माँ आपकी परछाई भी अब मुझे बर्दाश्त नहीं होगा – वीणा सिंह  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :

मिसेज मेहता आप कितनी हॉट और यंग लगती हैं, लगता हीं नहीं की चौदह साल की बेटी की मां हैं.. कुहू तो आपकी छोटी बहन जैसी लगती है… वैसे आप पर नहीं गई है अपने पापा जैसी है…

     कुहू के कानों में पिघले सीसे सा वर्मा आंटी की बातें और मम्मी की गर्वमिश्रित हंसी उतर गई.. उसे अपनी सगी मां से हीं #जलन# हो रही थी किटी पार्टी में शामिल और भी मम्मी की सहेलियों ने समर्थन किया… बर्दास्त से बाहर होने पर कुहू अपना कमरा छोड़ उपर मंजिल पर बने कमरे में चली गई… जब भी परेशान होती यही चली आती एकांत उसे बहुत अच्छा लगता..

 

                      स्कूल में जब भी पेरेंट्स टीचर मीट होता मम्मी हीं जाती पापा टूर पर हीं रहते अक्सर.. सारी मम्मियां साड़ी या सलवार सूट में आती लेकिन मेरी मम्मी शॉर्टड्रेस कभी वन पीस कभी कैप्री पहन के आती.. मेरी सहेलियां टीचर कहते वाह तेरी मम्मी तो बिलकुल मॉडल लगती है… तू अपनी मम्मी की बेटी नही है… मम्मी कहती ये पापा पर गई है…,

कुहू का रंग मम्मी जैसा दूधिया नही था पर नयन नक्श अच्छे थे…

मम्मी टीन एज बेटी को कम समय देती अपनी खूबसूरती निखारने में लगी रहती कभी ब्यूटी पार्लर कभी जिम तो कभी योगा क्लास…

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कुहू धीरे धीरे हीन भावना से ग्रसित होती जा रही थी…  मम्मी से जलन धीरे धीरे नफरत में बदलता जा रहा था..इस उम्र की लड़कियों में जो बेफिक्री मस्ती हंसी खुशी और खाने पहनने की रुचि होती है उससे कुहू बिल्कुल अलग थी.. उदास खोई खोई.. पापा का काम ज्यादातर ट्रेवलिंग वाला था घर पर कम हीं रहते…

                    कामवाली बाई शीला की बेटी भी उसके हमउम्र थी… उसके कपड़े शीला अपनी बेटी के लिए ले जाती थी… बातों बातों में शीला ने एक दिन कहा मेम साब साड़ी पहनती तो कितना अच्छा रहता उनकी पुरानी हो चुकी साड़ियां मैं ले जाती पहनने के लिए…

कुहू के कपड़े पहन शीला की बेटी कभी शीला के साथ आती तो शीला बहुत प्यार और स्नेह से अपनी बेटी को देखकर कहती आपके कपड़े मेरी बिटिया पर कितने जच रहे हैं, कौन कहेगा इसे देखकर कि मेरी बेटी है नजर ना लगे मेरी लाडो को कहते हुए नजर उतार लेती.. कुहू को शीला की बेटी के भाग्य से ईर्ष्या होता..

  

                           ऐसे हीं वातावरण में कुहू बड़ी हो रही थी… क्लैट की परीक्षा क्वालीफाई कर पढ़ने के लिए बेंगलुरु चली गई.. साल में एक बार एक महीने की छुट्टी होती पर कुहू उसमे भी घर नही आना चाहती थी.. एक बार छुट्टी में घर नही जाने पर मम्मी और पापा सरप्राईज विजिट में कुहू से मिलने चले गए… साधारण से ड्रेस में कुहू और वन पीस हाई हील धूप का चश्मा लगाए जब कुहू की मम्मी हॉस्टल के कैम्पस में गई तो फिर से कुहू को वही सब सुनना पड़ा…

 

