क पड़ता ही है। मधु जी अच्छे से जानती हैं कि गृहस्थी की गाड़ी को चलाने के लिए थोड़ा बहुत एडजस्टमेंट बहुत जरूरी है।
अगले दिन उन्होंने अपनी बेटी नैना को समझाना चाहा कि बेटा श्लोक और उसका परिवार लाखों में एक है और सबसे बड़ी बात तो वह तुम्हारी खुद की पसंद है, तो इस पर वह अपनी मां से बोली कि आप तो यह बात बड़ी आसानी से बोल सकती हो मां ,क्योंकि यहां आपका तो भरपूर प्यार सम्मान मिलता है और एक मैं हूं मां की मैं कुछ भी अपने मां का वहां नहीं कर सकती।
इस पर उसके पापा ने उससे कहा बेटा सम्मान पाने के लिए पहले तुम्हें सम्मान देना पड़ता है और अभी तुम्हें समय ही कितना हुआ है उस घर में। तुम्हारी मां के लिए जो तुम बात कर रही हो आज तुम्हें बताता हूं कि तुम्हारी मां ने किन-किन परिस्थितियों में मेरा साथ दिया है ।जब मेरी तुम्हारी मां के साथ शादी हुई थी तो मैं बिल्कुल साधारण सा एक व्यापारी था । एक छोटी सी साबुन की एजेंसी में काम करता और तुम्हारी मां अच्छे खासे घर से आई थी, पर तुम्हारी मां ने कभी मुझे यह एहसास नहीं दिलाया कि वह तकलीफ में है या उसे वो सबकुछ नहीं मिल रहा जो उसके अपने घर में था।
तुम्हारी छोटी बुआ की शादी में तो इसने अपने कुछ गहने भी मुझे दे दिए क्यूंकि उस समय हमारी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। तुम्हारे दादाजी इतने बीमार रहे इसने ही उनकी इतनी सेवा की, क्योंकि तुम्हारे चाचा चाची तो दूसरे शहर में रहते थे। तुम्हारी मां के अच्छे मधुर स्वभाव और मिलनसार भाव के कारण ही यहां तुम्हारे बुआ चाचा दादी तुम्हारी मां को इतना प्यार और सम्मान देते हैं।
और बेटा श्लोक में मुझे अपना ही प्रतिबिम्ब दिखता है, तू बस थोड़ा सा धैर्य से काम ले ,वह जल्द ही एक बहुत सफल इंसान होगा, हीरा है श्लोक, हीरे को ठोकर मत मार बेटी। बहुत ही किस्मत वालों को ऐसा जीवन साथी मिलता है। और एक बात यह भी तो सोच कि यदि कुछ ग़लत होगा तो हम सब तो तेरे साथ है ना। कुछ तो अपने रिश्ते को समय दे लाड़ो ।
इतना सुनकर नैना रोने लगी उसने अपने पापा से माफी मांगी उसने श्लोक को फोन लगाया और कहा मैं अपनी गलती के लिए माफी मांगती हूं आप ऑफिस से आते समय मुझे ले जाएगा । उधर से आवाज आई मोहतरमा ऑफिस से आते वक्त क्यों मैं तो अभी आपको लेने आ जाता हूं,तभी मोबाइल पर बात करते-करते श्लोक कमरे के अंदर आ गया नैना दिखती रह गई और उसे मां-बाप की और श्लोक की सारी बातें समझ आ गई।
आज उसके माता-पिता की एक अच्छी सीख ने उसका घर परिवार उजड़ने से बचा लिया।
ऋतु गुप्ता
खुर्जा बुलन्दशहर
उत्तर प्रदेश
#खानदान की इज्जत
Reading From Bulandshahr… feeling refresh after read your story, especially we are neighbours
एक समझदारी भरा कदम माताजी व पिताश्री का तथा श्लोक का भी।
शब्दों का सुंदर संकलन, एक सारगर्भित कहानी। वाह 🌹