निशा अपनी मां का ये चेहरा देखकर,… आवाक रह गई। मां तो बस,…सबकी सुनती हुई, सबकुछ सहती हुई एक सामान्य महिला लगती थी। पर आज…जब निशा की बात आई तो एकदम से शेरनी हो गई। मां के इस चेहरे से हमेशा अनजान थी, निशा,….तो क्या हर किसी के दो चेहरे होते हैं? निशा के मन में, कई सवालें उठ रही थी।
निशा अभी अठारह की भी नहीं हुई है और उसकी शादी,….निशा की मां नंदनी ने साफ कह दिया, वो पढ़ेगी, और अपने पैरों पर खड़ी होगी, तभी उसकी शादी होगी। निशा की दादी ने कहा,….मेरी दोनों बेटियों की शादी पंद्रह, सोलह साल में कर दिया, तुम भी तो उस समय थी,… उस समय क्यों नहीं कुछ बोली? बेटियों को जितनी जल्दी शादी एक दे, फिर अपनी जिंदगी आसान हो जाती है। कोई चिंता नहीं रहती। आखिर सूरज और रितेश(निशा के दोनों भाई) की पढ़ाई उसका कैरियर भी तो देखना है। जब तक ये चिंता खत्म न कर लें,…बेटी ब्याह का,…।
नंदिनी, दहाड़ी, मैं अपने लिए कभी न बोल पाई, मायके जाना है आपकी सहमति चाहिए, क्या पहनना, क्या खाना, कब सोना, कब जगना, सब तो आपलोगों ने तय किया। और उस समय मैं शादी कर नई आई थी, जब आपने अपनी बेटियों की शादी किया। मैं क्या बोलती, कौन सुनता मेरी? साथ ही जब उनकी मां को कोई दिक्कत नहीं तो, फिर मैं क्या बोलती? और आपने शादी कर दिया तो आपकी बेटियां कौन सा सुखी है, शारीरिक रूप से अस्वस्थ, मानसिक रूप से कमजोर। और वैसे ही अपने ससुराल वालों पर आश्रित, बिल्कुल मेरी तरह।
हो भी क्यों नहीं, आपने उसे कोई लायक बनाया ही नहीं। न ही मेरे माता-पिता ने मुझे शिक्षा का दान दिया, न आपने। मैंने अपनी हालत से समझता कर लिया, लेकिन बेटी के जन्म के बाद से ही खुद से वादा किया था कि मेरी बेटी न अनपढ़ रहेगी, न ही किसी पर आश्रित। और मेरी बेटी की शादी तभी होगी,…जब वो अपनी शिक्षा पूरी कर लेगी नंदिनी के शब्दों में इतना आत्मविश्वास था कि सबकी सुनने वाली नंदिनी के सामने सब चुप थे।
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घर में निशा की शादी की बातें बंद हो गई। रात निशा ने मां से पूछ ही लिया, मां इसे ही दोहरे चेहरे कहते हैं क्या? एक आपका डरा हुआ, और दूसरा,…सबको डराने वाला। नंदिनी, निशा के बालों में हाथ फेरने लगी,…नहीं, बेटा, दोहरे चरित्र या, दोहरे चेहरे की परिभाषा फिर कभी बताऊंगी। ये तो एक मां का चेहरा था,…
जो हर चेहरे से अलग, सिर्फ अपने बच्चे के लिए चमकता है, लड़ता है, खिलता है। सबसे मजबूत, सबसे ताकतवर सबसे हिम्मती होता है। नंदिनी ने देखा, निशा सुकून की नींद सो चुकी थी। निशा का मासूम चेहरा देखकर, नंदिनी को भी सुकून मिल रहा था।
#दोहर_चेहरे
चाँदनी झा