Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि उमेश अपनी कर्मभूमि भोपाल पहुँच चुका हैं … उसे ट्रेन में एक लड़की मिलती हैं जो कि उमेश के एरिया में ही आर्मी होस्पिटल में ड़ेंटल हैं… वो लड़की उमेश पर पूरी तरह फिदा हो चुकी हैं… पर उमेश के मन में तो बस अपनी सीधी सादी शुभ्रा ने जगह बना ली हैं .. उमेश का छोटा भाई समीर उसे शुभ्रा का नंबर देता हैं… अपने दोस्त राहुल को खाने का ओरडर करने का बोल उमेश शुभ्रा को फ़ोन करने बाहर चला आता हैं…पता नहीं फ़ोन किसके हाथ में होता हैं जो लठ्ठ मार भाषा में बात करता हैं….अब आगे …
जी आप अपना नाम बता सकती हैं…. मैं किससे बात कर रहा हूँ… उमेश सकुचाते हुए बोलता हैं…
तभी उधर से चिल्लाने की आवाज आती हैं… देखियो बाऊजी .. कोई छोरा तुमाये फ़ोन में बतमीजी से बात करें हैं…. पूछ रहो मेरो नाम का हैं…
उमेश समझ गया कि ये आफत की पुड़िया शुभ्रा बुआ हैं… पर अब वो फ़ोन काट भी नहीं सकता था… शुभ्रा से तो उसे बात करनी ही थी…
का काम ए छोरे… का नाम हैं तेरो… दादा नारायणजी बोले…
जी जी… प्रणाम दादा जी…
प्रणाम सुनकर नारायणजी थोड़ा शांत हुए… प्रणाम प्रणाम… किस गाम ते बोल रहो हैं तू … कहीं बिल्लू का छोरा कलिया तो नाये तू जो आज भूषा डारने आने वालो हैं…
जी नहीं दादा जी… वो मैं … आगे उमेश की हिम्मत नहीं हुई… उसने फ़ोन काट दिया….
गुस्से में उमेश ने समीर को फ़ोन लगाया… छोटे मुझे शुभ्रा से बात करनी हैं य़ा उसके दादा जी से ये बता तू …
जी भाई .. क्यूँ क्या हुआ ??
गधे … वो उसके दादा नारायण जी का नंबर हैं जो तूने मुझे दिया हैं…
भाई मुझे लगा आप ज्यादा परेशान हैं… पापा के फ़ोन पर दो नंबर सेव थे उन लोगों के .. एक पर तो भुवेश लिखा था वो तो मैं समझ गया कि भाभी के पापा का हैं… दूसरा लड़की वालों के नाम से सेव था… वो आपको दे दिया… पर वो गलत निकला ..
इतना तो दिमाग लगाता छोटे कि शुभ्रा का नंबर पापा के फ़ोन पर क्यूँ सेव होगा… अब तू कुछ भी कर नंबर लाकर दे…
भाई मुझे लगता हैं उस घर का माहोल देखकर कि भाभी के पास फ़ोन ही नहीं होगा… पर हां भाई.. भाभी युनिवरसिटी में पढ़ती हैं… अभी 12 बजे हैं वहीं होंगी उन्हे ढूंढता हूँ…. और नंबर लाता हूँ…
हां ये ठीक हैं… एक काम और करना छोटे उसके पास फ़ोन ना हो तो रास्ते से एक फ़ोन खरीदकर शुभ्रा को दे देना…
ओके … जो हुकुम भाई… अच्छा आप क्वार्टर पर पहुँच गए…
नहीं बस खा पीकर … निकल रहे हैं… ठीक हैं माँ पापा का ख्याल रखना…
ठीक हैं भाई …
तभी राहुल और उमेश खाना खा रहे होते हैं…
राहुल बोलता हैं… अभी तो तू बहुत खुश था यार.. अब तेरे चेहरे पर 12 क्यूँ बजे हुए हैं… भाभी से बात नहीं हो पायी क्या …
हुई पर उसके दादा जी से हुई…
राहुल ठहाका मारकर हंसते हुए बोला ये भी एक दौर हैं गुजर जायेगा दोस्त … सुन भाभी तो तेरी हो ही जायेंगी .. तब तक ये जो मैडम सामने से आ रही हैं जो तुझे पर फिदा हो चुकी हैं थोड़ा इनसे भी बातचीत कर ले….
क्या … ये यहां भी आ गयी.. लगता हैं पीछा कर रही थी… ये तो मधुमक्खी की तरह चिपक गयी हैं…
तभी सामने से वो ट्रेन वाली मैडम आयी .. आकर बोली… देखिये कैसा इत्तफाक हैं… मैं भी यहां कुछ खाने आयी थी और आप भी यहीं हैं… अब तो जान पहचान हो गयी हैं… मे आई सिट हियर ??
यस यस… वाय नॉट … यू कैन … राहुल बोला..
