hindi short story with moral : अस्पताल में हमें कभी ख़ुशी कभी ग़म के हालात का सामना करना पड़ता है ऐसे ही किसी हालत का सामना नव्या ने किया था आइए आपको बताते हैं ऐसा क्या हुआ कि माँ की ममता के आगे सब हार जाते हैं।
लगभग एक घंटा पहले ही वो बच्ची इस दुनिया में आयी थी….उसकी दादी उसके मरने की दुआएँ कर रही थी और ….बच्ची का पिता सिर पर हाथ रखे मायूस बैठा था….
जन्म देने वाली माँ अर्द्ध मूर्छित अवस्था में अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी थी….सामान्य प्रसव आसान नहीं होता शरीर के हर अंग को तकलीफ़ होती है तब जाकर एक शरीर से दूसरे शरीर का जन्म होता है और माँ की ममता का क्या ही कहने उसके बावजूद बच्चे की रुदन सुन कैसे भी कलेजे से लगाने को व्याकुल हो जाती है और वो तो जानती भी नहीं है कि जिस बच्ची को उसने नौ महीने कोख में रख कर सींचा …..आज उसके दुनिया में आते ही उसके जाने की दुआएँ माँगी जा रही है।
अचानक से बच्ची जोर जोर से रोने लगी…बच्चा कैसा भी हो ममता तो उमड़ ही पड़ती हैं…..दादी ने नर्स को बुलाया और बोली ,‘‘ये रो रही है …लगता है …भूख लगी होगी।‘‘
नर्स उस बच्ची के मुँह में रूई के फाहे से दूध देने लगी। बच्ची शायद ज्यादा भूखी होगी जल्दी पीने के चक्कर में सरक गई।
बच्ची बहुत प्यारी थी….देख कर लगता अभी इसको गोद में लेकर प्यार कर लूँ पर अस्पताल में दूसरों के बच्चों को दूर से देखकर लाड-प्यार ,ममता लुटाया जा सकता है ..ये सब पास के बिस्तर पर लेटी नव्या कभी खुद की बेटी को देखती तो कभी उस मासूम को जिसके जन्म के साथ सबके चेहरे उतरे हुए थे।
कमरे में दो पेसेंट की जगह थी और उसके साथ एक अटेंडेंट को रहने की परमिशन थी ।
नव्या उसी कमरे में थी जिसमें उस बच्ची की माँ भी थी। बच्ची को तो नर्स बस थोड़ी देर के लिए लेकर आई और वापस ले गई।
नव्या एक दिन की अपनी बच्ची के साथ कमरे में रह रही थी।
जब उस बच्ची की माँ को लाया गया तो सबके उतरे चेहरे देख कर मन व्याकुल हो उठा क्या वजह है जो सब उदास है, कही बेटी हुई है इसलिए तो नहीं !!!
खैर मन में उठे सवाल का जवाब मिले भी तो किससे….वो दूसरी तरफ अपनी बेटी को देख रही थी और सोच रही थी।
अचानक से उसके कान में आवाज आई ,‘‘ मेरी बेटी हुई है ना माँ वो ठीक तो है?‘‘
‘‘ कुछ ठीक नहीं है बहु।‘‘ कह कर उस बच्ची की दादी रोने लगी।
‘‘ क्यों माँ क्या हुआ…. मैंने इतना एहतियात बरता की इस बार भगवान मेरी झोली भर दो …जो भी झोली में डालोगे उसे बस जिन्दा रखना….इस बार तो नौ महीने बाद जन्म हुआ फिर क्या दिक्कत हो गई ?‘‘ कहकर बच्ची की माँ भी रोने लगी
तभी रोने की आवाज सुन कर नर्स कमरे में आई।
‘‘ सिस्टर मेरी बेटी को क्या हुआ है, वो ठीक तो है ना?”बच्ची की माँ रो रोकर पूछने लगी
‘‘ देखिए आप लोग रोये नहीं….डॉक्टर देख रहे हैं भरोसा रखिए।‘‘ नर्स ने कहा
‘‘फिर भी सिस्टर बात क्या है …. मैं माँ हूँ उसकी…मुझे बताइए तो सही?‘‘ दुख दर्द से तड़पती उस माँ की ममता भरी आवाज बेटी के लिए छटपटाहट बयां कर रही थी
‘‘ देखिए आपके पति और सास को सब पता है….बस आप भगवान पर भरोसा रखें।‘“कहकर नर्स चली गई
एक दिन और गुजर गया बच्ची की माँ अपनी बच्ची को सीने से लगाने को तड़प रही थी पर डॉक्टर ने साफ मना कर दिया था उसे एन आई सी यू से बच्ची को ना लाया जाए।
बस जन्म के बाद उसे घर वालों को उसके हालात बताने के लिए लेकर आया गया था।
अब उस माँ के सब्र का बांध टूटने लगा जब सास घर गई और कुछ देर के लिए उसका पति उसके पास आया।
