मां मै वापस आ गयी “
दरवाज़े की कुंडी खटखटाई ”
विनती ने”
अंदर से कोई आवाज न आयी “
मां सो गयी क्या “
मां “मां “
काफी देर तक इंतजार करती रही विनती”
क्या हुआ बिटिया कब आयी!
बस अभी काकी “
सोचा मां को सप्राइज दे दूं”
पर ये तो घोडा बेचकर सो रही है “
बिटिया सुबह पास वाली गुप्ताइन के पास देखा था, उसके बाद से देखा नही “
अच्छा ” चाची मुझे तो चिन्ता हो रही है ,
बिटिया चिन्ता न करो”
ये कमल तनिक इधर आओ तो”
पास से गुजर रहे लडके को आवाज दी चाची ने”
हा चाची”
बेटा लग रहा है सुधा सो गयी है “
पीछे की दीवार से कूदकर जाओ उठा दो’
विनती दी सुधा ताई तो फर्श पर हंफते हुए बोला “कमल “
उसकी माथे पर पसीने की बूदें देखकर विनती समझ गयी की कुछ गडबड है!
“विनती ने पापा का नम्बर डायल “किया,
पापा कहा हो आप “”
बेटा ऋषि के पास तुम्हारी मां ने कुछ सामान भेजा था!
मां से आपकी बात कब हुई थी!
रात में, यहा पहुंचने के बाद”
हद है पापा””
हुआ क्या”
आप ऋषि अनु भाभी को लेकर निकलो अभी”एक सांस मे अनु ने सारी बात बता दी”
कमल दरवाजा तोड, विनती जोर से बोली” अबतक काफी लोग इक्कट्ठे हो गये थे!
दरवाजा टूटते ही विनती ने अंदर की ओर दौड लगा दी”
अंदर मां पर नजर पडते ही, उसके पैर फर्श से चिपक गये “
मां खून मे सरोबार फर्श पर पडी, थी” अब तक काफी लोग अंदर आ गये थे!
मां विनती रोये जा रही थी” कुछ लोग उसे सांत्वना दे रहे थे!
आनन फानन मे ” डाक्टर साहब भी आ गये !
विनती के पैरो के नीचे से जमीन खिसक गयी, जब डाक्टर साहब ने मां को मृत घोषित कर दिया!
मां मै ” तो तुझे सप्राइज देने आयी ” तूने तो मझे बडा वाला दे दिया!
समय काटे नही कट रहा था!
पापा भी बेटे बहू के साथ आ गये थे!
कुछ घंटो मे मां पंचतत्व मे विलीन हो गयी”थी”
आज चौदह दिन हो गये थे,
दीदी और कुछ दिन रूक जाओ, आपके रहने से पापा का मन लग जाऐगा “
बेटू की पढाई का नुकसान हो रहा है!
विनती का मन हुआ की वो अनु भाभी को डांट दे”
अब इससे बडा नुकसान क्या होगा “
पर कुछ न बोल पायी!
अनु भाभी पति और बेटू को लेकर शहर वापस चली गई!
विनती ठगी सी खडी देखती रही”
क्या इसी दिन के लिए मां बाप बच्चों की परवरिश करते हैं!
ताकि जब जरूरत हो तो उन्हे छोड जाये”
अचानक विनती को पापा की याद आयी, वो कमरे की ओर बढ गयी “
पापा का चेहरा पीला पड गया था!
वो नजदीक आ गयी!
बेटी तू गयी नही “
नही पापा मै नही जा पायी “
मेरे जाने के बाद आपको कुछ हो गया तो” फफक उठी विनती “
रोते रोते अचानक चुप हो गयी विनती “
उसका चेहरा सपाट हो गया!
पापा अब मै यही रहूंगी,बेटे ही नही मां बाप की ऋणी बेटिया भी होती है!
पापा ने विनती को गले लगा लिया, और सुबक पडे”
वो निरुत्तर थे” बेटी के सवाल पर”””
समाप्त “
रीमा महेन्द्र ठाकुर साहित्य संपादक वरिष्ठ लेखक ” राणापुर झाबुआ मध्यप्रदेश भारत