लल्लो चप्पो करना – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

 ममता (बड़ी बहु) ला मुझे दे , ये  प्लेट, सरला जी ने प्लेट छीनते हुए बोला, औऱ आवाज लगाने लगी   सुमन बेटा, (छोटी बहु) फल खा के ही ऑफिस जाना। सुमन ने उनके हाथों से फल लेते हुए बोला, अभी टाइम नही है माँ जी ऑफिस में खा लुंगी। बहु को बाहर बाय बाय करने आई सरला जी ।

औऱ बोली सुमन तुमको कुछ सामान व्हाट्सएप्प किया है शाम को लेती आना । ठीक है माँ जी बोल  , सुमन ऑफिस के लिए निकल गयी। सरला जी शाम होने का इंतजार करने लगी । जैसे ही सुमन घर मे आयी ।सरला जी  पानी का ग्लास ले के गयी बोली ,बैठो बेटा तुम थक गई  होगी,मैं ए सी  ऑन करती हूँ।

सुमन ने कुछ बोला नही ,बस  अपने पर्स से दवा निकाला , और सासु माँ के हाथों से  पानी का ग्लास ले के ममता भाभी के कमरे में चली गयी ।बोली भाभी आप ये दवा  खा लीजिये आपको आराम हो जाएगा।

 आप आराम करिये मैं रात को खाना बाहर  से मंगा लुंगी। सरला जी सुमन के आगे पीछे नाच रही थी।बोली अरे हमको तो पता ही नही था ,की ममता बहु बीमार है बस करिये माँ  जी , आपको मेरे साथ “लल्लो चप्पो करने” से फुर्सत मिले तब तो आप ममता भाभी  पर ध्यान देगी? वो कितनी बीमार है आपने देखा है?

मेरे लिए पानी ले के आती है , फल देती है, औऱ जो बहु सुबह से शाम तक पूरे घर का काम करती है , आपकी हर एक छोटी बड़ी जरूरत का ख्याल रखती है, आपके बीमार पति की देखभाल करती है  उस बहु की  

 आपको कोई कदर नही हैं ।अगर थोड़ा खुशामद , ममता भाभी की भी कर देती तो क्या हो जाता,सरला जी काठ सी बनी सुमन की बात सुनती रही।

आज के समय में घर का काम करने वाली बहुओ की कोई कदर नही है । 

इसलिए ,चार पैसे कमाओ लेकिन जरूर कमाओ। 

रंजीता पाण्डेय

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