अरे सुनीता बहु बाजार जा रही हो??जी मम्मी जी! सुन बेटा मेरी बीपी और शुगर की गोलियां भी खत्म हो गई है वो भी ले आना …. और सुन दवाइयों पर डेट अच्छी तरह देख लेना यह दुकानदार मुये पुराने डेट की दवाइयां दे देते है…. ठीक है….मम्मी जी तो अब मैं चलूं…
अरे सुन तो भागी कहां जा रही है घर में सब्जियां भी नहीं है….. तो तुम भिंडी, परवल ,करेला और टमाटर ले आना….. ध्यान रहे सब्जियां हरी हरी और और ताजी होनी चाहिए बांसी ना हो… एक बात और सब्जी वाले से पैसे हिसाब करके ले लेना….. ठीक है, मम्मी जी और कुछ या मैं जाऊं…
यह है, शकुंतला जी जो अपने पति सुरेश जी, बेटा सुनील और बहू सुनीता के साथ शकुंतला निवास में रहती है…. दो बेटियां भी है नेहा और सरिता जिनकी शादी हो चुकी है ….वैसे शकुंतला जी बहुत ही शालीन और सदार है….मन की बुरी भी नहीं है…
बस इनमें एक ही खराबी है वो ये की यह बोलती बहुत ज्यादा है…हर किसी के काम में नुस्ख निकालना और बार-बार ऐसे नहीं करना वैसे करना… यह हिदायत देने की इनकी बहुत बुरी आदत है…. इनके इसी स्वभाव के कारण ही इनका बेटा सुनील अब घर में कोई भी सामान लाने से मना कर देता हैं… पति सुरेश जी से भी छींटाकशी चलती रहती है….
सुनीता अभी 6 महीने पहले ही बहू बनकर आई है….
शकुंतला जी का वैसे अपनी बहू के साथ व्यवहार ठीक है वह उसे किसी भी चीज में रोकती टोकती नहीं है बस खराबी एक ही है…. वो ये की कोई भी समान मंगाती हे… तो इतनी हिदायत देती है… मानों सामने वाले आदमी में तो जैसे कोई अक्कल ही नहीं है….
सुनीता दवाई और सब्जी लेकर जैसे ही घर में घुसी तभी शकुंतला जी फिर शुरू हो गई….बहु दवाइयों की डेट चेक कर ली थी ना, सब्जियां ताजी तो है, ना… पैसे हिसाब करके तो वापस लिए वगैरह वगैरह….
सुनीता चुपचाप सब सुनकर हां बोल कर रसोई में चली गई . .. उसी समय उनकी एक नंबर बेटी स्नेहा घर में आई. … शकुंतला जी अरे स्नेहा तुम कब आई सुबह-सुबह सब ठीक है ना???
मां मैं तभी आई जब आप भाभी का दिमाग खराब कर रही थी…. मां यह सब क्या है… भाभी के प्रति आप का बर्ताव सही नहीं है! !!
भाभी एक पढ़ी लिखी समझदार लड़की है वह चाहे तो भैया की तरह जॉब कर सकती है… लेकिन वो समझती है कि घर के प्रति उनकी क्या जिम्मेदारियां हैं..,.. वह पलट कर जवाब नहीं देती इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें बोलना नहीं आता वह तो
उनके मम्मी पापा के दिए हुए अच्छे संस्कार ही हैं जो आपकी बेकार बातें चुपचाप सुनती रहती है….. ” उन्हें भी बुरा लगता है… 6 महीने में 6 बार आई हूं …और छह के छह बार मैंने उन्हें अकेले में रोते हुए देखा है…..
इसलिए मां आप भी अपनी जिम्मेदारी को समझो…. आपको भी समझना होगा कि घर के सारे सदस्यों का आपसे प्रेम बना रहे….
आपके व्यवहार के कारण सबसे आपके रिश्ते धीरे-धीरे खराब हो रहे हैं…. पापा से झगड़ा चलता ही रहता है…. भैया ने भी आपके इसी स्वभाव के कारण आपका कोई भी सामान लाने से मना कर दिया है… रही बात हम दोनों बहनों की तो हम तो अपने अपने गृहस्थी में रच बस गई….. सब आपके साथ है… क्योंकि सब आपकी प्रेम की डौर से बंधे है… लेकिन बहुत समय तक आप बांध कर नहीं रख पाओगी….
आप एक अच्छी पत्नी, मां और अच्छी सास बन सकती हो…. सिर्फ अपने स्वभाव को बदल कर…
अगर आपने अपना स्वभाव नही बदला तो धीरे धीरे सब आपसे दुर होते जायेंगे…. और आप अकेली ही रह जाएगी…. कोई आपको सुनने वाला नहीं होगा…
अच्छा जरा ध्यान से सोचो अगर यही बर्ताव आपकी बेटियों के साथ ससुराल में हो तो क्या आपको अच्छा लगेगा… नही ना
तो जो आप अपनी बेटियों के लिए बर्दाश्त नहीं कर सकती….. तो आप ऐसा बर्ताव अपनी बहू के साथ कैसे कर सकती है आखिर वह भी तो किसी की बेटी है….
मैं तो कहती हूं मां जो हुआ सो हुआ लेकिन अब आपको भाभी से माफी मांग लेनी चाहिए….
नेहा ने जब शकुंतला जी को आईना दिखाया तो उन्हें अपनी गलती समझ में आ गई तो उन्होंने अपनी बहू सुनीता से अपनी गलती की माफी मांगी और उसे अपने गले से लगा लिया… ” तो सुनीता की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े….
नेहा की बात का इतना गहरा असर हुआ शकुंतला जी पर कि उस दिन से उन्होंने अपने स्वभाव को एकदम बदल दिया…. जिससे सारा परिवार उनकी मनुहार करने लगा और घर में खुशी का माहौल छा गया….
दोस्तों अक्सर देखा गया है कि कभी-कभी छोटी सी गलती परिवार में तनाव का कारण बन जाती है….
आपको क्या लगता है….कि शकुंतला जी का बर्ताव अपनी बहू के प्रति और बाकी घर के सदस्यों के प्रति ठीक था …क्या नेहा ने अपनी मां को समझा कर सही किया???अपने सुझाव कमेंट के माध्यम से मुझे जरूर दीजिएगा….लेखन में कोई त्रुटि हो तो क्षमाप्रार्थी हूं .,अगर आप मेरी स्वरचित रचना से सहमत हो और आपको अगर रचना अच्छी लगी हो तो प्लीज इसे लाइक, कमेंट और शेयर जरूर कीजिएगा…
@ मनीषा भरतीया