यें दोस्ती हम नही तोड़ेंगे ,तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेगे……इस गाने को पढ़ समझ ही गए होंगे कि ये एक दोस्ती की कहानी है जो आज के दौर में लिप्त होती जा रही है ।
रॉकी और बॉबी बचपन के लंगोटिया यार थे । दोनो के घर एक दूसरे से सटे हुए थे ,तो दोनो का ज़्यादा वक्त साथ में ही गुजरता । फिर चाहें वो पढ़ाई हो ,खाना हो या कहीं आना -जाना सब एक साथ करते ।दोनो बड़े ही शरारती और मिलन सार थे । स्कूल की खेल प्रतियोगिताओं में जहां वो बढ़-चढ़ के भाग लेते थे ,वहीं पढ़ाई से कोसों दूर भागते थे ।
एक दिन दोनो स्कूल से बंक मारकर मेला
देखने चले गए । वहाँ जाकर उन्होंने खूब मौज मस्ती की , तभी बॉबी बोला चलो भाई ! “अब घर जाने का समय हो गया है , अगर बाबा को पता चला कि हम आज स्कूल नही बल्कि मेले में है ।तो बहुत मार पड़ेगी “
क्या बॉबी तुम इतना डरते हो ! चलते है बस ,एक बार यें झूला ओर झूल लें ।
रॉकी के आगे उसकी नहीं चली और झूला झूलने लगे । आसमानी झूलें से रॉकी खड़े होकर चिल्ला रहा था । बॉबी बार – बार रॉकी को पकड़ रहा था ताकि वो गिर ना जाए और अगले ही पल लाइट चली गई और बॉबी रॉकी को पकड़ने के चक्कर में झूले से नीचे लटक गया। रॉकी ने उसका हाथ पकड़ ऊपर खींचना चाहा पर वो सफल ना हुआ । जब लाइट आयी तो बॉबी लटकता हुआ झूलें से नीचे आ गिरा ।
यें सब देख रॉकी बेसुध हो गया ! पास खड़े लोग भाग के आए और बॉबी को अस्पताल ले कर चले गए ।
रतन सिंह को जैसे ही पता चला वो भागा- भागा अस्पताल गया और डॉक्टर से बॉबी का पूछने लगा । डॉक्टर ने बोला अभी थोड़ा इंतज़ार करे !रतन सिंह ने रॉकी को देखा और उसके पास जाकर पूछने लगा ये सब कैसे हुआ ??
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घबराया हुआ रॉकी मुँह से कुछ बोलता तभी डॉक्टर बाहर आया और बोलने लगे बॉबी ठीक है….. थोड़ी देर में होश आ जाएगा ,मगर आपको उसका ध्यान रखना होगा ।
क्या मतलब है डॉक्टर ??
देखिए उसके एक पैर की हड्डी टूट गई है , हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की हैं ।पर शायद अब वो पहले कि तरह ना चल पाए आप भगवान पे भरोसा रखिए ।
रतन सिंह भागा हुआ बॉबी के पास गया और
जब बॉबी को होश आया तो रतन सिंह उसे सहलाते हुए पूछा कैसें हो बेटा ??
गर्दन हिलाते हुए धीमी सी आवाज़ में बॉबी बोला मैं ठीक हूँ …..
ये सब कैसे हुआ तुम तो स्कूल गए थे तो मेले में कैसे ???
