Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि अब शुभ्रा के दादा नारायण जी ठीक हो चुके हैँ… पर अभी तक वो पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैँ… उन्हे दो दिन और अस्पताल में रहना होगा पर दादा जी रहना नहीं चाहते… सभी लोग यह जान बहुत खुश हैं कि चलो दादा जी ठीक हो गए… शुभ्रा लाली की लगुन सगाई नियत तिथि पर हो जायेगी… इधर उमेश शुभ्रा से फ़ोन पर बात कर रहा हैँ…. वो शुभ्रा से वो तीन जादुई शब्द बोलने को कहता हैँ… कि शुभ्रा तुम बहुत परेशान करती हो… बोल भी दो यार अब…. शुभ्रा बोलती हैँ… ठीक हैँ जी… पहले आप बोलिए … फिर मैं बोलती हूँ…
अब आगे…
पक्का ना तुम बोलोगी मेरे बोलने के बाद?? उमेश की बेचैंनी बढ़ रही हैँ….
हां जी…. बोलूँगी… अब आपको ज्यादा परेशान नहीं करूँगी ….
उमेश अपने दिल पर हाथ रख बोलता हैँ… आई लव यू शुभ्रा…. आई लव यू सो मच माई हार्ट बीट शुभ्रा…… वो फ़ोन पर शुभ्रा को एक प्यार भरा चुम्बन भी देता हैँ….
शुभ्रा के चेहरे पर शर्म और ख़ुशी की लाली साफ झलक रही हैँ… वो यह शब्द बार बार उमेश के मुंह से सुनना चाहती हैँ….
दोनों तरफ थोड़ी देर सन्नाटा छा जाता हैँ…
मैं वेट कर रहा हूँ… तुम तो बोलो यार…. उमेश झल्लाकर बोलता हैँ….
जी वो माँ बुला रही हैँ.. शाम को बात करती हूँ… तब कह दूँगी….
आखिर ये लड़कियां जानबूझकर लड़कों को इतना परेशान क्यूँ करती हैँ…. जबकि ये जानती हैँ ये लड़के उनकी एक अदा , एक मुस्कुराहट , एक आंसू के आगे अपना सब कुछ न्योछावर कर देते हैँ….
कर लो… कर लो… ज़ितना परेशान करना हैँ अपने उमेश को …. मैं तो जा रहा उस कामिनी मैडम से ही आई लव यू सुनने… तुम मत बोलना कभी….. उमेश गुस्से में बोलता हैँ….
शुभ्रा फफ़ककर रोने लगती हैँ… बस उसकी सिस्कियों की आवाज ही फ़ोन पर सुनाई दे रही हैँ….
अरे सोरी सोरी शुभ्रा…. रो मत… मैं तो बस मजाक कर रहा था…. मेरी शुभ्रा तो रोने लगी… अच्छा मत कहो तुम कुछ भी … पर रो मत …..
आपने क्या कहा … आप उस कामिनी मैडम के पास जा रहे हैं … मैं उनकी तरह सुन्दर, स्मार्ट , वेल एजुकेटेड नहीं इसलिये ही ना… आप जा सकते हैं … मैं आपकी लगती ही क्या हूँ…. पर सोच लीजियेगा … इस जन्म में तो शुभ्रा मिश्रा के दिल पर उमेश जी का ही नाम लिख गया हैँ… कोई चाहकर भी नहीं मिटा सकता… शुभ्रा रोते रोते बोलती जा रही हैँ…
सोरी यार… उमेश तो सात जन्मों तक अपनी शुभ्रा मिश्रा का हो चुका… और मेरी शुभ्रा से सुन्दर मासूम प्यारी लड़की तो पूरी दुनिया में कोई नहीं… मैं बस ऐसे ही बोल रहा था…. मान गया मैं मेरी मैडम सच में अपने उमेश से प्यार करने लगी हैँ… सच्चा प्यार आई लव यू जैसे शब्द का मोहताज नहीं…. उमेश आज मन ही मन बहुत खुश हैँ कि शुभ्रा भी उससे प्यार करने लगी हैँ….
सुनिये… आई लव यू उमेशजी…. इतना बोल शुभ्रा शर्माकर फ़ोन काट देती हैँ….
उमेश आज खुद को सातवें आसमान पर महसूस कर रहा हैँ… ये उम्र ही कुछ ऐसी हैँ ज़नाब जब खुद को शीशे में देखना , अपनी चाहने वाली से प्यार मिलना, उससे घंटो बातें करना मन को बहुत भाता हैँ… आगे तो बस आलू, चीनी , तेल की महंगाई की बातें करते ही दिन गुजर जाता हैँ….
इधर नारायण जी को देखने वार्ड में डॉक्टर साहब आयें हुए हैँ… नारायण जी उनसे बोलते हैँ… ए रे डॉक्टर…. मैं अब सही हूँ… मोये छुट्टी दै देओ … मैं जां अस्पताल में तो और बिमार हैँ जाऊँगो… सेत मेत में मोये कछु हैँ गयो तो तुम पे ही इलजाम जावेगों….
डॉक्टर साहब नारायण जी को देख हंसे…. फिर बोले…. ज्यादा मत बोलिये आप…. नहीं तो दिमाग पर जोर पड़ेगा…. अभी तो आपको दो दिन और रहना पड़ेगा…. घर पर कोई रुकेगा आपके पास जो देखभाल कर सके आपकी??
