Moral Stories in Hindi :जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि उमेश अपने दोस्तों संग घर पहुँच चुका हैँ…. आज़ टीका की रस्म होनी हैँ…. उमेश और शुभ्रा की प्यार भरी नोंक झोंक जारी हैँ…दोनों तरफ के सभी मेहमान आ चुके हैँ…घर में रौनक छा गयी हैँ…उमेश शुभ्रा से बात कर ही रहा होता हैँ तभी उसके दोस्त आ ज़ाते हैँ… दोनों की बातचीत रुक ज़ाती हैँ… फ़ोन रखते ही नीचे से उमेश की बुआ की आवाज आती हैँ… वो बोलने में लगी हैँ… भाई साहब बुरी लगे य़ा भली… पर उमेश आपका हैँ तो मुंह बोला बेटा ही…. इतना लुटा रहे हैँ उसकी शादी में…. भगवान ना करें अगर शादी के बाद उमेश धोखा दे गया तो आप क्या करेंगे ….
अब आगे…
बुआ जी बात सुन उमेश दौड़ता हुआ नीचे आता है … पीछे पीछे उसके दोस्त भी आतें हैँ….
उमेश चुपचाप हाथ मोड़कर साइड से खड़ा हो जाता हैँ… उसके दोस्त भी उसके साथ खड़े हैँ….
तुझे क्यूँ मिरची लग रही मुन्नी…. छोरा धोखा दे या ना दें … तोये का लैनो दैनो … उमेश के दादा जी बुआ मुन्नी से बोले…
पिता जी …. मैं तो भला ही चाहूँ हूँ भाई साहब और भाभी का… आखिर एकलौती बहन हूँ…. मैं भी बाकी मेहमानों की तरफ खाऊँ पीयूँ, नाच गाकर चली जाऊँ पर मुझे सबकी चिंता हैँ…. भाई साहब के आगे हमारा समीर भी है … जो अभी घर बैठा हैँ… कुछ नहीं कमा रहा… उमेश तो अच्छी खासी सरकारी नौकरी करता हैँ … अब तो प्रमोशन भी हो गया हैँ उसका…. अफसर बन गया हैँ…. तंख्वाह भी अच्छी खासी हो जायेगी…. भाई साहब ने लाखों का तो जेवर बनवा दिया बहू के लिए… जबकि बहू के घर से दहेज के नाम पर कुछ नहीं मिल रहा… कायदा तो यहीं हैँ बहू के यहां से जो पैसा आता है उसी में थोड़ा बहुत बढ़ाकर जेवर बनवा देते हैँ लड़के वाले… अब टीका में भी कुछ नहीं मिल रहा… कितना महंगा गेस्ट हॉउस… इतनी महंगी वींआईपी वाली दावत दे रहे हैँ फिर शादी के बाद रिसेप्शन … सब कमाई लुटा दे रहे हैँ भाई साहब … क्या बचेगा मेरे भतीजे समीर के लिए…. पढ़ता भी नहीं हैँ ये कुछ जो अच्छी नौकरी लग जायें ….
बुआ आप मेरी फिक्र ना करों… मैं बिजनेस कर लूँगा…. समीर तीखे लहजे में बोला…
बड़ा आया बिजनेस करने वाला… उसके लिए भी लाखों रूपये चाहिए… वो भी तो भाई साहब ही देंगे….
क्या बुआ… अच्छी खासी शादी के माहोल को खराब कर रही हो आप… ये सब बातें बाद में भी हो सकती हैँ… टीका हैँ आज भाई का … देखो चेहरा लटकाकर खड़े हैँ भाई आपकी बात से….
हां तो ठीक हैँ…. मैं ही माहोल खराब कर रही तो चली ज़ाती हूँ…. कर लो अच्छे से ब्याह शादी… इसीलिए बुलाया जाता हैँ बहन बेटियों को घर कि भतीजा भी सुना दें चार बातें … बुआ मुन्नी जाने के लिए उठ खड़ी हुई…
क्या ड्रामा लगा रखा हैँ मुन्नी तुमने … सही तो कह रहा हैँ समीर…. क्यूँ ख़ुशी के टाइम रायता फैला रही हो… तुम्हारी आदत नहीं सुधरेगी… ऐसा ही तुमने शिवम (देवर) की शादी में किया … बेचारा अपनी हल्दी में भी दुखी मन से बैठा था…. मुन्नी बुआ के पति मतलब फूफा जी अपनी पत्नी से बोले….
