Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि सभी को लगा शायद शुभ्रा आत्महत्या कर रही हैँ…. पर ये उसकी ताई की गलतफहमी थी…. उमेश और शुभ्रा के घर वालों के बीच दहेज को लेकर सब बातें साफ हो चुकी हैँ…. तय तिथि पर ही ब्याह होना हैँ…. शुभ्रा यह बात बताने के लिए उमेश को फ़ोन लगाती हैँ…. उन दोनों की प्यार भरी दिल को गुदगुदाने वाली बातें चल रही हैँ…. तभी शुभ्रा कहती हैँ…. सुनिये जी…. आपको एक बात बतानी हैँ…. पर कहीं इस बात को सुनकर आप…
अब आगे….
कहीं इस बात को सुनकर आप इस शादी से मना ना कर दें …. बहुत डर डरकर हिम्मत कर पायी हूँ आपसे कहने की…. पर मन पर बोझ था कि आपसे अब शादी हो रही हैँ मेरी…. तो आपको पता होना ज़रूरी हैँ… बाकी फैसला आपके हाथ में हैँ….
ऐसी कौन सी बात हैँ शुभ्रा…तुम मुझसे बेझिझक बोल सकती हो…. डर क्यूँ रही हो… मैं हूँ ना … बोलो क्या बात है …. उमेश प्यार से शुभ्रा से कहता हैँ…
जी… कोलेज में पिछली साल मेरी क्लास के एक बतमीज लड़के ने मुझे बड़ा सा लेटर दिया था… और सबके सामने वो आई लव यू बोला था…. मैं कांप गयी थी…. मेरे घर में मैने सबको बता दिया था… मैं कुछ नहीं छुपाती ….. मुझे कोलेज जाने में भी डर लगने लगा था… फिर सभी ने हिम्मत बढ़ायी तो काफी दिनों बाद जाना फिर शुरू किया…. मेरी तरफ से कुछ भी नहीं था…आप ये बात जानने के बाद शायद मेरे बारें में गलत सोचेंगे…. पर मैं अगर आपको ना बताती तो अंदर ही अंदर घुटती रहती…. बोलते हुए शुभ्रा बच्चों की तरह रोने लगी…
उमेश खिलाखिला कर हंस पड़ा … उसके मोती से चमकते दांत हंसते हुए बहुत ही सुन्दर लग रहे थे….
तुम सच में बच्ची हो अभी भी … ये भी कोई बात है बताने वाली…. मेरी शुभ्रा सुन्दर ही इतनी हैँ कि एक क्या हजारों लड़के प्रपोज कर दे उसे…. पर अब तो शुभ्रा मेरी हैँ… कोई उसकी तरफ आँख उठाकर तो देखे… अच्छा ये बताओ… अब वो लड़का तुमसे कुछ कहता तो नहीं….
जी…. मैने उसकी कंचे सी बड़ी बड़ी आँखों के सामने आपकी पहनायी हुई अंगूठी दिखा दी…. कि देख लो विनोद मेरी सगाई हो गयी हैँ… खबरदार मेरी तरफ देखा तो….
हा हा…. तुमने उस बेचारे का दिल तोड़ दिया…. सदमे में आ गया होगा वो….
जी वो तभी जान गया था कि मैं और लड़कियों के जैसे नहीं हूँ…. तबसे ही कुछ नहीं बोला उसने….
तुम सब जैसी नहीं हो इसलिये ही उसने तुम्हे चुना…. खैर अब ये शुभ्रा तो इस जन्म में मेरी हुई… अगले जन्म में चांस मारना भाई…. उमेश हंसता हुआ बोला….
नहीं… बिल्कुल नहीं… अगले सात जन्मों तक मैं सिर्फ आपकी हूँ…. समझे….
ऐसे बोलती हो ना जब तो लगता हैँ तुम्हारे पास ही आ जाऊँ…. उमेश शरारत भरे लहजे में बोला….
धत …. अच्छा आपको सच में ये बात जानकर बुरा नहीं लगा… गुस्सा नहीं आया… शुभ्रा कहती हैँ…
नहीं बिल्कुल नहीं…. ये सब तो छोटी मोटी बातें हैँ… इसका भला कोई बुरा मानता हैँ…. सभी को पसंद करने का हक हैँ…. उस समय तुम उसे पसंद आयी… पर तुमने तो नहीं किया … बस बात खत्म…. अच्छा शुभ्रा सर आवाज लगा रहे हैँ… शायद उन्हे कोई ज़रूरी काम हैँ… मैं फ्री होकर बात करता हूँ तुमसे …. ठीक हैँ…
जी ठीक हैँ…. जाईये…. अपना ख्याल रखियेगा….
तुम भी शुभ्रा …. बाय….
हां सर जय हिन्द …. आपने बुलाया मुझे… कुछ काम था… उमेश जय हिन्द करते हुए मेजर साब से बोला…
उमेश … मैने सुना हैँ बस कुछ दिनों में तुम्हारी शादी हैँ… तुम्हारे जीवन का दूसरा अध्याय शुरू होने वाला हैँ…
जी सर…. उमेश आँखें नीची कर साहब से बोला…
तो फैमिली क्वार्टर के लिये एप्लाई किया य़ा नहीं??
जी सर…नहीं…. अभी क्या ज़रूरत हैँ….
क्यूँ अपनी मिसेज को लेकर नहीं आओगे… साथ नहीं रहोगे क्या ??
सर…. शादी का मतलब ये नहीं कि शादी होते ही पत्नी को अपने साथ ले आया जायें … माँ पापा कितने सालों से मेरे बिना अकेले रह रहे हैँ…. मैं शादी होते ही उनकी बहू को अपने साथ ले आऊँ तो वो कहेंगे तो कुछ नहीं पर मेरा तो फर्ज हैँ सर कि माँ पापा की सेवा कुछ दिन उनकी बहू भी करें … उन्होने पूरा जीवन हमारी परवरिश में गुजार दिया… तो कुछ दिन उन्हे भी आराम देना चाहिए…. उमेश आत्मविश्वास से बोला….
तो तुम वाइफ के बिना रह लोगे… नई शादी हैँ… यहीं टाइम हैँ जी लो.. फिर समय निकल जायेगा… एक बार बच्चे हुए तो उन्ही की देखभाल में गुजर जायेगी लाइफ… हमारी जॉब भी कोई आसान नहों हैँ…. साहब उमेश को समझाते हुए बोले….
नहीं सर सोरी….बट मैं ऐसा नहीं सोचता…. कभी कभी जाया करूँगा … जब छोटे की शादी हो जायेगी तो सोचूँगा उसे लाने की…. य़ा फिर माँ पापा मेरे साथ आ जायें रहने….
बहुत अच्छी थिंकिंग …. आई एम प्राउड ऑफ यू उमेश… आजकल के लड़का लड़की तो बस खुद के बारें में सोचते हैं … उनके लिए मिसाल हो तुम …. साहब उमेश के कंधे पर हाथ रखते हुए बोले…
थैंक यू सर ….. .
ओके … यू कैन गो नाउ…… हां हम भी आयेंगे तुम्हारी शादी में बहू और तुम्हे आशीर्वाद देने….
जी ज़रूर सर… इट्स माय गुडनेस … जय हिन्द सर….
जय हिन्द ….
इधर शुभ्रा के घर पर दादा नारायण जी लेटे हुए कुछ सोच विचार कर रहे हैँ… वो एकदम से उठते हैँ…. और बबलू जी और भुवेश जी को आवाज लगाते हुए कहते हैँ…..
सुन रे छोरो ….
हां बाऊ जी…. कहो… का कह रहे…. कछु चईये का … बबलू जी बोले…
मोये ना जे छोरा वाए कछु …..
आगे की कहानी कल… तब तक के लिए जाले साफ कर ले घर के… श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा