लोभ का तालाब

 

एक बार मुगल  सम्राट अकबर के दरबार में एक सवाल उठा कि ‘  दुनिया मे ऐसा कौन सा तालाब है जिसमें गिरने के बाद आदमी बाहर नहीं निकल पाता?’ इस प्रश्न का उत्तर कोई नहीं दे पाया।

आखिर में मुगल  सम्राट अकबर ने बीरबल से कहा कि इस प्रश्न का उत्तर सात दिनों के अंदर लेकर आओ, वरना आपको मंत्री का पद छोडना होगा और इस नगरी को छोड़कर दूसरी जगह जाना होगा।

एक सप्ताह बीत चुके थे। बीरबल को जबाव नहीं मिला था। बीरबल निराश होकर पास के जंगल मे चले गए वहां उनकी भेंट एक गड़रिए से हुई। गड़रिए ने पूछा -” आप तो बीरबल  हैं, सम्राट के दुलारे हो फिर चेहरे पर इतनी उदासी क्यों?

यह गड़रिया मेरा क्या मार्गदर्शन करेगा? सोचकर बीरबल  ने कुछ नहीं कहा। इसपर गडरिए ने पुनः उदासी का कारण पूछते हुए कहा -” बीरबल जी हम भी सत्संगी हैं, हो सकता है आपके प्रश्न का जवाब मेरे पास हो, अतः नि:संकोच कहिए।” बीरबल ने प्रश्न बता दिया और कहा कि अगर कल तक प्रश्न का जवाब नहीं मिला तो मुगल सम्राट नगर से निकाल देगा।

गड़रिया बोला -” मेरे पास पारस है उससे खूब सोना बनाओ। एक मुगल सम्राट क्या लाखों मुगल सम्राट तेरे पीछे घूमेंगे। बस,पारस देने से पहले मेरी एक शर्त माननी होगी कि तुझे मेरा चेला बनना पड़ेगा।”

बीरबल के अंदर पहले तो अहंकार जागा कि दो कौड़ी के गड़रिए का चेला बनूं? लेकिन स्वार्थ पूर्ति हेतु चेला बनने के लिए तैयार हो गया।



गड़रिया बोला -” *पहले भेड़ का दूध पीओ फिर चेले बनो। बीरबल ने कहा कि यदि एक राजमंत्री भेड़ का दूध पीयेगा तो उसकी बुद्धि मारी जायेगी। मैं दूध नहीं पीऊंगा। तो जाओ, मैं पारस नहीं दूंगा – गड़रिया बोला।

बीरबल बोला -” ठीक है, दूध पीने को तैयार हूं,आगे क्या करना है?”

गड़रिया बोला-” अब तो पहले मैं दूध को झूठा करूंगा फिर तुम्हें पीना पड़ेगा।

बीरबल ने कहा -” तू तो हद करता है! एक राजमंत्री को जुठा पिलायेगा?” तो जाओ, गड़रिया बोला।

बीरबल बोला -” मैं तैयार हूं जुठा दूध पीने को ।”

गड़रिया बोला-” वह बात गयी। अब तो सामने जो मरे हुए इंसान की खोपड़ी का कंकाल पड़ा है, उसमें मैं दूध दोहूंगा, उसको जुठा करूंगा, कुत्ते को चटवाऊंगा फिर तुम्हें पिलाऊंगा। तब मिलेगा पारस। नहीं तो अपना रास्ता लीजिए।”

बीरबल ने खूब विचार कर कहा-” है तो बड़ा कठिन लेकिन मैं तैयार हूं।

गड़रिया बोला-” मिल गया जवाब। यही तो तालाब है! लोभ का, तृष्णा का जिसमें आदमी गिरता जाता है और फिर कभी नहीं निकलता। जैसे कि तुम पारस को पाने के लिए इस लोभ रूपी तालाब में गिरते चले गए।

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