Moral Stories in Hindi : जैसा कि लड़के वाले के पहले भाग के 14 अंशो में आप सबने पढ़ा कि नरेशजी के बड़े बेटे उमेश जो कि फौज में हैं,, उसका रिश्ता भुवेशजी की बिटिय़ां शुभ्रा के साथ तय हो चुका हैं… सभी ज़रूरी बातें तय हो चुकी हैं… आपको बताते चले कि उमेश नरेशजी का सगा बेटा नहीं हैं… पर उन्होने , वीनाजी ने उसे अपने छोटे बेटे समीर के बराबर ही प्यार दिया…कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी…. लड़के वाले सभी से विदा ले रहे हैं… अब आगे….
अच्छा भुवेश जी, नारायण जी, अब हम चलते हैं… बाकी बातें फ़ोन पर होती रहेंगी… भाईसाहब रमेशजी हाथ जोड़कर बोले…
एक एक चाय और हो जावें समधीजी गर्मागर्म पकौड़ियों के साथ… ए रे बबलू….पतीली पर चाय रखवा…
जी बाऊजी…
अरे नहीं नहीं…. आपने पहले ही इतना खिला पिला दिया हैं….जी बस अब हमें अनुमति दीजिये … बहुत अच्छा लगा आप लोगों से मिलकर … नरेशजी खड़े होते हुए बोले… उन्हे देखकर उमेश भी सोफे से उठ गया… पर ज़ाते ज़ाते उमेश एक बार शुभ्रा की फोटो अपने फ़ोन पर लेना चाहता था… पर मन मारकर रह गया… वैसे तो छत पर वो ले भी लेता फोटो अगर ये बन्नो बुआ रायता ना फैलाती तो….समीर उमेश की बेचैंनी समझ रहा था… उसने भाई को इशारा किया क्या मैं कुछ जुगाड़ चलाऊँ … उमेश ने बड़ी बड़ी आँखें दिखाते हुए समीर को चुपचाप खड़े रहने का इशारा किया… समीर कुछ ना बोला…
तो आप लोग अब जावेंगे ही… ठीक हैं हम भी ज्यादा जोर ना दे रहे…. आराम से निकर जाओ…. अभी दिन छुपा ना हे … दादा नारायण जी बोले…
सभी लड़के वालों को छोड़ने शुभ्रा के घर वाले गेट तक आयें …
तभी बन्नों बुआ भीड़ के बीच में से जगह बनाती हुई आयी…
बोली… संभार के जइयो तुम सब….. कीचड़ बहुत हैं…
जी बुआ जी… हमारी फिकर ना करो… अपना दुपट्टा संभालो देखो कैसे कीचड़ में नहा रहा हैं… समीर मजाकिया अन्दाज में बोला….
जे का भयो … बन्नो बुआ दनदनाती हुई दुपट्टा पकड़े अंदर चली गयी…
ए रे विक्की. .. इन्हे इनकी गाड़ी तक कर य़ा …
ठीक हैं बाबा….
अरे नहीं नहीं… क्यूँ तकलीफ करते हैं… सीधा ही तो रास्ता हैं… हम चले ज़ायेंगे… रमेश जी बोले…
ऐसे कैसे चले ज़ायेंगे … छोरे वारों को ऐसे ना जाने देंगे… मुझ पे चलो ना जावें … नाय तो मैं ई कर आता … दादा नारायण जी कंपकपाती आवाज में बोले….
ठीक हैं राम राम सभी को… तभी उमेश और समीर नारायण जी के पैर छूने के लिए बढ़े .. उन्होने वहीं से मना कर दिया… अब तुम हमाये दामाद भये … पाप ना चढ़ाओ …. तभी शुभ्रा की ताई खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही यह सोचकर कि सही कही पिता जी ने कि समीर भी तो दामाद ही हुआ… अपनी छोरी का तो उसके साथ ब्याह करानों ही हैं… जब शुभ्रा इतने बड़े घर में जा रही हैं तो मेई छोरी कैसे पीछे रह सके हैं…
तभी सब सड़क पर आयें… शुभ्रा का भाई विक्की आगे आगे स्कूटी से चल रहा था…. उमेश बार बार पलटकर छत की तरफ देख रहा था कि शायद शुभ्रा खड़ी दिख जायें … ज़ाते ज़ाते उसकी तस्वीर आँखों में भर लूँ…
भईया आगे देखकर…. गड्ढ़ा हैं….. उमेश का पैर कीचड़ में जाने ही वाला था…. .
समीर उमेश के पास आया…. बोला… भईया… समझ सकता हूँ… मैने तो तभी कहा था फोटो ले लूँ पर आपने ही मना कर दिया… अब क्यूँ देख रहे हैं मुड़ मुड़कर …
तेरा भी टाइम आयेगा छोटे देखूँगा … खूब मजे ले रहा हैं… उमेश समीर से गुस्से में बोला…
मैं होता तो अब तक अंदर दुबारा मिल भी आता … पर ऐसे मन ना मारता….
देखेंगे देखेंगे …. ना सिट्टी पिट्टी गुल हो जायें तेरी…
नरेशजी , रमेश जी, वीना जी ने थोड़ा आगे बढ़कर मुड़कर देखा तो सभी लड़की वाले अभी भी गेट पर खड़े थे…
दादा नारायण जी अपने दोनों हाथ ऊपर किये हुए अभी भी राम राम कर रहे थे….