उमेश ने राहुल को गुस्से से देखा….
जी.. थैंक यू … यू आर सो नाइस… बट योर फ्रेंड इज सो र्यूड … मैं इनसे जान पहचान बढ़ाना चाहती हूँ… बट ये मेरी तरफ देखते ही नहीं….
जी नहीं… ऐसा नहीं हैं.. बस थोड़ा शर्मीला हैं ये… वैसे आप कहां रहती हैं?? राहुल बोला…
लगता हैं… इन्होने बताया नहीं आपको… मैं आर्मी होस्पिटल में आपकी यूनिट के पास ही डेंटल हूँ.. वहीं पास में ही मेरी कोठी हैं…
वाओ मैम…बहुत अच्छा लगा जानकर… आप हमारे पास बैठी हैं हमारे तो भाग्य खुल गए…
उमेश ने राहुल को घूरकर देखा जैसा कहना चाह रहा हो… कुछ ज्यादा मक्खन नहीं लगा रहा तू …
राहुल ने उसकी तरफ से आँखें फेर ली फिर मैडम की तरफ घुमा ली…
मैम… कभी आना हुआ होस्पिटल तो आपसे मिलेंगे…
हां हां.. क्यूँ नहीं… होस्पिटल ही क्यूँ … आप दोनों मेरे घर आईयेगा… खाना खाकर जाईयेगा . ..
जी .. ज़रूर ज़रूर…
तभी नीचे मेज पर राहुल को पैर मारते हुए उमेश बोला.. लेट हो रहे हैं. … चल अब … मुझे जॉइन भी करना हैं यूनिट जाकर …
ठीक हैं मैम हम चलते हैं.. अब तो आपसे मुलाकात होती रहेगी… इतना बोल राहुल और उमेश उठ गए…
वो लड़की उमेश की तरफ ही देखी जा रही कि कितना निर्दयी हैं ये लड़का.. सामने इतनी खूबसूरत स्मार्ट लड़की खड़ी हैं देख तक नहीं रहा…. चलो तुम्हे तो देख लूँगी… आखिर कब तक बचोगे…
तभी राहुल ने पूछा.. आपका नाम क्या हैं मैम..
कामिनी…. आप मुझे मिनी बुला सकते हैं…
नाइस नेम … ओके ओके बाय मैम…
राहुल तो अभी भी खड़ा रहता अगर उमेश उसका हाथ ना खींचता …
उमेश ने बाइक बढ़ायी … और राहुल को सुनाता रहा अगर तूने इस छिपकली से ज्यादा मेल मिलाप बढ़ाया तो तुझसे बात बंद … सोच ले…
अरे यार… तू तो दिल पर ले गया… मैं तो अपना जुगाड़ देख रहा हूँ… बात बन जायें तो यहां तीन साल अच्छे कट ज़ायेंगे…
रुक तू .. .. अंकल जी को फ़ोन लगाता हूँ… अगले महीने तेरी इंगेजमेंट हैं और तू यहां मैडम को पटा रहा हैं…
अरे नहीं नहीं यार… मैं तो मजाक कर रहा था… चल अब मैडम से कोई बातचीत नहीं…
उमेश राहुल यूनिट पहुँच चुके हैं…. उमेश अपनी युनिफोर्म पहन तैयार हो चुका हैं… तभी समीर का फ़ोन आता है …
भाई आपका काम हो गया… मैने भाभी को नया फ़ोन दे दिया हैं… पहले तो वो नहीं ले रही थी…. डर रही थी कि बाऊ जी मार डालेंगे … पर मैने उन्हे आपकी कसम दी और बोला… कि भाई परेशान हैं आपसे बात किये बिना… तो बस ले लिया भाभी ने…
प्यार तो दोनों तरफ से बराबर हैं भाई….मान गए…
बस बस… बहुत बोलने लगा हैं तू …. उमेश के मन में गुब्बारे फूट रहे थे पर बड़ा भाई होने का फर्ज भी तो अदा करना हैं… इसलिये थोड़ा लिहाज में रहना पड़ता हैं…
ठीक हैं भाई… और हां सुनिये … दो घंटे बाद आप फ़ोन कर लेना भाभी को… सिम एक्टिवेट हो जायेगी…
ठीक हैं छोटे… अच्छा बाय… चलता हूँ काम पर …
अब उमेश को दो घंटे बहुत भारी पड़ रहे थे… वो जल्दी जल्दी अपना काम समेट रहा था कि इतमिनान से अपनी शुभ्रा से बात करूँगा …
दो घंटे बाद उमेश शुभ्रा को फ़ोन लगाता हैं…
फ़ोन की घंटी बजती हैं…
हेलो .. उमेश धीरे से बोलता हैं…
उधर से भी बहुत ही धीमी आवाज में शुभ्रा बोलती हैं…
जी हेलो …
आगे की कहानी कल… तब तक के लिए राम राम….
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा