एक तो ऑपरेशन से बच्चा जनी , वह भी बेटी ! पता नहीं क्या होगा मेरे बेटे के वंश का ।।
शारदा जी का यह अलाप “!!!! लगभग महीने भर से चालू था ।
शारदा जी अपने इकलौते बेटे ” कार्तिक ” की शादी धूमधाम से , अपनी पसंद की लड़की अंशिका से की थी ।
बहुत प्यार करती थी अंशिका से , और अंशिका भी उतना ही प्यार मान सम्मान देती थी ।
शारदा जी की कोई बेटी नहीं थी , लेकिन ! अंशिका के आने से वह कमी भी पूरी हो गई ।।
शादी के साल भर बाद पता चला , अंशिका गर्भवती है ” अब तो शारदा जी की खुशी का कोई ठिकाना ही ना था !!!!!
खूब ख्याल रखती अंशिका का , साथ ही साथ कोई देवस्थान नहीं बचा जहां उन्होंने मन्नत ना मांगी हो “,!!!! लेकिन सिर्फ पोते की ।
हर वक्त होते ही ही रट चढ़ गई थी जुबां पर , यहां तक की उसका नाम भी , सोच लिया था शारदा जी ने ।।
लेकिन आने वाले को कौन रोक पाता है , नौ महीने बाद ,”… प्यारी सी बिटिया आ गई अंशिका की गोद में ।
कार्तिक और अंशिका तो उसको देख निहाल हुए जा रहे थे , लेकिन शारदा जी बिटिया देखते ही घबाहर निकल आई “,,, उनका बड़बड़ाना जारी था , यहां तक की भूल गई कि वह हॉस्पिटल में हैं ।।।
और वहां अंशिका और बच्ची को उसकी जरूरत है ।
अगर नर्स ने आकर ना टोका होता ,,, तो उनका बड़बड़ाना भी बंद ना होता ।।
कार्तिक और अंशिका ने उसका नाम वंशिका रखा , सच में बड़ा प्यारा नाम था , और अपने नाम की तरह प्यारी थी वंशिका !!!!! जो देख ले पलक झपकना भूल जाए।।
लेकिन शारदा जी को फूटी आंख ना सुहाती , शारदा जी उसको छूना तो दूर देखती भी नहीं थी। लेकिन अंशिका को काम से एक महीने का आराम जरूर दिया था।
आज सवा महीने बाद बिटिया की पहली पूजा थी, आज भी उनका बड़बड़ाना बंद नहीं था””!!!!!!! लेकिन आज अंशिका ने ठान लिया, वह अपनी बेटी के लिए चुप नहीं रहेगी।
अगर आज चुप रही तो उसके साथ हमेशा अन्याय होगा ।
मां जी एक औरत होकर आप इतना भेदभाव कर रही हैं, आपने तो मां की ममता और औरत जात को ही शर्मसार कर दिया, आप भी तो औरत हैं मैं भी तो औरत हूं , बिना औरत के कौन सी सृष्टि चली है मां जी “!!! जो इस फूल सी दूधमुंही बच्ची को आप कोस रही हैं।
हर किसी को बेटा ही होगा , तो बहू कहां से आएंगी “!! लड़के की शादी लड़के से ही होगी क्या?
मां जी मुझे और इस बच्ची को शर्मसार करना बंद कीजिए , बार-बार आप खुद ऐसा कहेंगी , तो कल को दूसरे लोग भी कहेंगे “..!! जो कि मेरे बर्दाश्त के बाहर होगा ।।
और आप ही सोचिए, अगर मैं बाहर वालों को जवाब दूंगी”..!! तो आप की क्या इज्जत रह जाएगी।।।
इतना सुन शारदा जी खुद हक्की बक्की और शर्मसार हो चुकी थी, बहू ने सच्चाई का आईना जो दिखा दिया।
सच ही तो कह रही है अंशिका, जब मैं ही कहूंगी तो अगल बगल वाले क्यों चुप रहेंगे “!! उनको तो बहाना ही चाहिए घर में कलेश का।।
इतनी इज्जत करती है मेरी बहू, मैं ही अंधी हो गई थी पोते की चाह में” कहीं बाहर वालों के सामने कहती तो क्या इज्जत रह जाती मेरी””।।।
अभी बहू से माफी मांग लेती हूं!!!
मुझे माफ करना बहू”, मुझे पहला बेटा हुआ था, और मेरी सास बहुत खुश थी, इसीलिए वही भावना मेरे मन में भी आ गई।।
इसीलिए मैं अपनी पोती को नहीं स्वीकार कर पा रही थी, मुझे माफ कर दो!! आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा, पोती है तो क्या हुआ मेरी जान है”और मेरा नाम भी रोशन करेगी।।
बिल्कुल मेरे बेटे और बहू की तरह।।
(आजकल औरतों को हर जगह शर्मसार किया जाता है बिना सोचे समझे , एक औरत ही औरत की दुश्मन होती हैं और हां बेटी होना कोई गुनाह नहीं बल्कि अहोभाग्य है। हर किसी के नसीब में नहीं होती हैं बेटियां,,,, औरतों को शर्मसार करना और बेटी बेटा में भेदभाव दोनों ही बंद होना चाहिए)
सरगम भट्ट
गोमतीनगर लखनऊ