लेट उठने में तनाव कैसा? – निशा जैन : Moral stories in hindi

दोस्तों हम गृहिणियों की सुबह घर के काम से शुरू होकर रात भी घर के काम का तनाव लेते हुए ही हो जाती है और कभी कभार तो सोने के बाद अचानक याद आता है कि आज तो दही  जमाया ही नही कल के लिए ……

 कुल मिलाकर हमारी एक नियमित दिनचर्या होती है उसी के इर्द गिर्द  हमारा दिन और रात कब निकल जाते हैं पता ही नही चलता और कभी कभार गलती से भी यदि सुबह उठने में देर हो जाती है ,सारा काम उल्टा पुल्टा हो जाता है।

 बस यही होता है हमारी जैसी ही एक गृहिणी सुनंदा के साथ आज …..

 तो चलिए मिलते हैं सुनंदा से….

 टिक टिक …. टिक…. टिक…

अलार्म की आवाज़ सुनंदा के कानों में आए जा रही थी और वो मीठे सपनों में खोई हुई थी , उसने अलार्म बंद कर दिया और अंगड़ाई लेते हुए सपनों में फिर खो गई।

          15,20 मिनट बाद फिर अलार्म की आवाज कानों में पड़ी

          टिक टिक… टिक टिक …टिक…….

          इस बार सुनंदा हड़बड़ाकर उठी तो देखा घड़ी सुबह के 6  बजा रही थी , समय देखते ही उसकी तो नींद गायब

उठते ही सीधे बेटी के कमरे में भागी उसे जगाया

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 निशी उठ बेटा आज तो लेट हो गई ….. जल्दी कर बस आने का टाइम हो रहा है । चल जल्दी कर मैं दूध लाती हूं तब तक ब्रश कर और मुंह हाथ धोकर यूनिफॉर्म पहन । नहाने का टाइम नही बचा अभी जल्दी कर बेटा कहकर किचन में से  दूध बनाकर  लाई और देखा निशी अभी भी चद्दर ताने सो रही है। घड़ी अपने टाइम से आगे बढ़ रही थी पर सुनंदा की रफ्तार आज पीछे रह गई। उसने चद्दर को खींचा और झिंझोड़ कर निशी को उठाया

  निशी जल्दी कर ….. 6.10 हो गए और तू अभी उठी भी नही इस बार लगभग चिल्लाते हुए कहा और उसकी आवाज से पतिदेव भी उठ गए 

  क्या सुनंदा क्या शोर मचा रखा है सुबह सुबह …. चैन से सोने भी नही देती हो। थोड़ा जल्दी उठा करो ना जब पता है बच्चों को स्कूल भेजना है….. सुबह से ही घर का माहौल तनावयुक्त बना देती हो चिल्ला चिल्लाकर

   हां तो रोज़ जल्दी ही तो उठती हूं , आज थोड़ी लेट क्या हो गई सब उल्टा पुल्टा हो गया। लगता है एक मेरे जल्दी उठने से ही तुम सबकी गाड़ी समय से चलती है वरना सब सोते ही रह जाओ  …. सुनंदा बड़बड़ाए जा रही थी और निशी को सैंडविच बनाकर पैक कर रही थी (वो तो शुक्र है जो आज दो ब्रेड घर पर ही थी उसमे सॉस, टमाटर, प्याज और चीज स्लाइस लगा बना दिए दो सैंडविच फटाफट , नही  तो आज टिफिन भी कहां ही बन पाता मन में सोचे जा रही थी।)

   निशी कहां है? कितनी देर और लगेगी? जल्दी कर 6.25 हो गए बस आने में सिर्फ सात मिनट बचे है।

    मम्मी मैं फ्रेश हो रही हूं अभी टाइम लगेगा…. निशी वाशरूम के  अंदर से ही चिल्लाकर बोली

    पापा को जगा दो , वो छोड़ देंगे आज कार से ….

