अब हमारे बीच कुछ भी नहीं बचा…अंदर ही अंदर खोखला हो गया है हमारा ये रिश्ता….और कितना निभाऊँ मेंयह रिश्ता तुम ही बताओ रिया….. अब हमारे बीच नार्मल पति – पत्नी जैसा कुछ रहा ही नहीं ,अपनी पत्नि रिया से यह बात कहते कहते नीरज की आँखें आंसुओं से भीग गई….
और दूसरी तरफ रिया भी नम आँखों से कहने लगी कि मुझे ऐसे बीच मँझधार में मत छोड़ो नीरज ! रिया को अपने किये पर बहुत पछतावा हो रहा था वो सोच रही थी कि काश… मैंने अपनी माँ की बात ना मानी होती और वह अपने अतीत में खो गई ।
एक छोटे से शहर में एक सुनीता नाम की महिला रहती थी , जिसकी एक बेटी थी रिया ।माँ की लाड़ली थी रिया , सुनीता रिया के लिए कुछ भी कर सकती थी रिया जो भी कहती सुनीता उसे पूरा करती । धीरे – धीरे रिया बड़ी हो गई
और समय के साथ उसके नख़रे और गलतियाँ बड़ती गई ,वह अब किसी की भी बात नहीं मानती थी उसके मन में जो आता वही काम करती थी उसकी माँ भी उसका साथ देती थी उसकीहर ज़िद को पूरा करती थी रिया की माँ को लगता थाकि वह जो भी करे वही सही है।
रिया के पिता ने एक अच्छा घर और वर देखकर रिया का रिश्ता पक्का कर दिया पहले तो रिया नहीं मानी लेकिन उसकी माँ ने समझाया की वे लोग बहुत पैसे वाले है तो यह सुनकर रिया शादी के लिए तैयार हो गई ,एक दिन वह शादी करके विदा हो गई ।
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रिया के ससुराल में सिर्फ उसका पति नीरज और उसकी माँ दो ही सदस्य थे नीरज बहुत ही समझदार और शांत स्वभाव का इंसान था और नीरज की माँ भी समझदार महिला थी , नीरज की माँ ने रिया का खूब धूमधाम से स्वागत किया और बहुत खुश हुई कि उसे बहु के रूप में एक बेटी मिल गई है ।
पर रिया तो थी ही मनमौजी तो हर समय अपने मन की करती रहती और नीरज की माँ का बिल्कुल कहना नहीं मानती थी ,वह उसे हर समय समझाती रहती कि क्या सही है और क्या गलत … रिया नीरज के साथ भी ठीक से पेश नहीं आती थी कुछ भी बोल देती थी बिना कुछ सोचे समझे वो तो नीरज ही अनसुना कर देता था
रिया को सासू माँ फूटी आँख नहीं सुहाती थी और अपने ससुराल की हर बात अपनी को बताती फिर उसकी माँ उसे समझाने की बजाय उसे और भड़काती इस तरह से रिया और उसकी सास के बीच झगड़ा होने लगा लेकिन नीरज की माँ उन दोनों के झगड़े के बारे में बताकर नीरज को और परेशान नहीं करना चाहती थी ,
लेकिन नीरज को धीरे-धीरे सब समझ आ रहा था उसने भी रिया को बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन रिया कहाँ मानने वाली थी उसकी उदंडता और बड़ती गई हर समय कहीं भी सास का अपमान करने से नहीं चूकती थी दोनों ने खूब समझाया कि ख़ुद के हाथो से ख़ुद का बसा बसाया घर बर्बाद मत करो अब भी समय है
सुधर जाओ पर वह तो सोचती थी कि वह जो कर रही है वही सही है और वह खुद सही है और बाकी सब गलत…. एक दिन तो हद ही हो गई रिया ने एक सामाजिक समारोह में अपनी सास का बहुत अपमान किया और ना जाने क्या-क्या कहा जो नीरज से सहन नहीं हुआ और नीरज के सब्र का बाँध टूट गया ,नीरज ने घर आकर रिया से बोल दिया
कि बस अब बहुत हो गया बहुत कर लिया तुमने मेरी माँ का अपमान अब और नहीं…अब तुम जा सकती हो अपनी माँ के घर ,रिया ने सपने मैं भी नहीं सोचा था कि नीरज ऐसा भी कर सकता है अब रिया को अपने हाथ से सब कुछ छूटता नजर आ रहा था पैसा और ऐशो आराम .. वह अपनी माँ के घर चली गई
अब उसके पास पछताने के सिवाय कुछ नहीं बचा काश उसने अपनी माँ की बात ना मानी होती तो आज उसका घर परिवार उसके पास होता ।उसकी माँ को भी पछतावा हुआ कि उसकी गलत सीख ने बेटी का बसा बसाया घर बिगाड़ दिया । उसने बेटी के मोह में उसने सही गलत भी नहीं देखा !!
शीतल भार्गव
छबड़ा जिला बारा राजस्थान
#मोहताज