बुआ मुन्नी देवर की शादी की बात सुन सकपका गयी कि उनके मायके में भी पोल खुल गयी कि मैने देवर की शादी में झगड़ा किया था… कुछ सोचकर बुआ बोली…
ठीक हैँ.. .. मैं कुछ नहीं कह रही… मैने तो बस अच्छे के लिए कही .. किसी को बुरी लगे तो अब ना कहूँगी बस…
उमेश बुआ के पास आया…. बुआ का हाथ पकड़ बोला… बुआ…. आप अपने उमेश का विश्वास करो …मेरे लिए माँ पापा, आप सब भगवान हैँ जिसने एक अनाथ लड़के को अपना नाम दिया… इतना प्यार दिया शायद मेरे सगे माँ बाप भी ना दे पातें … रही बात शादी के बाद बदलने कि तो आप मुझसे स्टैंप पेपर पर लिखवा लो…. मैं अपने छोटे , अपने माँ पापा को धोखा दे सकता हूँ….. कभी नहीं बुआ…. अब आपने इतना कहा तो बताना पड़ रहा हैँ मुझे…. मेरे एकाउंट में 60000 रूपये के अलावा कोई पैसा नहीं हैँ… सारा पैसा मैने पापा के एकाउंट में पहले ही ट्रांसफर कर दिया…. जब पापा वो गांव में और खेत ले रहे थे तभी …..
क्या … अरे मेरे लाल…… माफ कर दे अपनी इस बुआ को… बस ज़माने को देखते हुए थोड़ा चिंता हो गयी थी…… तू तो हीरा हैँ हीरा….
भाई साहब जो ये नये खेत लिए वो किसके नाम लिए आपने….
तू सब यहीं पूछ ले मुन्नी. … इधर ला कान … बताता हूँ…. नरेशजी ने बुआ के कान में बोला शुभ्रा बहू और समीर के नाम से…..
वाह भाई साहब … बहुत बढ़िया…. ये हुई ना बात …
तो अब मुन्नी ने सबन को बखत खराब कर दो… जाओ सब तैयार हो…. टीका के लिए निकरना हैँ… उमेश के दादा जी बोले..
टीका के लिए सभी तैयार हो रहे हैँ…
इधर शुभ्रा के घर में दादा नारायण जी पीले रंग का कुर्ता धोती पहने जंच रहे हैँ…
बबलू मैं सफेद धोती कुर्ता पहनवे वारों…. मोये जे पीले रंग को कुरता पहना दयो हैँ तूने … मोये न अच्छो लग रहो… जे छोरन पे अच्छे लगत हैँ….. मैं तो वहीं कुर्तो पहन लै रहो जो हर ब्याह में पहनत हूँ….
क्या बाऊ जी… कैसे मलूक लग रहे… देखियों तो ज़रा जे अलमारी के शीशा में….
बबलूजी ने नारायण जी को शीशे के सामने किया ….
नारायण जी ने खुद को शीशे में आगे पीछे करके देखा….
फिर मुस्कुराये. ….. बोले…. मैं तो दूलहा सो लाग रहो हूँ बबलू …अपये ब्याह की सुध आयें गयी….
वहीं तो कह रहो बाऊ जी कि बढ़िया लग रहा हैँ…
तो ठीक हैँ जे ई बढ़िया हैँ….. ज़ा सबन कूँ देख के आ सब आदमी तैयार हैँ गए….
तो क्या दादाजी ,नाना जी हम नहीं ज़ायेंगे टीका में….?? बबली और घर की बाकी लड़किय़ां पैर पटकते हुए बोली….
बिल्कुल मति मारी गयी तुमायी छोरियों….छोरी ना ज़ाती टीका में… सिर्फ आदमी ही ज़ाते हैँ….चुपचाप घरेँ रहो… कल हल्दी मेहंदी की तैयारी करों ….. दादा नारायण जी हाथ में लाठी लिए गेट की तरफ बढ़ते हुए बोले….
बेचारी सब लड़कियों के अरमानों पर पानी फिर गया….
सारी डलियां रखवायें दयी फलन की भुवेश….
हां बाऊ जी…..
और मिठाई बासन , कपड़ा लत्ता सब राख लये….
हां बाऊ जी सब कुछ देख के गिन के गाड़ी में लदवा दी हैँ….
मलूक लग रहो हैँ भुवेश तू य़ा कुर्ता पैजामा में…
मन ही मन दादा नारायण जी सोच रहे आज को भुवेश का पैर उस हादसे में ना गया होता तो कितनो सुन्दर लगतो मेरो छोरा अपयी लाली के ब्याह में… आँखों में आयें आंसू को छुपाने की कोशिश कर रहे नारायण जी….
भुवेश जी भी अपने पैर को देख और नारायण जी को देख भावुक हो गए….