    इतनी देर से भागमभाग मचा रही हूं , सुबह की चाय भी अब तक नही पी मैने और ये मैडम तैयार भी नही हो रही टाइम से , वैसे तो फ्रेश होती नही है सुबह और जब आज लेट हो रही है तो इसका भी प्रेशर बन गया आज…..  सुनंदा बोले जा रही थी 

    (असल में उसका उसूल था कि जब बस लगाई है तो स्कूल बस से ही जाना है ना की गाड़ी से और समय की पाबंद थी तो लेट होना उसे पसंद नही था जब कभी थोड़ा लेट हो जाती तो बस ऐसे ही गुस्सा करती रहती और पूरे दिन तनाव में रहती)

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     सुमित सुनो आज आप छोड़ दो निशी को कार से , बस तो उसकी निकल ही गई अब … प्लीज छोड़ दो ना 

     पता नही आज कैसे लेट हो गई  मैं उठने मे….. बहुत प्यार से सुमित को उठाने लगी( क्योंकि सुमित को सुबह जल्दी उठकर बच्चों को स्कूल छोड़ना पसंद नही था। इसलिए तो बस की फीस महंगे होने पर भी बस लगाई थी)

      थोड़ा गुस्से में सुमित बोला ठीक है, पर एक कप चाय बनाओ पहले , फिर फ्रेश होऊंगा, फिर छोड़ने जाऊंगा 

     अरे इतना टाइम कहां है …. ऐसा करो  मैं आपको गर्म पानी देती हूं चाय आप आने के बाद पी लेना, वैसे भी मैने कौनसी चाय पी है आज। 

     और डेली भी तो आप चाय बाद में ही पीते हो , फ्रेश होने के बाद

      चलो ठीक है भई पानी तो दे दो अब एक ग्लास सुमित अपना फोन एक आंख खोलकर देखते हुए बोला

      (लेट हो जाओगे पर उठते ही फोन चेक करना नही भूलते सुनंदा , सुमित को देख मन ही मन बड़बड़ाई)

      सुनंदा  एक ओर पानी का ग्लास सुमित को पकड़ाती है तो दूसरी ओर अपने बेटे शुभम को उठाना शुरू करती है (उसकी भी तो बस आ जायेगी 7.25 पर जैसे ही उसे याद आया, वो उसको उठाने लगती है)

      

      शुभम दूध बना रही हुं हॉर्लिक्स वाला , जल्दी उठ मैं पांच तक गिनती गिनूंगी तब तक बैठा हुआ मिलना चाहिए मुझे नही तो फिर …..

      सुनंदा दूध बनाती जाती है और  गिनती गिनना शुरू कर देती है एक….. दो…… तीन….. चार……….. साढ़े चार…….

      तभी शुभम की आवाज आई उठ गया मम्मी अब दूध तो दो

      ( निशी और सुमित अभी निकल ही रहे  हैं बस)

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      उसे दूध देते हुए बोलती है तुम फ्रेश होकर जल्दी से पानी से ही नहाओ क्योंकि आज ऑलरेडी लेट है  हम लोग …तब तक मैं तुम्हारे लिए उत्तपम बनाती हूं( जल्दी जल्दी उत्तपम का घोल करती है और एक ,दो उत्तपम सॉस के साथ उसके टिफिन में रखती है)

       जैसे ही शुभम को तैयार करने हुई उसका अचानक प्रेशर बन गया ( हे भगवान, वैसे तो चाय पीने पर भी प्रेशर नहीं बनता और आज बिना चाय पीए ही …. उई उई करती हुई तुरंत वाशरूम में भागी) वहीं से ही चिल्लाई शुभम बेटा तू कपड़े पहनना शुरू कर तब तक मैं आती हूं बस दो मिनट

        मम्मी 7.18 हो गए जल्दी आओ , शुभम आवाज़ लगाता है।

भागती हुई निकली, शुभम को तैयार किया तभी फोन बज उठा

हेलो…..

 हेलो… सुनंदा मैं यहां ट्रैफिक में फंस गया , आज तुम शुभम को बस तक छोड़ देना कह सुमित ने फोन रख दिया

 हे राम….. सारे उल्टे काम आज ही होने थे ? अब गाउन और बदलना पड़ेगा…. उसने जल्दी से लोअर टीशर्ट डाला  शुभम को साथ लिया और निकल गई बस तक छोड़ने

 पर इससे पहले वो स्टैंड पहुंच पाती उससे पहले ही  बस निकल चुकी थी। जल्दी जल्दी  में फोन लाना भी भूल गई और घर की चाबी की जगह जल्दी मे स्कूटी की चाबी उठा लाई।

  न फोन न पर्स, ना लाइसेंस अब उसको स्कूल छोड़ने भी नही जा सकती ना ही घर

   शुभम सॉरी बेटा …. आज मेरी वजह से तुम्हारी स्कूल बस छूट गई … मम्मी अच्छी नहीं है ना सुनंदा ने शुभम से माफी मांगते हुए कहा

