“खुशी बेटा क्या सोच रही है यहाँ अकेले बैठी?” टीना अपनी 10 साल की बेटी से बोली।
“कुछ नहीं मां ऐसे ही…..अच्छा मां ये बताओ लड़की होना बहुत बुरी बात होती है क्या? बच्चा गिराना क्या होता है?” खुशी ने सवाल किए।
“बेटा तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो। ये सब बातें तुमने कहाँ सुनी।” टीना बोली।
“मां, तनु की दादी से एक आंटी बोल रही थीं कि माता जी आपके बेटे के दो लड़कियाँ पहले हैं….अब बहु उम्मीद से है तो आप चेक करा लो और लड़की हो तो बच्चा गिरवा दो तीन-तीन लड़कियों का बोझ कैसे उठाओगे।” खुशी बोली।
“बेटा लड़की होना गलत नहीं है…..लड़कियाँ तो भगवान की सबसे प्यारी चीज हैं…..फिर तुम लड़की हो और मैं भी…..तनु की दादी भी लड़की थी कभी और वो आंटी भी।” टीना ने समझाया।
“फिर वो सब जो खुद एक लड़की थीं वो लड़कियों के लिए ऐसा क्यों बोल रही थी।” खुशी हैरानी से बोली।
“बेटा कुछ लोग होते हैं, जिनको लगता है कि लड़की बड़ी होकर ससुराल चली जायेगी तो लड़का घरवालों का ध्यान रखेगा इसलिए वो ऐसा सोचते हैं…..पर ये बहुत गलत है क्योंकि लड़की ही तो मां बनती है। अगर मां नहीं होगी तो बेबी कहाँ से आयेंगे।” टीना बोली।
“पर मां फिर उन्होंने लड़कियों को बोझ क्यों कहा…..क्या सच मे लड़कियाँ बोझ होती हैं।” खुशी ने फिर सवाल किया.
“बेटा लड़कियाँ बोझ नहीं होती हैं बल्कि वो तो पूरे घर का बोझ उठाती हैं…..अब देखो मम्मा जॉब करती पैसे भी कमाती और घर भी देखती…..लड़कियाँ तो बहुत स्ट्रांग होती जो इतना सारा काम कर सकती हैं…..क्या पापा कर सकते हैं?”
” पापा को तो ब्रेड भी ठीक से सेकना नहीं आता मां। याद है जब आपको फीवर हुआ था तो उन्होंने मुझे जले हुए ब्रेड दिये थे।” खुशी हँसते हुए बोली।
“हाँ बेटा सोचो अगर मां नहीं होंगी यहाँ तो क्या होगा? ऐसे ही हर घर में लड़की जरूरी है।”
“तो मां तनु की दादी क्यों नहीं समझती …वो तो तनु को प्यार भी नहीं करती।”
“बेटा समझेगी वो भी जब तनु पढ़-लिखकर बहुत अच्छी जॉब करेगी और सब उसकी तारीफ करेंगे तो उसकी दादी भी समझेगी…उन्हें उस पर गर्व भी होगा।”
“मैं तनु से कहूँगी तू खूब पढ़, मैं भी खूब पढूंगी जिससे आपको और सबको मुझपर भी गर्व हो।”
“मुझे तो अपनी बेटी पर अभी भी बहुत गर्व है।” टीना ने बेटी को चूमते हुए कहा.
“सच्ची मां….पर मैं आपको खूब सारा गर्व महसूस कराना चाहती हूँ।”
“मेरा अच्छा बच्चा…चलो अभी सो जाओ…।” टीना ने बेटी को तो समझा दिया पर वो ये नहीं समझ पा रही कि आज भी कुछ लोगों की सोच ऐसी है। बेटियां चाँद पर जा रहीं, पर कुछ लोग अभी भी लड़का- लड़की में उलझे हैं…..जाने ये सब कब खत्म होगा…..कब पूरी तरह बदलाव आयेगा।
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल