संगीता – माँ जी ,आज क्या बनाऊँ खाने में ??
बबिता जी ( संगीता की सास ) – पूछ तो ऐसे रही हैं ,,जैसे रोज हमसे ही पूछकर बनाती आयी हैं !
संगीता – जिस दिन पापा जी ( संगीता के ससुर जी ) मंडी से एक साथ सब्जी लाते हैं तो हमेशा पूछकर ही बनाती आयी हूँ ? जब आप लेती हैं तो एक ही लेती हैं ,,उसमे भला क्या पूछना !
बबिता जी ( मुंह बनाती हुई )- जबान तो कैंची जैसी हो गयी हैं इसकी ,,देखो तो कैसे जवाब देती हैं ,,जैसे संस्कार दिये हैं मायके वालों ने वैसे ही तो दिखायेगी यहाँ ! ना खाना बनाना आता ,,ना घर के काम ,,बस बहस करवा लो महारानी पर !
संगीता – मुझे भी आपसे बहस नहीं करनी ! बताना हो तो बताईये नहीं तो और भी काम हैं मेरे पास ! बच्चें आते होंगे ट्यूशन से !
ये संगीता के ससुराल में रोज होता हैं ! उसके अंकित से विवाह को 15 साल पूरे हो चुके हैं ! 12 साल तक चूँ भी नहीं किया संगीता ने ! बस सुबह से शाम तक सास ,ससुर ,देवर,ननद ,पति ,बच्चों की खातिरदारी में ही लगी रहती ! देवर का 3 साल पहले विवाह हुआ ! देवरानी जी ऐसी आयी कि एक साल में ही सास से तंग आकर देवर के साथ अलग रहने लगी ! उसमें भी सास को संगीता ही बुरी लगती ! बबिता जी कहती – छोटी बहुरिया पढ़ी लिखी हैं ,,नौकरी करती हैं वहाँ ! इसलिये चली गयी घर से ! कभी उसकी बुराई नहीं कि क्यूंकी वो दहेज में संगीता से दुगुने पैसे जो लेकर आयी थी ! ऊपर से उसके पिता दरोगा ,बड़े भाई फौज में ,दूसरे वकील सभी ऊँचे ओहदे पर ! आते तो हमेशा खूब सामान देकर ज़ाते बबिता जी को ! कहकर ज़ाते ,,बबिता हमारी नाजुक हैं ,,इस पर काम नहीं होता ! कहिये तो हम लगवा दे नौकरानी ! खूब जवाब देती छोटे की बहू ! पर मजाल हैं उसको एक सुनाई हो आज तक बबिता जी ने ! दूसरी तरफ बेचारी संगीता गरीब परिवार से ,,पिता जी किसान ,एक भाई वो भी मानसिक रुप से विकृत ! इस वजह से बेचारी को हमेशा ताने सुन ने पड़ते !जब विवाह करके आयी तो अनिल ने साफ कह दिया – मेरे छोटे भाई बहन अब तुम्हारे बच्चें जैसे हैं ,,इनके विवाह तक सारी ज़िम्मेदारी हमें ही निभानी हैं ! संगीता भी अनिल की बातों पर खरी ऊतरी ! अपने बच्चों से भी ज्यादा प्यार दिया उसने देवर ननद को ! बच्चें भी उसके विवाह के 8 साल बाद हुए क्यूंकी अनिल को लगता था कहीं मेरे भाई बहन की तरफ संगीता का ध्यान कम ना हो जाए ! वैसे तो अनिल संगीता को बहुत प्यार करता था ! उसी के सहारे वो बबिता जी की करेले से भी कड़वी बातों को शहद की तरह घोलकर पीती रही ! एक साल पहले ननद रानी भी घर से विदा हो गयी ! पर अब संगीता जवाब देने लगी थी ! अब वो भी अपने शरीर ,,मस्तिष्क को आराम देना चाहती थी !
संगीता खाना बना रही होती हैं तभी अचानक घंटी बजती हैं !
बबिता जी – ए री ,,सुनायी नहीं पड़ रहा क्या कब से घंटी बज रही हैं ,,बहरी हो गयी है ! दिखता नहीं मैं पूजा कर रही हूँ ! बबिता जी इतना कहकर – ॐ जय जगदीश हरे का जाप करने लगी !
संगीता दौड़ती हुई आयी और दरवाजा खोला ! अरे दीदी आप इस समय ,,सब ठीक तो हैं ना ! ( पश्चीम उत्तर प्रदेश में छोटी ननद को भी दीदी ही कहा जाता हैं !
बिन्दू ( ननद रानी ) – अरे भाभी अंदर भी आने दोगी या सब बाहर ही पूछ लोगी ! बिन्दू रोती हुई बोली !
अपनी बीटिया की आवाज सुनकर बबिता जी पूजा बीच में ही छोड़कर आ गयी !
बबिता जी – बिन्दू री ,,सब ठीक तो हैं ?? रात को 9 बजे अकेले आयी हैं ,,य़ा दामाद जी भी साथ हैं ??
बिन्दू – माँ अनर्थ हो गया ?? आपकी बेटी ……….
आगे की कहानी अगले भाग में जो कल इसी समय आप लोगों को पढ़ने को मिलेगा !! आप लोग अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दिजियेगा !!
मीनाक्षी सिंह की कलम से
मौलिक अप्रकाशित
आगरा