माफी तो मुझे मांगनी चाहिए बहू – मीनाक्षी सिंह

सुन रही हैँ हेमा ,देख मीनू ने फिर पेशाब कर दिया ! साफ कर दें आकर ! पूरे नौ महीने की गर्भवती हेमा किचेन में बर्तन धोते हुए छोड़ ,हांफ़ती हुई हाथ में पोंछा लिए आयी ! डॉक्टर ने सख्त हिदायत दे रखी थी कि अभी शरीर कमज़ोर हैँ ,जल्दी दूसरा बच्चा मत करना ! पर घर की एकलौती बहू होने के नाते सास ससुर का एक पोता देखने का दबाव उसे चैन से जीने भी नहीं दे रहा था !

हेमा को लगा शायद पोता होने के बाद घर में उसकी इज्जत कुछ बढ़ जायें क्यूँकि पहली बेटी होने के बाद सास निर्मला दहाड़े मारकर जो रोयी थी ! कभी पोती को गोद में नहीं उठाया ! घर का सारा काम ,बेटी का पालन पोषण सब अकेले हेमा ही करती ! ना ही खाने को ठीक से मिलता ,रोटी खाती तो बेटी को पोटी भी उसी समय आती !

जब तक उसे साफ करती ,दूसरे काम का बख्त हो ज़ाता ! एक आधी रोटी खा फिर काम पर लग जाती हेमा ! ऐसा नहीं हैँ कि हेमा कुछ जानती नहीं थी य़ा उसके मुंह में जबान होता थी ! सम्पन्न परिवार की स्नातक की हुई ,गोरा वर्ण ,पतले दुबले शरीर की आकर्षक व्यक्तित्व था उसका तभी तो पतिदेव हितेश को एक नजर में ही भा गयी थी !

हितेश भी रेलवे में अधिकारी के पद  पर था ! प्यार तो बहुत करता था हेमा से पर हेमा के दुख दर्द उसकी समस्या जानने का समय कहाँ था उसके पास ! सुबह का निकला रात को घर  आता था ! हेमा भी उसे थका हुआ देखती तो अपनी तकलीफ बयां ना करती ! पति भी सोचता ,घर में माँ बाऊ जी हैँ ,ख्याल रखते होंगे उसका !

ऊपर से मायके से माँ की दी हुई हिदायत कि  जीवन ससुराल से ही कटेगा बेटी ,भला हो य़ा बुरा ! तुझे अब वहीं जीवन गुजारना हैँ ! किसी बड़े को जवाब मत देना कभी ! धीरे धीरे सब समझने लगते हैं ! और सास ससुर कौन सा जीवन भर तेरे साथ रहेंगे ! जब तक हैँ खूब सेवा कर ,उनका आशीर्वाद ले ! बस यहीं सोचकर आज तक उफ़ ना की हेमा ने !

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अब दूसरी बार गर्भवती थी वो बस दिन रात ईश्वर से यहीं मांगती रहती अबकी बार बेटा दे देना ! सासू माँ ने आज तक नौकरानी भी ना लगाने दी यह सोचकर कि यहीं क्या करेगी घर में रहकर ! पूरे दिन बस चारपाई पर बैठी बैठी हुकम देती रहती !

नवां महीना चल ही रहा था उसका कि  पतिदेव का एक्सीडेंट हो गया ! अब तो जैसे दुखों का पहाड़ टूट गया हेमा पर ! डॉक्टर ने एक महीने तक हिलने डुलने की भी मना कर दी ! सारे काम पतिदेव के बिस्तर पर ही करती हेमा ,छोटी सी बेटी अलग रोती! उसकी तरफ इतना ध्यान ना  दे पाती ! एक बार सासू माँ कमरे में गयी बहू के !

