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लीना और रीना शर्माजी की प्यारी सी बेटियां हैं। दोनों की उम्र में दो साल का अंतर है ।शर्माजी बैंक में अफसर हैं वहीं बच्चियों की मम्मी एक प्रतिष्ठित विद्यालय में विज्ञान की शिक्षिका हैं ।
अच्छे संस्कारों के साथ दोनों पढ़ लिख कर कॉलेज में प्रोफेसर हो गई ।एक विज्ञान की और दूसरी मनोविज्ञान की ।
जैसा कि उम्र में अंतर था ,दोनों की दो वर्षों के अंतर में शादी हो गई
एक खूबसूरत सी जिंदगी धीरे -धीरे आगे बढ़ने लगी ।कुछ महीनों बाद बड़ी बहन लीना गर्भवती हुई । छोटी बहन की खुशी की सीमा नहीं थी । आखिर मासी जो बनने वाली थी ।
लेकिन दोनों बहनों सहित पूरे परिवार की खुशियों को उस दिन ग्रहण लग गया जब लीना घर की सीढ़ियों से गिर गई ।उसे गहरी चोटें लगीं और सब कुछ खत्म !!
यही नहीं , डॉक्टर ने बताया अब लीना कभी माँ नही बन पाएगी । लीना बीमार रहने लगी ।कॉलेज का जॉब छोड़ दिया । अवसाद की शिकार हो गई ।पति भी परेशान रहने लगे ।
सभी के अपने सलाह मशविरे ,” गोद ले लो ,अनाथालय से ले आओ “।
लीना किसी भी विकल्प के लिए राजी नही थी ।
आखिर बहन रीना ने एक निर्णय लिया । वो लीना के लिए एक बार फिर माँ बनने के लिए तैयार हो गई ।
निश्चित समय पर रीना ने एक प्यारे से बच्चे को जन्म दिया और बहन लीना की गोद मे डाल दिया। लीना बच्चे को गोद में पाकर निहाल हो उठी।उसका ममत्व पूर्णता की ओर बढ़ रहा था।
किन्तु ….. अब रीना की ममता हिलोरें लेने
लगी। आखिर उसने उस बच्चे को जन्म दिया है, वह जननी है! अब वह क्या करे ???
अंततः उसने फिर एक कठोर निर्णय लिया ।अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करते हुए अपने पति का ट्रांसफर इन सब यादों से दूर , दूसरे शहर में करवा लिया ।
क्योंकि
अब वह माँ ….सी होने के साथ एक माँ भी है।
ज्योति अप्रतिम