मजबूरन छुट्टियों में जाना पड़ता…

कुहू की शादी तय हो गई… सगाई और शादी सब एक साथ हीं होना तय हुआ…

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हर मां चाहती है कि शादी का जोड़ा ऐसा हो की उसकी बेटी दुनिया की सबसे खूबसूरत दुल्हन लगे पर कुहू की मां हर फंक्शन में पहनने के लिए अपने ड्रेस की खरीदारी में व्यस्त हो गई थी आखिर अपने किटी ग्रुप में अपनी खूबसूरती  का सिक्का जो जमाना था… अपनी खूबसूरती की तारीफ और इसको मेंटेन करने में इतनी मशगूल हो गई थी कि जवान हो रही बेटी के मनोभाव पढ़ ना सकी.. ये उनका पैशन बन चुका था..

और कुहू अपनी सहेलियों के साथ पापा के बहुत कहने पर खरीदारी करने गई…

 

जयमाल से लेकर शादी तक  कुहू की मम्मी  मम्मी कम सहेली का रोल ज्यादा कर रही थी… फोटो शूट से लेकर हर जगह नजर आ जाती…. बेटी की शादी में प्रायः माएं भरे दिल और भरी आंखों को छुपाती  रस्मों को पूरा करने  और तैयारियों में मशगूल रहती है ..कुहू का जलन और आक्रोश चरम सीमा पर था…

 

         शादी अच्छे से संपन्न हो गई… बिदाई के पहले कुहू अपनी मम्मी और पापा को लेकर  घर के सबसे ऊपरी मंजिल पर गई कमरे का दरवाजा बंद किया और कहा मेरे रिसेप्शन पार्टी में मेरे ससुराल मम्मी आप नही आएंगी… मेरी नई जिंदगी की शुरुआत हो रही है  उसमे आपके नापाक कदम ना हीं पड़े तो बेहतर है मुझे अब माफ कीजिए और मेरी जिंदगी से निकल जाइए.. आपकी परछाई भी अब मुझे बर्दाश्त नहीं होगा… मैं कुछ कर लूंगी..

पापा मम्मी अवाक से कुहू को देखने लगे… मम्मी ने पूछा मेरा कसूर क्या है और फट पड़ी कुहू अब तक की सारी बातें कह डाली… बचपन से जवानी तक की अनकही पीड़ा नफरत गुस्सा सब निकल रहा था आंखों से पिघल रहा था…

एक झटके में दरवाजा खोलते हुए कुहू ने कहा अगर कभी आप मुझसे मिलने आना तो मां बन के आना ना कि मेरी प्रतिद्वंदी … जिसके कारण मुझमें जलन की भावना कूट कूट कर भर गई है.…और कुहू विदा हो कर ससुराल चली गई…

अपनी मां के वजूद पर एक प्रश्न चिन्ह लगा गई…

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कुहू दुल्हन बनी रिसेप्शन  पार्टी को केंद्र बिंदु बनी थी.. सब दुल्हन की तारीफ कर रहे थे.. कुहू आज बहुत खुश थी क्योंकि आज उसकी प्रतिद्वंदी उसकी हीं मम्मी यहां नही थी…

दुल्हन के मम्मी पापा आ गए किसी ने कहा और कुहू के चेहरे का रंग उड़ गया… पर जैसे हीं मम्मी को देखा उसकी आंखे खुली की खुली रह गई .. क्रीम कलर की लाल पाढ़ की साड़ी बाब कट बालों को करीने से समेट करबनाया गया जुड़ा और हल्का मेकअप मम्मी का व्यक्तित्व कितना गरिमामय लग रहा है…आज प्रतिद्वंदी ना होकर मां की छवि नजर आ रही है आंखों में ममत्व का भाव आज पहली बार महसूस कर रही हूं.. और जलन कोसो दूर बहुत दूर  चला गया था .मम्मी कहते हुए कुहू मां के कलेजे से लग जाती है…

❤️❤️🙏✍️

Veena singh..

#स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #

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