माँ मेरी पत्नी की जगह आपकी बेटी होती तो – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

सुबह सुबह सुहासिनी को घर के अंदर आते हुए देख रोहन ने खुशी से कहा अरे वाह तुम आ गई हो कैसे हैं बिटिया और दामाद उनके प्रश्न पूछने की देरी थी बस सुहासनी का चेहरा चाँद के समान चमकने लगा और कहने लगी मैं चाय बना लाती हूँ फिर हम बैठते हैं मैं सब कुछ बताऊँगी । रोहन ने कहा तुम थक गई होगी बैठ जाओ मैं बना दूँगा ।

नहीं जी आप क्यों तकलीफ़ करेंगे मैं बना देती हूँ । सुहासिनी की बात सुनकर रोहन को आश्चर्य हुआ क्योंकि शहर के बाहर बाज़ार जाकर आती है ही वह ना खाना बनाती है और ना ही चाय उस दिन का काम रोहन को ही बनाना पड़ता था

और आज रात भर ट्रेन का सफर करने के बाद भी खुद चाय बनाने की बात कह रही थी । रोहन अभी भी नौकरी कर रहे हैं । उन्हें छुट्टी नहीं मिल पाई थी इसीलिए जब वह बिटिया के पास जाने की बात कर रही थी तो उन्होंने उसे अकेले ही भेजा था वहीं दस दिन वहाँ बिताकर आई थी ।

रोहन और सुहासिनी के दो बच्चे हैं बेटी विनीता बैंगलोर में रहती है बेटा सुहास हैदराबाद में रहता है । रोहन खुद विशाखापट्टनम में नौकरी करते थे । सुबह की ट्रेन से ही सुहासनी वापस लौट कर आई है ।

वह जब चाय लेकर आई तो रोहन ने फिर से पूछा हाँ तो बता दे विनीता कैसी है ।

बड़ी बहू कर्म से – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

उसने बहुत ही दुखी होकर कहा क्या बताऊँ जी सुबह से लेकर शाम तक वह काम करती रहती है बिचारी को दो मिनट बैठने की फुरसत नहीं मिलती है । देखिए ना घर के काम करती है और नौकरी करती है तो उसे फुरसत कहाँ मिलती है । आपके दोस्त और उनकी पत्नी गाँव में अकेले रहते हुए मस्त हैं कम से कम बहू के साथ रहकर उसकी मदद तो कर सकते हैं ।

तुम से मैं क्या कहूँ कुछ समझती ही नहीं हो । हम अपने बेटे के पास क्यों नहीं जा रहे हैं क्योंकि मैं रिटायर नहीं हुआ हूँ । मेरा दोस्त भी तो अभी रिटायर नहीं हुआ है फिर कैसे तुम्हारी बेटी की सेवा करने के लिए कैसे जा सकते हैं ।

सुहासनी दामाद विनीता की मदद नहीं करते हैं क्या ?

अरे क्यों नहीं करते हैं । वह बिचारा तो सुबह उठकर घर का पानी भरता है चाय बनाता है । विनीता के उठने पर साथ बैठकर चाय पीते हैं फिर दोनों मिलकर खाना और नाश्ता बना लेते हैं । लंच बॉक्स दामाद पैक कर देते हैं और विनीता को छोड़ते हुए ऑफिस जाते हैं ।

दामाद शाम को घर जल्दी आए तो बिटिया के आने के पहले ही खाना बनाकर रख देते हैं चाय पीते ही घूमने निकल जाते हैं  फिर भी विनीता को समय नहीं मिलता है ।

रोहन मन ही मन सोचते हैं कि बिटिया कितने लोगों का काम करती है अपने और अपने पति का काम करना भी बहुत बड़ी बात है । सुहासनी की बातों से रोहन को ग़ुस्सा भी आता था कि बिटिया की छोटी सी बात को भी पहाड़ बना देती है ।

अपनों के बीच कैसी मेहमाननवाजी ? – भाविनी केतन उपाध्याय 

 रोहन ने नाश्ता किया और बॉक्स लेकर ऑफिस चले गए । सुहासिनी दिन भर आसपडोस के लोगों को अपनी बिटिया की दुखभरी कहानी बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती जा रही थी ।

एक दिन सुबह चाय पीते वक़्त रोहन ने कहा कि बेटी को तो देख आई हो एक बार बेटे को भी देख आती तो अच्छा होता ।

सुहासिनी को भी बेटे की याद आ गई और उसने कहा कि आपको तो छुट्टी मिलेगी नहीं फिर कैसे जाएँगे ।

रोहन ने कहा कि एक काम करते हैं तुम पहले चली जाओ और मैं शुक्रवार की शाम को निकल कर आ जाऊँगा ।

यह बात सुहासिनी को अच्छी नहीं लगी परंतु पोते को देखने की इच्छा हो रही थी इसलिए उसने हामी भर दी। वह वहाँ जाने की तैयारी में लग गई थी ।

रोहन ने बेटे को भी फोन करके बताया कि माँ आ रही है मैं दो दिन बाद आ जाऊँगा। सुहास ने कहा कि मैं माँ को लेने के लिए स्टेशन चला जाऊँगा आप फिक्र मत कीजिए ।