थोड़ी देर दरवाजें पर खड़ी रही ! क्या देखती हैँ ,बेटी मीनू  को गोद में लिए बेटे हितेश के पैरों में गर्म तेल से मालिश कर रही थी ,तभी हितेश को टोयलेट आयी ,उसने बेटी को एक तरफ बिस्तर पर लिटा हितेश को पोट में टोयलेट करायी ! उसे साफ किया ,दवाई खिलायी ,पानी पिलाया ! मीनू रोती रही ! इतना करते करते हेमा की सांस फूल गयी ! हितेश ने हाथ पकड़ उसे अपने पास बैठाया ! रुआंसा हो बोला – तुम भी थोड़ा  आराम कर लो ! ऐसी हालत में भी इतना काम करती हो ,अगर मैं बिमार ना होता तो तुम्हारी तकलीफ समझ ही ना पाता ! ठीक होते ही रेलवे

क्वार्टर्स में चलेंगे हम ,वहीं रहा करेंगे ! तुम्हे इतना काम नहीं करना पड़ेगा !

अरे नहीं नहीं ,मैं कहीं नहीं जाऊंगी ,माँजी ,बाऊजी को हमारी ज़रूरत हैँ ! बुढ़े हो गए हैँ वो ,अकेले कैसे रहेंगे ! बस अभी थोड़ा मेरा समय भी ऐसा चल रहा है इसलिये थकान हो जाती  हैँ !

किस मिट्टी की बनी हो तुम ! इतनी सहनशक्ति कहाँ से लाती हो !

अब रहने दिजिये ,खाना बना दूँ ,माँजी पापा जी भूखे होंगे !

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हेमा के बाहर आने से पहले ही निर्मला जी बाहर जल्दी से आकर चारपाई पर बैठ गयी ! अगले दिन से नयी निर्मला जी का जन्म हुआ ! जो सुबह उठते ही मीनू को संभालती ! हेमा से कहती तू आराम  कर ! मैं देख लूँगी लाडो को ! उसके सारे काम खुद ही करती ! शाम को बल्देव जी (ससुर ) जी से बहू के लिए अनार का जूस ,फल ,नारियल  पानी मंगवाती ! घर के कामों में भी बराबर हाथ  बंटाती ! हेमा भी अपनी सासु माँ के अचानक से बदले हुए रुप को समझ नहीं पा रही थी !

हेमा को प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी ! उसे अस्पताल में भरती कराया गया ! उसने फिर से एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया !

डॉक्टर ने  कहा लक्ष्मी आयी हैँ बोलते ही हेमा रोने लगी ! उदास सी आँख बंद कर सो गयी !

सासु माँ अंदर आयी ,उन्होने हेमा के सर पर हाथ फेरा तो वो अचानक से उठी और निर्मला जी का हाथ पकड़कर रोने लगी ! माँ जी मुझे माफ कर दिजिये ,मैं आपकी ख्वाहिश पूरी नहीं कर पायी ! फिर से बेटी आयी हैँ !

अरे ऐसे क्यूँ बोल रही हैँ ,मैं और तेरे पापा जी ,हितेश बहुत खुश हैँ ! अब दोनों बहनें साथ साथ खेलेंगी ! माफी तो मुझे मांगनी चाहिए तुझसे ,अगर बेटी तेरे जैसी होती हैँ तो हर माँ बाप बेटी की चाह रखेंगे ! मैं बहुत गलत थी ,तुझे बहुत दुख पहुँचाये हैँ मैने ,जैसा व्यवहार मेरे साथ हुआ वैसा ही तेरे साथ करना चाहती थी ! पर बदलाव किसी को तो करना होगा ! माफ कर दे मुझे बहू ! निर्मला जी भी छोटे बच्चों की तरह बिलख गयी ! पीछे से बल्देव जी हितेश को सहारा देते हुए अन्दर लेकर आयें ,बोले देर आयें दुरुस्त आयें ! निर्मला मैने तुम्हारे कहने पर कामवाली का इंतजाम कर दिया है ! अब बस बहू को खूब खिलाओ ,पिलाओ !

हितेश भी डबडबायी आँखों से बस हेमा को देखता रहा ! निर्मला जी और बल्देव जी बहू बेटे को अन्दर छोड़ बाहर आ गए !

घर पर हेमा और छोटी सी सोन चिरिया का भव्य स्वागत किया गया !

स्वरचित

मौलिक अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह

आगरा

VD

2 thoughts on “माफी तो मुझे मांगनी चाहिए बहू – मीनाक्षी सिंह”

  1. I hope u kno that child gender is decided by father.So why lady apologies her MIL for baby girl birth. Stories should hv correct facts.

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