” बिट्टू बेटा, जल्दी करो, तुम्हारे ऑटो रिक्शा वाले अंकल आ गए हैं, देखो होर्न पर होर्न बजाए जा रहे हैं” निशा ने अपने सात साल के बेटे को कहा।
“मम्मी, आज मुझे पापा के साथ स्कूटर पर जाना है आप अंकल को बता दिजीए ना…..
“बेटा, बात को समझो जरा, पापा को तुम्हें छोड़ने में देरी हो जाएगी तो उनके बॉस उन पर गुस्सा होंगे इसलिए तो तुम्हारे लिए ऑटो रिक्शा बंधवाया है और वैसे भी शाम में तो अंकल के साथ ही तो आना है।” निशा इतना कह ही रही है कि तब तक ऑटो रिक्शा चालक घर के दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया था और बिट्टू को देखकर अपनी कुटिल हंसी हस रहा है जिसे निशा ने गौर भी नहीं किया है।
” नहीं मम्मी, आज में स्कूल जाऊंगा तो पापा के साथ ही वरना नहीं जाऊंगा” कहते हुए बिट्टू अपने पापा अमित को लिपट गया।
‘कोई बात नहीं बेटे, चलों आज में तुम्हें छोड़ देता हूँ स्कूल, तुम्हारा मन है ना ” कहते हुए अमित ने अपने साथ साथ बिट्टू का स्कूल बैग भी उठा लिया और निशा उससे कुछ कहती उसके पहले वो घर से बाहर निकल आया और ऑटो रिक्शा चालक की और मुखातिब होते हुए कहा,” आप शाम में उसे लेते आइएगा।”
बिट्टू, अपने पापा अमित को कसकर पकड़ कर स्कूटर की पीछे बैठ गया और जैसे ऑटो रिक्शा चालक से कह रहा हो मेरे साथ मेरे पापा है।
स्कूल के सामने बिट्टू को अमित ने उतार दिया, बिट्टू का मासूम सा चेहरा उतर गया वो अमित ने गौर किया पर वो यह समझा कि बिट्टू को स्कूल जाना अच्छा नहीं लगा या पापा से बिछड़ने का राम है शाम में जब बिट्टू स्कूल से वापस घर आया तो जो सुबह में हंसता खिलखिलाता चेहरा था मानो वो जैसे मुरझा सा गया है, इस वक्त भी निशा ने गौर नहीं किया कि बिट्टू को कुछ परेशानी हो सकती है |
दूसरे दिन बिट्टू बिना कुछ कहे ऑटो रिक्शा में बैठ गया पर जो हंसी और खुशी उसके चेहरे पर झलकती थी वो कहीं खोने लगी है शाम में जब ऑटो रिक्शा चालक ने सब बच्चों को अपने अपने घर उतार कर आखिर में बचे बिट्टू को वो सुनसान रास्ते पर ले जाने लगा तो बिट्टू का डर के मारे बदन पसीने से भीग गया और उसके मुंह से चीख भी नहीं निकल रही है, जैसे ही उसने झाड़ियों में अपनी ऑटो रिक्शा रोकी तो सामने निशा और पुलिस को पाकर वो बिट्टू को छोड़कर भागने की फिराक करने लगा पर पुलिस वालों ने उसे घेर लिया।
बिट्टू भागकर अपनी माँ को लिपट गया और सुबकने लगा। सुबकते हुए उसने कहा कि, “माँ ऑटो रिक्शा वाले अंकल अच्छे नहीं है…” और फिर जब उसने वाचक निगाहों से निशा को पूछा कि ” मम्मी, तुम्हें कैसे पता चला कि यह अंकल मेरे साथ गंदा काम करते हैं “
“बेटा, घबराओ मत में और तुम्हारे पापा तुम्हारे साथ है। तुम ने इस अंकल के साथ आने को मना किया तब का और जब मैंने तुम्हें शाम में उनके साथ आने को कहा तब का तुम दोनों का चेहरा मैंने नोटिस किया था और दो तीन दिन से तुम लेट आते हो और तुम्हारे चेहरे की हसी और खुशी जो गायब हो गई है उस सब बातों पर मैंने गौर फरमाया पर मैंने उस वक्त चुप रहना ही बेहतर समझा क्या तुम कुछ नहीं कहते तो हमें पता नहीं चलता ? में तुम्हारी माँ बेटा तुम्हारी हंसी खुशी, जर तुम्हारी उलझन को भी पहचान लेती हूँ मैं फिल जब कल रात तुम्हारी होमवर्क की पुस्तकें चेक कर रही थी, इस गंदे और घिनौने आदमी का चेहरा हो कर के तुम ने जो स्केच पेन से उस पर लिखा था गंदे अंकल तब ही मुझे पता चल गया था और मैने तुम्हारे पापा को भी बताया कि हमारे बेटे के साथ यह आदमी पिनौना काम कर रहा है।
परंतु उसका चेहरा सामने लाना था और उसे कानूनी सजा भी दिलवानी है जो उसे रंगे हाथ पकड़ने के लिए ही आज तुम्हें स्कूल भेजा, जैसे कि कुछ पता ही ना हो इस तरह से….. हम ने पुलिस को इत्तिला कर दिया था और जहां से तुम अकेले रह जाते हो ऑटो रिक्शा में वही से पीछा किया है। अब घबराने और डरने की कोई बात नहीं है ” कहते कहते फफक फफक कर रो पड़ी निशा…….
पुलिस अधिकारी ने निशा का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि, “मैडम, आप ने बहुत अच्छा काम किया कि हमें आप ने इत्तिला दे दी जिससे हम आरोपी को रंगे हाथ पकड़ सकें, पर आप को जानकर हैरानी होगी कि आज तक किसी मातापिता ने इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की चाहे जो भी वज़ह हो और एक बात यह ऑटो रिक्शा चालक असल में रिक्शा चालक नहीं है एक मानसिक रोगी के साथ साथ एक चालाक आदमी और अपराधी है क्योंकि असल में वो ऑटो रिक्शा चालक नहीं है इसलिए आज तक हम उसे पकड़ नहीं पाए।
आप बिट्टू को लेकर घर जाइए, आगे की कार्यवाही हम देख लेंगे।”
तब तक अमित भी आ चुका था, उसने पूरी बात सुन ली थी। अपने बेटे को अपनी गोद में उठा कर वो एक सरसरी निगाह उस घिनौने आदमी पर डाल कर अपनी पत्नी के साथ घर चल दिया।
दोस्तों, हम ऑटो रिक्शा चालक पर कभी कभी आंख मूंद कर भरोसा कर लेते हैं जिसका कभी हमें खराब परिणाम भी भुगतना पड़ता है। मैं यह नहीं कहती कि सब बुरे इन्सान है, सौ में से एकाध इन्सान ऐसे निकलते हैं जो दूसरों की जिन्दगी को आहत कर जाते हैं।
#संस्कार
भाविनी केतन उपाध्याय
स्वरचित और मौलिक रचना ©®
धन्यवाद