विक्की कहा गयो…. दीख ही ना रहो…. सबन ते ज्यादा काम तो साले को ही होत हैँ टीका में…. दादा नारायण जी विक्की को आवाज देते हैँ….
लो आ गया दादा जी मैं … कैसा लग रहा हूँ बताओ…. लग रहा हूँ न अपने जीजा जी से स्मार्ट ….
विक्की स्टाईल में खड़ा हुआ हैँ….
ये का जोकर बन आयों हैँ…. का पहनों हैँ तूने….
दादा जी ये आजकल का ट्रेंड हैँ आप क्या जानो …..
मोये तो ना अच्छो लग रहो… तूने ऊं धोती पहन लयी …. तेई धोती पहरवे की उमर हैँ….
दादा जी ये मोडरन ज़माने की धोती हैँ… यहीं चल रहा हैँ आजकल…. पापा अच्छा लग रहा हूँ ना ….
बढ़िया लग रहा हैँ… जा अब बैठ जा सब लड़कों को लेकर आगे वाली गाड़ी में…..
घर की सभी औरतें बधाई गीत गाते हुए हाथों में आरती की थाली लिए बाहर आयी… सभी को टीका किया…. दही चीनी खिलायी….
शुभ्रा भी अपनी माँ के पीछे खड़ी सभी को देख रही हैँ….
मन ही मन बहुत खुश हो रही हैँ कि आज उसके उमेश जी का टीका करेंगे घर वाले…..
सभी चाचा ताऊ, दादा जी, पड़ोसी , फूफा, मौसा उनके बेटे बैठ गए हैँ गाड़ी में….
गाड़ी आगे बढ़ चुकी हैँ…
इधर उमेश को उसके दोस्त मिलकर तैयार कर रहे हैँ… उमेश ने नेवी ब्लू रंग का गर्म सूट पहन रखा हैँ…. नीले रंग पर सफेद छींटीदार लगी टाई हैँ…. चमकते काले जूते…. हाथ में घड़ी ….सूर्ख काले बाल…. जो तरीने से कंघी किये हुए हैँ….
भाई आपके कहने पर ये गर्म सूट बनवाया…. नहीं तो कोई स्टाईलिश सी ड्रेस लेता… समीर बोला….
नहीं…. पुराने ज़माने से हम सबने अपने टीके पर गर्म सूट ही पहना हैँ…. और जंचता भी यहीं हैँ… ये आजकल के लड़की वाले कपड़े लड़कों को पहनाकर कार्टून बना देते हैँ फैशन के नाम पर ….. कितना सुन्दर लग रहा हैँ हमारा उमेश… इसे काला टीका लगा दे वीना….. ताऊ रमेश जी बोले….
सही कहा ताऊ जी… भाई बहुत हैंडसम लग रहे हैँ…. उमेश की बहन उमेश की बलायें लेते हुए बोली….
हां मैने ये कब कहा दी कि भाई स्मार्ट नहीं लग रहे… भाई तो हर कपड़े में कयामत ढ़ाते हैँ….
उमेश का मन शुभ्रा को फ़ोन करने के लिए बेचैन हैँ… ये सोचकर कि अब टीका में बैठ जाऊँगा तो शुभ्रा से बात नहीं हो पायेगी….
वो मौका पाकर चुपचाप ऊपर निकल आया हैँ…
वो फ़ोन लगाता हैँ…
हेलो जी…. आप टीका में नहीं गये अभी … घर से तो सभी लोग कबके निकल गए….
तुमसे बात किये बिना कैसे चला जाऊँ शुभ्रा…….
कैसे लग रहे हैँ आप?? सुन्दर लग रहे होंगे ना तैयार होकर…
तो क्या बिना तैयार हुए सुन्दर नहीं लगता….
अरे नहीं…. आप तो वैसे ही इतने स्मार्ट हैँ…
देखोगी शुभ्रा…. कैसा लग रहा हूँ मैं ….
जी देखना तो चाहती हूँ…..पर आपको लेट हो रहा होगा आप जाईये… फिर राहुल भईया ना आ जायें ….
आने दो ज़िसे आना हैँ… तुम बताओ… करूँ मैं विडियो कॉल…. देखोगी तुम्हारे उमेश पर शुभ्रा के प्यार का कितना रंग चढ़ा हैँ…
जी आप भी …. अच्छा…. कीजिये कॉल …. पहले मुझे अपना दिल थाम लेने दीजिये ….
उमेश शुभ्रा को कॉल करता हैँ ….
आगे की कहानी कल…. लाइक ज़रूर करके जाईयेगा….नहीं तो जो नहीं करेगा उसे कहानी नहीं दिखेगी ….तब तक के लिए जय सिया राम
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा