आज राहुल बहुत खुश था स्कूल प्रतियोगिता मे पहला स्थान प्राप्त कर पूरे ₹2000 जीते थे उसने ,यही झूठ तो बोलना था उसे मां से ,धोखा दे रहा था वह मां को प्रतियोगिता के नाम पर पैसा देकर पर सब मां के लिए ही करता था ।
पूरे रास्ते सोचते आया था कि अब मां का इलाज हो जाएगा हां वही तो थी सब कुछ उसका, बाबा के जाने के बाद बाबा सी ढाल बनी थी वह उसके लिए।
मां का प्यार सुबह की ओस सा था उसके लिए शीतलता लाए रहता था उसके लिए ।घर के खाली बजते डब्बो की आवाज हमेशा अपने हंसी की खिलखिलाहट से छुपाती आई है वह ।कभी मजदूरी की तो कभी दूसरे के कपड़े सिल, कब वह उसके और अपने कपड़ों को पैबद लगा देती राहुल को पता नहीं लगता।
पैबंद छुपाने की कला के साथ मां को अपनी बीमारी, परेशानी, भूख से बिलबिलाता खाली पेट भी छुपाना अच्छे से आता था।
ऐसी ही होती है मां रात को मखमली बिस्तर का एहसास कराती गोदी तो सुबह प्यार से लबालब दो रोटी खिलाती हुई।
पता नही कहा से जुगाड लाती थी वो सब जिसकी राहुल को जरूरत होती।राहुल से कहती मुझे खाना बनाने का काम मिला है,पल्ले मे उन हथेलियों को छुपाती जो कभी पत्थर उठाने तो कभी भारी बोरियां उठाने की वजह से सूज जाती।
हमेशा मुस्कान बिखेरती रहती ,उसकी मुस्कान देखकर राहुल शांत रहता पर रात को मां की मलहम लगी हथेलियों के पीछे छिपे दर्द और भूखे पेट की गुड़गुड़ाहट और उसकी दो रोटी के जुगाड को समझने लगा था।
जभी तो मां से यह कहकर कि स्कूल के बाद दोस्त के साथ पढ़ाई करूंगा,स्कूल के पास वाली दुकान पर काम करने लगा था।कमाए पैसे मां के हाथ मे यह कहकर रख देता कि प्रतियोगिता मे जीते है।
गरीबी और लगन एक दूसरे को धोखा दे रही थी।
पर यह धोखा दोनो के रिश्तों को और मजबूत बना रहा था।
मां का लगातार होने वाला बुखार राहुल को अब तंग करने लगा था,कई बार जिद्द मनोहार करता कि डॉक्टर को दिखा कर दवाई ले लो।मां हां मे सर हिला देती। कहती दवा ले ली है ठीक हो जाऊंगी।
पर मां के इलाज की चिंता ने उसे एक और दुकान पर काम करने को मजबूर होना पड़ा।जिससे उसकी पढ़ाई पर असर होने लगा।राहुल मां के इलाज के लिए पैसे जोड़ने लगा और मां को देने लगा ,इलाज करा लो मां।
पूछने पर कहता प्रतियोगिता ज्यादा होने लगी है मैं अच्छा खेलता हूं तो मास्टर जी मुझे ले जाते है फिर धोखा दे रहा था वो मां को।
मां गले लगाकर कहती पढ़ाई पर ध्यान रख अव्वल आना है।
पैसों को राहुल के लिए ही रख देती,मास्टर जी मिले थे रास्ते मे कहा था” राहुल को अच्छे मास्टर और पढ़ाई की जरूरत है। ,”
एक रात बुखार मे लड़खड़ाने लगी तो राहुल घबरा गया,डॉक्टर ने दवाई के साथ टेस्ट करने के लिए पैसे मांगे,राहुल इस उम्मीद से घर आया कि कही से कुछ पैसे मिल जाए,मां के तकिए के नीचे एक डब्बा जिसमे टूटीफुटी हिंदी मे लिखा था,” राहुल के लिए”।
आदत थी मां की डब्बा पर लिखकर पैसे जोड़ने की।राहुल समझ गया कि कौन से पैसे है क्युकी मां के पैसे तो रोटी की जरूरत ही पूरी कर पाते थे।
डॉक्टर को पैसे देकर ,प्यार और गुस्से मे भीगी आंखों से कहा दवाई नही ली थी,धोखा दिया मुझे,कुछ हो जाता तो। मां बोली,” कैसे हो जाता तेरा प्यार जो था मुझे बचाने के लिए।”
हल्के से मुस्कुराकर कहा,” तेरा धोखा भी पता है मुझे जो मुझे प्रतियोगिता के नाम पर देता आया है।
” पर मुझे गर्व है अपनी परवरिश पर मेरे बेटे ने मुझे मेरे लिए धोखा दिया।,”।
राहुल बोला,” मुझे तुम पर,” अब टेस्ट मे निकली खून की कमी को पूरा करना है,खाने के नाम पर धोखा नहीं देना है अब।जो करेंगे साथ करेंगे।मां बेटे अपने अपने दिए गए धोखे से खुश थे और आज साथ थे।
#धोखा
तृप्ति शर्मा।