    कोई बात नही मम्मी ….. आप सबका इतना ध्यान रखती हो , इतना काम करती हो तो कभी कभी आपसे भी तो गलती हो जाती है। कोई बात नही , वैसे भी आज ज्यादा पढ़ाई नही होगी स्कूल में शुभम बोला

    अपने आठ साल के बेटे के मुंह से इतनी प्यारी बाते सुन सुनंदा की आंखे भर आई और उसने उसे चूम लिया

     शुभम को पीछे बने पार्क में खेलने भेज वो सुमित का इंतजार करने लगी क्योंकि घर  की चाबी सुमित के पास थी।

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      सुमित आया तब घर में घुसी और 8 बज चुके थे  और सुमित को जब पता लगा कि आज शुभम की बस भी मिस हो गई तो वो बोला तो कुछ नही पर उसके चेहरे से लग रहा था कि वो गुस्सा है( मन ही मन सोच रहा था आज खुद की वजह से बस छूट गई तो कितना शांत है और मेरी वजह से छूट जाती तो चिल्ला चिल्ला कर घर सर पर उठा लेती) पर सुनंदा भी चुपचाप अपने काम में लग गई क्योंकि डांटती किसको अब ….

      अब इतना टाइम नही बचा कि सुमित का टिफिन बना सके क्योंकि सुमित को भी आज जल्दी जाना था इसलिए उसने तुरत फुरत कर पोहे बनाए और साथ में लस्सी ,सुमित के नाश्ते के लिए।

    सुमित ने जल्दी जल्दी नाश्ता किया बोला टिफिन मैं बाहर से मंगा कर खा लूंगा  और ऑफिस के लिए निकल पड़ा।  सुमित इस मामले में सुनंदा से बेहतर था कि वो गुस्सा कम करता था इसलिए बात का बतंगड़ नही बनता था । 

    सुनंदा ने सोचा अब चाय छोड़ो दूध ही पी लेती हूं ।   ( उसने अब तक सुबह की चाय जो  नही पी थी) ताजा दूध उसने गैस पर चढ़ा दिया इतनी देर में शुभम रोते रोते आया देखा तो उसको घुटने पर चोट लगी थी और सारी यूनिफॉर्म गंदी हो गई थी । वो पार्क में गिर गया। 

    सुनंदा उसको नहलाने , कपड़े बदलने बाथरूम में चली गई और दूध को फुल गैस पर रखा तो उसे सिम करना भूल गई

     जब तक सुनंदा आई पूरे रसोई में दूध ही दूध हो गया, भगोनी में आधे से थोड़ा ज्यादा दूध ही बचा था।जल्दी से गैस बंद किया और

      अपना माथा पकड़ कर बैठ गई। उसे अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था । शुभम अपनी टीवी मे मस्त हो रहा था और सुनंदा बोलने में……

      आज उठने मे जरा देर क्या हो गई सब उल्टा पुल्टा होता जा रहा है । काम पर काम फैलता जा रहा है।एक तो सुबह से चाय नही पी वैसे ही मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा है और बच्चे का स्कूल छूट गया, सुमित का टिफिन नही बना, डेली का काम शुरू हुआ नही उससे पहले एक्स्ट्रा काम फैल गए। 

      सब मेरी ही गलती है ….. किसी काम की नही हूं मैं 

और ये दूध उफन जाने के बाद जो गंद फैलती है वो तो मुझे कतई पसंद नहीं । अब ये गैस और पट्टी कौन साफ करेगा? 

 कौन करेगा ? उसके अलावा था कौन जो साफ करता बस मन ही मन बुदबुदाए जा रही थी और फैले दूध और गंदी स्लैब को साफ कर रही थी।( वैसे सच है जब मुझसे भी ये गलती हो जाती है कभी जब दूध उफन जाता है तो मुझे दूध के नुकसान से ज्यादा गंदगी साफ करने की चिंता होने लगती है।)

 तभी फोन बज उठा…..