“ना माँ कुछ बता रही ना सिस्टर ….आप भी बस मेरा हाथ पकड़ कर बैठे है….बेटी होने का दुःख हुआ आपको?”बच्ची की माँ ने तड़पकर पूछा
‘‘ नहीं नहीं, लता ( उस बच्ची की माँ का नाम)हम सब तो घर में लक्ष्मी आई सोच कर बहुत खुश थे पर जब डॉक्टर ने कहा कि हमारी बच्ची की साँस…!”कह कर वो रोने लगा
‘‘ क्या साँस बोल रहे हैं बताईए भी मेरा दिल घबरा रहा एक तो अब तक बच्ची को देखने भी नहीं दिए हैं उपर से मेरा दूध भी ले जाकर पिला रहे हैं…पर मेरी छाती मेरी बच्ची के लिए तड़प रही।‘‘ लता रोती हुई बोली
‘‘ लता हमारी बच्ची के दिल में कुछ तकलीफ़ है जिसकी वजह से उसके पैरों की तरफ ऑक्सीजन नहीं जा पा रहा है और वो नीला पड़ता जा रहा है….उपर से उसके शरीर में मल त्यागने वाली जगह भी नहीं है…वो बच्ची नीली पड़ती जा रही है….यहाँ जितनी सुविधा है वो सब देख कर डॉक्टर उसे बचाने के उपाय कर रहे हैं पर ये भी बोल रहे हैं कि बड़े डॉक्टर आने वाले है वो आकर देखेंगे ….फिर शायद ऑपरेशन के लिए दिल्ली जाना पड़े।”कह कर बच्ची का पिता रोने लगा।
नव्या ये सब देख सुन कर सन्न रह गई।
एक माँ के लिए इससे ज्यादा दर्द क्या होगा कि नौ महीने बाद जन्मी बच्ची की जिन्दगी ही दांव पर है।
बच्ची को शायद माँ से मिलने की जल्दी पड़ी थी। लगभग तीन चार घंटे बाद नर्स सफेद कपड़े में उस बच्ची को लेकर आई और बोली,‘‘माफ कीजिए हम आपकी जान को बचा न सके।‘‘
लता लपककर अपनी बच्ची को छाती से चिपकाई और बोली,‘‘ ऐसा नहीं हो सकता आप एक बार और चेक कीजिए इतने इंतजार के बाद मेरी झोली भरी है मैं बच्ची को यहां से लेकर ही जाउंगी।”कहकर वो बच्ची को चूमने लगी।
अचानक बच्ची के रोने की आवाज़ आई। नर्स जाते जाते रुक गई…. आकर नब्ज टटोलने लगी वो चल रही थी….
नर्स दौड़ कर डॉक्टर को बुला लाई।
बच्ची को फिर से माँ से दूर कर दिया गया।
बड़े डॉक्टर आ चुके थे।
वो सब कुछ देखने रे बाद सलाह दिए कि इसे जितनी जल्दी हो सके दिल्ली ले जाइए वो लोग तत्काल दिल्ली के लिए निकल पड़े ।
नव्या भी बस उस दुखियारी माँ के लिए प्रार्थना कर रही थी।
नव्या उस दिन अस्पताल से जा रही थी पर उस थोड़े से अंतराल में ही उसे लता से एक लगाव सा हो गया था। उसको अपना नम्बर देकर गई ताकि बच्ची के बारे में पता चलता रहे।
नव्या उस बच्ची के बारे में सोचती रहती थी पर अब तक उसे कोई खबर नहीं मिली थी ।
कुछ महीनों बाद अचानक नव्या के पास फोन आया,‘‘ नव्या है क्या?”
नव्या के हाँ कहते ही उधर से चहकती सी आवाज़ आई ,” हमारी बच्ची को भगवान ने फिर से हमारी झोली में डाल दिया है …उसका दूसरा जन्म हुआ है….बहुत आपरेशन झेला मेरी बच्ची ने ….देखकर कलेजा फट जाता है पर माँ हूँ ना हार ना मानूँगी…. डॉक्टर ने बहुत एहतियात बरतने को बोले है अभी एक महीना और अस्पताल में रहना होगा जब तक उसका शरीर सामान्य रूप से काम ना करने लगे…जब अपने शहर आऊँगी ना ….आप मिलने आना..भगवान ने मेरी ममता की लाज रख ली।”कहकर लता ने फोन रख दिया
आज इस बात को दस साल हो गए बच्ची का नाम आस्था रखा गया क्योंकि वो उनके लिए ईश्वर पर अटूट आस्था और डॉक्टर के द्वारा किए जाने वाले काम पर आस्था के फलस्वरूप वो उनके पास आ पाई थी ।
कभी कभी चमत्कार होते हैं, ये बात आप कहां तक मानते?
ममता के आगे कभी कभी भगवान भी विवश हो जाते है और डॉक्टर के अथक और सही प्रयास से नवजीवन भी मिल जाते है ।
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धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
#ममता