सुहासिनी ने रोहन को बहुत सारी हिदायतें दीं और हैदराबाद के लिए रवाना हो गई । सुहास और उसकी पत्नी रीता दोनों मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे । उनका एक बेटा अनिकेत भी है जो दो साल का है । उसे प्ले स्कूल भेजते थे और स्कूल के बाद वहीं पर बेबी केयर सेंटर में ही छोड़ देते थे । जिसका काम पहले हो जाता था वह शाम को अनिकेत को अपने साथ घर ला लेते थे । यह उनका रोटीन था ।

सुहासनी को लेने के लिए सुहास स्टेशन पर पहुँच गया था । माँ को देखकर उसका चेहरा खिल उठा था । उनका सामान लेकर पार्किंग में खड़ी गाड़ी के पास ले गया । उन्हें अंदर बिठाया और गाड़ी स्टार्ट कर दी । माँ से उसका और पिताजी का हालचाल पूछा साथ ही बहन और जीजा जी के बारे में भी बातें करते हुए घर पहुँच गए थे ।

फिर से – सुधा शर्मा 

सुहासिनी के घर पहुंचते ही रीता ने उनका हालचाल पूछा और चाय पिलाई फिर कहा मम्मी जी मैंने नाश्ता खाना सब बना दिया है डायनिंग टेबल पर रख दिया है। मैं ऑफिस के लिए निकल रही हूँ शाम को जल्दी आने की कोशिश करूँगी ।

सुहासिनी ने सिर्फ़ सर हिलाया मुँह से कुछ कहा नहीं। उसने थोड़ी देर बाद देखा सुहास पूरी रसोई को साफ करके अपना नाश्ता लेकर ऑफिस चला गया।

दूसरे दिन सुबह पाँच बजे से रसोई में खटर पटर की आवाज़ सुनाई दे रही थी तो सुहासिनी कमरे से बाहर आकर देखती है कि सुहास रसोई में दूध गरम करने के लिए स्टोव पर रखकर जल्दी से सब्ज़ी काट रहा था

उसे इस तरह से काम करते देख सुहासिनी का दिल दहल उठा उसने कहा कि यह सब क्या है बेटा ? बहू कहाँ है ? यह सारा काम उसे करना चाहिए तू क्यों कर रहा है? यह सब औरतों के काम है ।

उसी समय पीछे से रीना आई उसे देखते ही सुहासिनी उसके पीछे पड़ गई कि मेरे बेटे से काम कराती है । तेरी इतनी हिम्मत मैंने तो अपने घर में कभी इन लोगों से काम नहीं कराया है।

रीना कुछ बोलती इसके पहले ही सुहास ने मुँह खोल दिया और कहा कि माँ इसमें गलत क्या है ? जब वह मेरे साथ मिलकर नौकरी कर सकती है तो घर के काम में मैं हाथ क्यों नहीं बँटा सकता हूँ ?

सुहासिनी बड़बड़ाते हुए कमरे में चली गई । रीना और सुहास ने मिलकर सारे काम निपटाए और बच्चे को छोड़ते हुए ऑफिस चले गए ।

उम्मीद आख़िर कितनी और कब तक…? – रश्मि प्रकाश 

शनिवार का दिन था रोहन की छुट्टी थी इसलिए वे हैदराबाद पहुँच गए थे ।

उन्होंने घर पहुंचकर चाय पीते हुए कहा कि क्या बात सुहासिनी गुमसुम हो कुछ हुआ है क्या?

सुहासिनी ने सुबह की बातें उन्हें मिर्च नमक लगाकर बता दिया था । रोहन ने मन ही मन सोचा यही सारे काम जब दामाद करके देते हैं तो कहती है कि मेरी बिटिया खुश नसीब है । वही काम जब बेटा कर रहा है तो बहू को खरी-खोटी सुना रही है और बेटे को जोरू का ग़ुलाम बना दिया है वाहहह रे दुनिया!!

दूसरे दिन इतवार का दिन था सब घर में ही थे और बैठक में बैठकर बातें कर रहे थे कि रोहन ने कहा सुहास पिछले महीने तुम्हारी माँ विनीता के पास जाकर आई है । उनके घर गृहस्थी को देखकर तुम्हारी माँ बहुत खुश है । विनीता की बात छिड़ते ही सुहासिनी खुशी खुशी सारी बातों को उगल दिया था

कि दामाद कैसे काम में विनीता की मदद करते हैं आदि । सुहास ने कहा वाह माँ आप तो बड़ी होशियार हो गई हैं जीजू दीदी की मदद करते हैं तो आप खुश हैं ।  मैंने रीता की मदद कर दी तो रीता को ताने सुना रहीं थी । एक बार आप मेरी पत्नी की जगह विनीता को रख कर देख सकतीं थीं ना?

अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है माँ आप दोनों में भेदभाव करना छोड़ दीजिए तब ही घर में शांति बनी रहेगी । सुहासिनी ने अपना सर झुका लिया और रीता को अपने पास बुलाया और उससे माफी माँगते हुए कहा बेटा तुम्हारे पापा जी के रिटायर होने के बाद हम यहीं आकर रह जाएँगे और अनिकेत की देखभाल करेंगे बेटा ।

दोस्तों इस तरह से सुहासिनी को अपने किए की गलती का अहसास हो गया था।

के कामेश्वरी

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!