माँ मेरी पत्नी की जगह अगर आपकी बेटी होती – पूजा शर्मा : Moral Stories in Hindi

सुबह के 8:00 बजे थे।अभी-अभी बहू सोनाली के पिता की तेरहवीं रस्म में से लखनऊ से मेरठ तक का लंबा सफर करके आए जानकी जी के बेटा बहु बैठे ही थे, उनकी बहू सोनाली अपनी सास के गले लगकर हिचकियों से रोने लगी। जानकी जी उसे सांतावना देती हुई कहने लगी, अरे जाने वाले को कौन रोक सकता है, मां बाप का साया सर से उठता है तो बहुत दुख होता है सृष्टि का नियम है जो आया है

वह जाएगा ही और फिर तुम्हारे पापा ने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली थी। तुम्हारी और तुम्हारे भाई दोनों की शादी कर चुके थे। इतनी दूर होने की वजह से तुम्हारे पिता की मौत की खबर सुनकर वहां तो जा नहीं पाए इसीलिए आज शाम को तुम्हारी नंद और नंदोई तुमसे मिलने आ रहे हैं। अब जो हो गया वह हो गया शाम को उनके लिए अच्छा सा खाना बनाने का बंदोबस्त कर लो। सोनाली की आंखों से झरझर आंसू बहे जा रहे थे

लेकिन इन सबसे बेखबर उसकी सासू मां उसे शाम के खाने के लिए हिदायत दिए जा रही थी। सोनाली चुपचाप अपने कमरे की तरफ चली गई और बिस्तर पर गिरते ही सिसक सिसक कर रोने लगी। आखिर एक औरत ही दूसरी स्त्री का दुख क्यों नहीं समझती है? मायके में कोई दुख हो एक लड़की का मन वही पड़ा रहता है। विवेक को भी अच्छा नहीं लगा अपनी मां का व्यवहार सोनाली के साथ कि बजाय उसका दुख समझने के

 आते ही उसे काम का फरमान सुना दिया। और उनकी बेटी यानी उसकी बहन क्या जानती नहीं की कितना बड़ा दुख है किसी लड़की के लिए उसके पिता का जाना? अगर सोनाली मां को कुछ पलट कर बोलती नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं है उसे दुख नहीं होता। जी भर कर आंसू बहाने के बाद सोनाली नहा धोकर 

 अपने दिन भर के काम निपटाने लगी। लेकिन उसका मन बहुत बोझिल हो रहा था वो किसी से बात नहींह कर रही थी उसे इस समय केवल अपने मायके में अपनी मां की चिंता हो रही थी वो पापा के बिना कैसे रहेंगी कैसे कटेगा उनके आगे का जीवन, कितनी मुसीबत से पहले पापा ने हमें पालाऔर अब इतनी जल्दी छोड़ कर चले गए उसके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे ना जाने क्या-क्या उसके मन में चल रहा था?

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तीन बार अपनी मम्मी और भाई से बात भी कर चुकी थी लेकिन फिर भी उसके मन को तसल्ली नहीं हो रही थी विनय सोनाली की स्थिति समझ रहा था विनय अपनी पत्नी से बोला शाम का खाना तुम मत बनाना मैं बाहर से खाना लेकर आ जाऊंगा तुम भी बाहर से थक कर आई हो इतना लंबा सफर और तुम्हारे पापा का जाना तुम्हारी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है तुम अपना ध्यान रखो, तुम थोड़ी देर आराम करने चली जाओ।

मैं तुम्हारे लिए कॉफी बना देता हूं वह जैसे ही अपनी पत्नी के लिए कॉफी बनाने चला जानकीजी बोली हां तू तो जोरू का गुलाम हुए जा रहा है। दुख दुख की जगह है लेकिन अपनी जिम्मेदारी तो सबको निभानी ही पडती है।जानकी जी थोड़ी ऊंची आवाज में सोनाली से बोली देखो बहू जो होना था वो हो गया अपने घर का दुख वहीं छोड़ दो तुम्हें यहां मातम फैलाने की कोई जरूरत नहीं हैअब यही तुम्हारा घर है

कम से कम अपने घर की शुभ भी तो माननी चाहिए। विनय से आज चुप रहा ही नहीं गया और उसने अपनी मां से कहा कहा “माँ अगर मेरी पत्नी की जगह आपकी बेटी होती तब भी क्या आप ऐसा ही व्यवहार करती?” आपको याद है ना पापा के जाने के बाद आपकी क्या हालत हो गई थी आपकी बहू ने ही आपको संभाला था? पापा के न रहने से आपकी बेटी प्रीति की मानसिक हालत भी तो खराब हो गई थी

उसकी सास ने तो प्रीति को आपके पास यह कह कर छोड़ दिया था कि तुम्हारी मां की हालत ठीक नहीं है तुम्हें कुछ दिन उनके पास रहना चाहिए। एक लड़की अपने पिता से बहुत ज्यादा जुड़ी रहती है। तुम्हारा दुख की शायद अपनी मां के पास रहकर कुछ हल्का हो जाए नहीं तो तुम्हारा मन अपने मायके में ही पड़ा रहेगा।

तब तो आपको प्रीति का यहां रहना सही लगा था। और उसका दुख आपकी समझ में भी आया। फिर आज यही दुख मेरी पत्नी पर पड़ा तो आपके मानदंड बदल गए। जानकी जी अपने बेटे का चेहरा देखती रह गई। जो कुछ कह रहा था सही तो कह रहा था। एक पिता का ना होना लड़की के लिए जैसे सर पर आसमान और न होने जैसा है। मुझे उसका दुख समझना चाहिए था।

 हां बेटा सही कह रहा है तू मैं ही भूल गई तुम्हारी पत्नी और मेरी बहू किसी की बेटी भी है। जानकी जी अपनी बहू के आंसू पूछते हुए बोली देख बहू मैं तेरा दुख तो कम नहीं कर सकती लेकिन बांट सकती हूं। भगवान तुझे यह दुख सहने की शक्ति दे और उसे कसकर सीने से लगा लिया आज सच में एक बहू में उन्हें बेटी दिख रही थी।

विनय वहीं खड़ा हुआ सास बहू के प्रेम को देख रहा था और सोच रहा था थोड़ा सा शब्दों का ही तो हेर फेर है अगर बहु को थोड़ा सा भी स्नेह और प्यार मिलेगा तो वो भी ससुराल वालों के मान सम्मान में कभी कोई कमी नहीं रखेगी।

पूजा शर्मा स्वरचित

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