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पछतावा – संगीता अग्रवाल

 ट्रिन…. ट्रिन…. ट्रिन….. ट्रिन……

 देखा तो हाउस मेड शांति का फ़ोन था। 

 अब इसको क्या हुआ? कही ये भी तो आज आने से मना नहीं कर रही( सुनंदा मन ही मन बुदबुदाई)

 हेलो….. हां बोलो शांति

 हैलो… दीदी मैं आज नही आ पाऊंगी, मेरे घर मेहमान आए हैं

 (अब क्या बोलती सुनंदा , मन तो किया बुला ले पर उसकी भी कोई मजबूरी होगी सोचकर बोली)

 ठीक है, कोई बात नही पर कल आ जाना ज़रूर कह कर फोन काट दिया

 ये ले एक काम और बढ़ गया…. मै बस झाड़ू लगाती हूं आज, पोंछा नही लग पाएगा  ,वैसे ही इतना लेट हो गई मन में सोचा और अपने काम में लग गई

 जल्दी से किचन साफ की , बिस्तर सही किए, पूरा घर जो फैला था वो सही किया , झाड़ू लगाई और नहाने चली गई

 ( अभी खाना बनाना बाकी था)

 नहाने के बाद बाथरूम ये सोचकर साफ नही किया कि बच्चों की सफेद  यूनिफॉर्म धोनी है अभी तो पहले खाने की तैयारी कर देती हूं फिर कपड़े धोने के बाद बाथरूम हाथ के हाथ साफ कर दूंगी।

  बाल बनाने के बाद अपना क्लैचर लेने बाथरूम में घुसी और गीले बाथरूम की वजह से पैर फिसला और गिर गई।

  उई मां…… मर गई ….

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आखिरी मुलाक़ात – ममता गुप्ता

   आवाज सुन शुभम दौड़ कर आया और मम्मी को उठाने में मदद करने लगा

   वैसे ज्यादा तो नहीं लगी पर कमर में मोच आ गई और दर्द इतना की न झुकते बनता न उठते पर कैसे भी करके दूध से दो बिस्किट्स खाए और दर्द की गोली ले शुभम को मैगी लेने नीचे दुकान पर भेजा, उसको मैगी बनाई और खिलाई क्योंकि खाना तो उससे अब बनने से रहा ।

   खुद भी थोड़ी मैगी खाई और शुभम को बोला मुझे दर्द बहुत है मैं लेटने जा रही हूं। दीदी आए तो बोलना मैगी बना लेगी और खा लेगी ( उसकी बेटी नौवीं कक्षा में पढ़ती थी और चाय मैगी, आलू पराठा,सैंडविच, पास्ता जैसी कुछ चीज बना लेती थी)

   सुनंदा कमरे में जाकर लेट गई और आंखे बंद कर सोचने लगी

    एक दिन थोड़ा लेट क्या हो गई उठने में सब काम उल्टा पुल्टा हो गया, जैसे एक ट्रेन के लेट हो जाने से परेशानी हो जाती है वैसे ही आज मेरे लेट उठने से कितनी परेशानी हो गई मुझे और सबको। आज पता लगा एक गृहिणी की क्या कीमत है घर के लिए और घर वालों के लिए पर कोई हमारी कीमत समझता क्यों नही है। काम ही कितना है घर का कह हर कोई हमे कम आंकने की कोशिश क्यों करता है? बात काम की नही बात काम करने के तरीके की भी तो है।हम ग्रहिणियां अपना तन मन सब अपने परिवार के लिए अर्पण कर देती हैं। एक अकेली औरत घर के कितने ही लोगों का ध्यान बखूबी रख लेती है ये कोई क्यों नही समझता। शायद हम आगे से आगे इनके काम पूरे कर देते हैं तो इनको लगता है सब कुछ करना कितना आसान है। 

   पर सच तो ये है एक गृहिणी पर ही निर्भर है घर को स्वर्ग बनाए या नरक

   सोचते सोचते उसकी कब आंख लग गई पता ही नही चला 

   दोस्तों ये सही है हम यदि समय से उठकर सारे काम करें तो काम करने का एक लिंक बना रहता है पर कभी लेट हो गए तो काम का लिंक तो टूटता ही है साथ में हम तनाव में भी आ जाते हैं

   पर इसमें इतना घबराना क्यों है। लेट उठने में तनाव कैसा? हम भी इंसान हैं कोई भगवान तो नही। क्या हुआ जो आज थोड़ा लेट उठ गए, थोड़ा लेट फ्री हुए। कभी कभी लीक से हटकर काम करने में जो मजा आता है वो ही कभी कभी नियमित दिनचर्या नही अपनाने से भी आता है। हम कुछ नया जरूर सीखते हैं।

   कभी करके देखिएगा, बहुत मजा आयेगा और आपका अनुभव  आपको कुछ नई सीख भी दे जायेगा

   धन्यवाद

स्वरचित और मौलिक

निशा जैन

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