सभी लोग चौराहे पर आ गए… अपनी गाड़ी में बैठे …
रमेश जी विक्की से बोले… बेटा अब तुम जाओ… हम चले ज़ायेंगे …. विक्की ने सभी के पैर छुये … उमेश और समीर ने विक्की से पैर नहीं छुआयें ….
समीर ने गाड़ी बढ़ाई … रमेश जी बोले… कुल मिलाकर छोरी वाले विनम्र लोग हैं…. थोड़े अजीब हैं पर हमें तो लड़की से मतलब है … क्यूँ नरेश … तू क्या बोलता हैं??
हां भाई साहब…. सौ टके की एक बात … पैसों की कमी हमारे यहां हैं नहीं… छोरी तो सच में बहुत प्यारी हैं… यह सुन समीर ने उमेश को चुटकी काटी ….
जे तो हैं…. रमेश जी बोले… समीर तुझे कैसी लगी अपनी भाभी…
वो ताऊ जी के सामने तो अपनी ख़ुशी ज्यादा बयां नहीं कर सकता था…. समीर बोला… हां ताऊ जी… पढ़ी लिखी हैं भाभी … हमारे घर में रौनक आ जायेगी….
बिल्कुल सहीं…. रमेश जी ने हामी भरी…
इधर बुआ बन्नो और दूसरी बुआ शन्नो सभी से विदा ले रही हैं… तभी नारायण जी बोले… अब कल जाना बन्नो शन्नो …मैने दामाद जी को बुलाया हैं… वो ही ले जावेगे …. उन्हे भी तो ख़ुशी में शामिल करें अपनी…..
ठीक हैं बाऊ जी… बहुत हार गयी छोरी की तैयारी में… चलो हमाई मेहनत सफल भई .. मैं तो वैसे भी जहां हाथ रखूँ वो सोना हो जावें … बन्नो बुआ इतराती हुई बोली… जैसे सब उन्ही की वजह से हुआ हो….
इधर सभी लोग घर पहुँच चुके हैं… रमेश जी को रास्ते में अपने घर छोड़ दिया गया हैं… उन्हे लड़की वालों के घर से मिला मीठा मिठान दे दिया हैं वीना जी ने…
उमेश घर आकर हाथ मुंह धो दूसरे कपड़े पहन तैयार हो चुका हैं… उसके हाथ में दो कैरी बैग हैं….
माँ, पापा मैं चलता हूँ… 9 बजे की ट्रेन हैं…
रुक उमेश… ये ले खाना रख ले.. हर बार भूल जाता हैं.. वीना जी खाने का डब्बा हाथ में पकड़े हुए बोले…
ये भूलता नहीं… इसे तुम्हारा ये बोलना कि खाना रख ले… अच्छा लगता हैं… नरेशजी बोले….
हां पापा सही कहा … माँ… भईया को शुभ्रा भाभी के घर की मिठाई भी रख देना…आखिर उनके ससुराल की जो हैं…समीर बोला….
वो तो मैने पहले ही रख दी…
उमेश ने माँ पापा के पैर छुये… वीना जी ने टीका लगाया… उमेश को दही चीनी खिलाई …
समीर जा गाड़ी से छोड़ आ…
ठीक हैं पापा… जय हिन्द …..
जय हिन्द बेटा….
वीना जी भावुक होते हुए बोली… अब कब आयेगा मेरा लाल??
माँ,, दिवाली पर छुट्टी मिलेगी अब…. आप परेशान मत हो.. उमेश माँ के गले लग गया…
हां, तभी सगाई की रशम हो जायेगी…. नरेश जी बोले…
माँ, भईया को छोड़ भी दो… लेट हो ज़ायेंगे …
ठीक हैं, जा अच्छे से…
समीर , उमेश स्टेशन आ चुके हैं….
उमेश की गाड़ी छूटने वाली हैं…. उमेश समीर को कुछ कहना चाहता हैं… पर हिम्मत नहीं कर पा रहा…
समीर खिड़की के बाहर से ही उमेश के हाथ पर हाथ रख बोला…
भाई परेशान मत हो… दो दिन में आपके पास शुभ्रा भाभी का नंबर पहुँच जायेगा …. आपका ये भाई हैं न ….
तू सब जानता हैं मेरे मन की… खूब मन लगाकर पढ़ना छोटे….
हां भाई… आप बिफिकर रहो…
दोनों भाई भावुक होते हुए एक दूसरे को विदा देते हैं… उमेश समीर के गाल पर हाथ फेरता हैं…
गाड़ी आगे बढ़ चुकी हैं… उमेश अपना चादर अपनी सीट पर बिछा रहा होता हैं तभी पीछे से जींस टी शर्ट पहने एक लड़की बोलती हैं…. एक्स क्यूज मी….
उमेश पलटकर देखता हैं… यह क्या ये लड़की तो….
आगे की कहानी कल … तब तक के लिए कल पूर्णिमा हैं… अपने बड़ों के श्राद्ध की पूजा की तैय़ारी कीजिये… क्युंकि मुझे भी करनी हैं अपने ससुरजी की …
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा
6 thoughts on “लड़के वाले सीजन -2 (भाग -1) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi”