” माँ” – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” अरे रोहन माँ को साथ नही लाये जबकि आज की पार्टी तो मैने स्पेशली हमारे बुजुर्गो के लिए रखी थी !” चिराग अपनी पार्टी मे अपने मित्र रोहन को अपनी पत्नी और बच्चो के साथ आता देख बोला।

” यार माँ का चार धाम यात्रा का बड़ा मन था तो उन्हे उसके लिए भेज दिया पूरा एक महीने का टूर है उनका !” रोहन बोला।

” अरे वाह ! अच्छी बात है पर पैसा भी बहुत लगा होगा इसमे तो ?” चिराग ने पूछा।

” हां यार पर माँ से बढ़कर कुछ नही !” रोहन गर्व से बोला। सब दोस्त रोहन को प्रशंसा की नज़र से देखने लगे।

पार्टी शुरु हो गई आज इस पार्टी मे भड़काऊं गानो पर नाच गाना नही था बल्कि बड़ो के लिए खेल थे , फिर उन्हे बारी बारी से स्टेज पर आ अपने बच्चो के बारे मे कुछ बोलना था। असल मे चिराग एक ngo से जुड़ा था जो बड़े बुजुर्गो के लिए काम करती है । इसीलिए उसने ये पार्टी भी रखी थी जिससे अपने जानकारों और मित्रों के माता पिता से मिल सके वो ।

सब बुजुर्ग एक एक कर स्टेज पर आ रहे थे चिराग सबसे उनका परिचय करवा रहा था फिर वो अपने बच्चो के बारे मे बता रहे थे हालाँकि सब अपने बच्चो को अच्छा ही बता रहे थे क्योकि कोई माँ बाप अपने बच्चो की बुराई नही करते। धीरे धीरे सभी दोस्तों के माता पिता स्टेज पर बोल कर जा चुके थे सबको लगा अब ये कार्यक्रम खत्म हो गया तभी चिराग ने माइक संभाला।

” दोस्तों अब मैं आपको एक ऐसी माँ से मिलवाना चाहता हूँ जो मुझे सडक पर मिली , भूखी प्यासी बेहाल । उन्हे मैं अपनी ngo मे ले आया था पर आज उनका परिचय आपसे करवाना मुझे जरूरी लगा क्योकि वो एक ऐसे बेटे की माँ है जो अपनी माँ के लिए कुछ भी करने का दम भरता है !” चिराग बोला । ये सुन सभी उस माँ के बेटे को कोसने लगे पर ना जाने क्यो रोहन का चेहरा फीका पड़ गया।

तभी चिराग हाथ पकड़ कर एक वृद्ध महिला को स्टेज पर लाया जिसे देख रोहन लज्जित हो गया क्योकि वो और कोई नही उसकी माँ थी जिसे एक महीने पहले उसने घर से निकाला था और जिनको एक घंटा पहले वो चार धाम की यात्रा पर भेजनें की डींगे हांक रहा था।

हालांकि इस माँ ने भी अपने बच्चे के खिलाफ कुछ नही बोला पर उनकी हकीकत जान सभी लोग जो कुछ देर पहले रोहन को प्रशंसा की नज़र से देख रहे थे वो अब उस पर थू थू कर रहे थे ।

संगीता अग्रवाल

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