लाली की लगुन सर पर हैँ….. मेरे बिना कछु ना कर पावेंगे जे सब… भले ही बैठो रहूँ इन लोगन कूँ बतात तो जाऊँगो … नारायण जी सब तरह से डॉक्टर साहब को मनाने की कोशिश कर रहे हैँ…..
तो फिर ठीक हैँ… आप इन्हे ले जा सकते हैँ… पर इन्हे बस आराम करने देना हैँ… हर दिन नर्स आकर इनकी ड्रेसिंग कर जाया करेगी… दवाई समय पर देते रहना… कोई दिक्कत लगे तो बिना देर किये तुरंत लेकर आना हैँ… बाहर डिश्चार्ज के पेपर बनवा लीजिये फिर इन्हे ले जा सकते हैँ…. भुवेश जी और सभी परिवार वालों को हिदायत देते हुए डॉक्टर साहब बाहर निकल आयें….
चलिये बाऊजी अब आप जाये रहे हैँ घरेँ …. भुवेशजी खुश होते हुए बोले…. बबलू जी बाहर कागज और बिल क्लीयर करने आये हैँ…. तभी उनके पीछे नरेशजी आतें हैँ… उन्हे रोककर बबलू जी के हाथ में एक लाख रूपये पकड़ा देते हैँ…
बबलू जी सकपका ज़ाते हैँ…
ये क्या कर रहे हैँ समधी जी… लड़कों वालों से हम कुछ नहीं ले सकते…. पाप के भागी मत बनाये हमें… बबलू जी बोले…
अरे कैसी बाते करते हैँ… शुभ्रा बेटी की शादी हैँ…बहुत इंतजाम करने होंगे आप लोगो को भी…अगर आपको दिक्कत हैँ लेने में तो चलिये उधार ले लीजिये .. जब कभी ब्याह के बाद जब मन हो दे दीजियेगा… बस… अब मना मत कीजियेगा….
बबलू जी बहुत ही संकोच से पैसे ले लेते हैँ…. काउंटर पर बिल देख घबरा ज़ाते हैँ.. दो लाख का बिल बना था….. वो मन ही मन सोचे शायद नरेशजी जान गए थे कि इतना ज्यादा बिल हैँ तभी उन्होने पैसे दिये… धन्य हैँ शुभ्रा के ससुराल वाले…. वो आंसू पोंछ बिल अदा करते हैँ….
तो ठीक हैँ भुवेश जी नारायण जी अब हम चलते हैँ…. हमें भी अपनी उमेश की सगाई की तैयारी धूमधाम से करनी हैँ
.. समय भी तो कितना कम हैँ अब…. रमेश जी और नरेशजी सभी को राम राम बोलते हैँ…
ठीक हैँ छोरे वारों…. तैयारी में हमाई तरफ से उँ कोई कमी ना रहेगी…. नारायण जी बोले…
शुभ्रा के दोनों फूफाजी गाड़ी से आयें हैँ इसलिये नारायणजी को वो ही घर छोड़कर आतें हैँ….
इधर उमेश यूनिट में अपना काम करने में लगा हैँ… वो घर जाने से पहले सारा काम खत्म करके जाना चाहता हैँ… तभी राहुल दो तीन यूनिट के दोस्तों के साथ उमेश के पास आता है ….
सभी उमेश को घूरकर देखते हैँ….
तुम लोग मुझे ऐसे क्यूँ देख रहे हो??
तभी दो तीन दोस्त मिलकर उमेश के पेट में घूसे मारने लगते हैँ… उसे जमीन पर लिटा गुदगुदी करते हैँ…
भाई… क्यूँ मुझ पर टूट पड़े हो…. बताओ तो सही… उमेश बोला…
कमीने … लड़की भी पसंद कर ली… परसों सगाई भी हैँ साले की… हमें खबर तक नहीं करी …..ऐसे दोस्त से तो दुश्मन अच्छे….
ये राहुल ना बताता तो दो चार बच्चे हो ज़ाते तब पता चलता हमें तो….
उमेश राहुल की तरफ खा जाने वाली नजरों से देखता हैँ….
फिर अपने कपड़े सही कर उठता हैँ… क्या बताता तुम लोगों को… अभी सगाई का कुछ फिक्स ही नहीं था…. उसके दादाजी बिमार हो गए थे… अब सही हैँ वो …. तुम सबको चलना हैँ…. वैसे भी दोस्तों से भी क्या बोलना पड़ता हैँ….
राहुल बोला… तेरी परसों सगाई हैँ…. कुछ तैयारी हुई कि नहीं तेरी…
दूसरा दोस्त बोला… फेसियल , ब्लीच तो करा ले… उसकी भी चमक दो दिन में आती हैँ….
तभी विवेक बोला…. भाई ऐसा लगना चाहिए हमारा कि दो चार लड़किया तो देखके बेहोश ही हो जावें…. भाभी की नजर ही ना हटें भाई के चेहरे से… .
चल उमेश तेरी टेंट पेंट करवा दें…. उमेश को ले सभी दोस्त मेंस पारलर में आयें हुए हैँ…..
इधर शुभ्रा भी अपनी ताई की लड़की के साथ पारलर आयी हुई हैँ….
सगाई की तैयारियां दोनों तरफ जोरों शोरों से चल रही हैँ…. तभी
शुभ्रा की फोटो उमेश के फ़ोन की स्क्रीन पर देख उसका दोस्त विवेक चौंकता हैँ …
भाई ये भाभी हैँ क्या ??
हां ,क्यूँ क्या हुआ??
यार ये तो…..
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