रॉकी की अश्रुओं से भीगी आँखे देख …
बाबा मेरा पैर फिसल गया था इसमें किसी की कोई गलती नही है ।ये सब बातें सुन रॉकी घर जा खुद को कोसने लगा । आज मेरी वजह से बॉबी की ये हालत है । कुछ दिन तक सब शांत रहा पर रॉकी के जमीर ने उसे बेचैन कर रखा था ।
एक सुबह सूरज की पहली किरण के साथ ही वो बॉबी के घर गया और रतन सिंह को सब सच बताने लगा कि मेरी वजह से वो झूलें से गिरा । वो तो बैठना ही नही चाहता था , पर मैंने ज़िद कर उसे झूले पे बैठाया ।मुझे माफ़ कर दो अंकल ! ये जान रतन सिंह आग बबूला हो गया और उसे मारने के लिए हाथ उठाया , तभी छड़ी संग चलता हुआ बॉबी वहाँ आया और अपने बाबा को रोक दिया ।
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आप यें क्या कर रहे है बाबा ! ये मेरा दोस्त है …
रतन सिंह खुद को शांत करते हुए….यहाँ से चले जाओं ! और कभी अपनी शक्ल मत दिखाना ।
मुझे माफ़ कर दो अंकल ! तुम्हें कोई माफ़ी नही मिलेगी आज तुम्हारी वजह से मेरा बेटा अपाहिज हो गया है ।
उनका इस तरह नाराज़ होना जायज़ था आखिर उनके बेटे का सवाल था ।
वो दोस्ती , प्यार अपना पन सब एक झटके में तिनका -तिनका कर बिखर गया । कुछ ही दिनो में रॉकी के पापा का तबादला दूसरे शहर हो गया और वो हमेशा के लिए बॉबी से जुदा हो गया ।
एक वो दिन था और एक आज का दिन पंद्रह वर्ष बाद आज मैं अपने दोस्त से मिलूँगा । उससे माफ़ी माँगूगा यही सोच चले जा रहा था । माना इतने साल मैं उससे दूर रहा ,पर उसकी हर खबर दूसरो से लेता रहता था ।
आज उसकी शादी है ,उसने तो बुलाया नही , मगर मेरे यार की शादी है तो मैं कैसे छोड़ सकता था ।
ख़ुशी के साथ -साथ डर भी लग रहा था ,अगर ……एकाएक गाड़ी दरवाज़े के आगे रुकी ! तो पुरानी यादें ताज़ा हो गयी । जैसे ही मैं सामान उठाए अंदर पहुँचा तो छड़ी पकड़ के चलता हुआ बॉबी मेरी तरफ़ आया और मुझे गले लगा लिया ,मानो सारें गिले शिकवे सब मिट गए । लेकिन ऐसे नहीं था ….. तभी कानो को चिरती हुई अंकल की आवाज़ ने सब साफ कर दिया ।
तुम यहाँ क्यों आए हों ??? किसने बुलाया तुम्हें ??
बाबा अब वो आ गया है तो ….कोई नही मेहमान हैं !
बॉबी की ख़ुशी के लिए रतन सिंह ने रॉकी को शादी में शामिल होने की इजाज़त दे दी ।आज दो दोस्त बरसों बाद फिर एक हो गए ।
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बॉबी क्या तूने मुझे माफ़ कर दिया ??
किस बात की माफ़ी और कितनी माँगोगे पंद्रह साल हो गए है दोस्त को भी याद कर लेते ,कभी मिलने आ जाते ।
रॉकी – मेरा तो मन करता था ,पर अंकल की वजह से हिम्मत नही हुई ।
बॉबी – उस वक्त हम नादान थे ,उसे एक हादसा समझ भूल जाओं । अगर तुम्हें मेरी शादी में शामिल होना है तो , मुझे मेरा पहले वाला मस्त मौला दोस्त चाहिए ।
रॉकी ने हँसकर बॉबी को गले लगाया और शादी में दोस्ती का हर फर्ज़ निभाया । सब कुछ अच्छा रहा और रॉकी के जाने का समय आ गया ।
बॉबी – थोड़े दिन और रुक जातें !
रॉकी -कोई नही, फिर आऊँगा , अब तो भाभी जी के हाथ का बना खाना भी तो खाना है ।
सबको नमस्कार कर ! बॉबी को गले मिल अलविदा कह ,पीछे मुड़ अंकल की तरफ़ देखने लगा । आज वो शायद मुझ से नफ़रत नही करते, पर नाराज़ ज़रूर है । मै भी माफी माँगना नही छोड़ूँगा जब तक कि वो मुझे माफ़ नही कर देते ।दोस्तों कई बार जीवन में वो सब हो जाता है ,जो हमने नहीं सोचा होता लेकिन फिर भी जीवन खट्टी मिट्ठी यादों संग चलता ही रहता है ।
जब तक हूँ ये दोस्ती रहेगी और अंकल से माफी की गुहार चलती रहेगी !!
#माफी
स्वरचित रचना
स्नेह ज्योति