Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि शुभ्रा के दादा नारायणजी गिर गए हैँ… उन्हे होश नहीं आया हैँ… उमेश भी शुभ्रा को समझाता हैँ…. उमेश के ताऊ रमेश जी का बेटा संतोष सहारा होस्पिटल में डॉक्टर हैँ… उसी के रेफरेंस पर नारायण जी को वेंटिलेटर पर लिया गया हैँ… चारों तरफ सभी लोग नारायण जी की सलामती की दुआ मांग रहे हैँ…. शुभ्रा और उमेश की सगाई सर पर हैँ… .
अब आगे….
सभी लोग बाहर बेंच पर बैठे हुए हैँ… शुभ्रा के पिता भुवेश जी, ताऊ बबलू जी और भाई विक्की पर ना तो बैठा जा रहा हैँ… ना ही एक जगह खड़ा हुआ जा रहा हैँ… वो लोग बार बार कांच में से झांक रहे हैँ ज़िसमे नारायण जी का ईलाज चल रहा हैँ…… बेचारे शुभ्रा के पिता भुवेशजी लाठी लिए खड़े खड़े परेशान हो रहे हैँ… सुबह से किसी ने कुछ खाया भी नहीं हैँ… तभी उन लोगों को परेशान देख नरेशजी और उनके भाईसाहब रमेश उनके पास आतें हैँ…
काहे परेशान हो रहे हैँ समधीजी … कुछ नहीं होगा नारायण जी को… देखो कैसे मुर्झा गया हैँ आप सबका चेहरा…. लीजिये कुछ खा पी लीजिये … मैं घर से खाना लाया हूँ… रमेशजी शुभ्रा के पिता भुवेशजी के कांधे पर हाथ रख बोले…
भाई साहब … हमाये बाऊ जी सही तो हो जावेंगे ना .. उन्हे कछु होगो तो नाये… भुवेश जी अपनी आँखों के आंसू पोंछते हुए रमेश जी से बोलें ….
कैसे कुछ हो जायेगा उन्हे . .. आप भी कैसी बातें करते हैँ भुवेश जी… पुरानी लाठी हैँ इतनी जल्दी टूटने वाली नहीं…. अगर आप लोग ही ऐसे परेशान होंगे तो नारायणजी को कितना दुख होगा कि उनके बच्चों ने कुछ नहीं खाया हैँ… थोड़ा तो लीजिये आप सब… रमेश जी दो दो पूड़ी निकाल उस पर आलू की सब्जी रख सभी की तरफ बढ़ा रहे थे… तभी ताऊ बबलूजी बोले…
भाई साहब … बुरा मत मानियो… पर जब तक पिताजी की खैर खबर ना मिल जावें तब तक पानी भी गले के नीचे ना जायेगा हमारे… बबलूजी ने अपना रुआंसा चेहरा दूसरी तरफ मोड़ लिया…
यह सुन रमेशजी ने बबलूजी को सहानुभूति से गले लगा लिया… बबलू जी रमेशजी का स्पर्श पा छोटे बच्चे की तरह बिफर पड़े….
तब तक शुभ्रा के दोनों फूफाजी और बुआजी भी हाथों में खाने का थैला लिए आ गये…… भुवेश जी को पकड़ बुआ बन्नो दहाड़े मार रोने लगी…
वो बोली..
भाई साहब … का है गयो बाऊ जी कूँ … अच्छे भले छोड़ कर आयी कछू दिना पहले … कोई हतो ना का जब बाऊ जी गिरे… उनके साथ दूसरी बुआ शन्नो भी जोर जोर से रोने लगी…
उन्हे इतनी तेज रोता देख होस्पिटल की नर्स पर रहा नहीं गया… वो बन्नो बुआ के पास आकर बोली… समीर भी उनकी आवाजें सुन डर गया क्या सच में दादा जी को कुछ हो गया ….
जी आपके पिताजी मरें नहीं हैँ… अभी उनका इलाज चल रहा हैँ… इतनी तेज रोकर क्यूँ सभी लोगों को परेशान कर रही हैँ आप… सभी मरीज परेशान हो रहे हैँ.. यह बोल वो नर्स अन्दर रूम में चली गयी…
बन्नो बुआ नर्स को मुंह बनाती हुई बोली… याए का दिक्कत हैँ रई… जे लोग तो वैसे ई दिल के पत्थर होवे हैँ…
तभी डॉक्टर साहब बाहर आयें… उन्हे देख सभी लोग तेजी से उनकी तरफ बढ़ गए…
डॉक्टर साब… बाऊ जी कैसे हैँ?? भुवेश जी बोले… सभी लोगों की निगाह बस डॉक्टर साहब के चेहरे पर थी…
अब वो खतरे से बाहर हैँ… आप सबकी दुआयें काम आयी…. चोट तो गहरी थी…. भई इस उम्र में भी उनकी ज़िजीविषा काबिल- ए- तारीफ हैँ…पर अभी वो पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैँ.. दो दिन और होस्पिटल में रखना पड़ेगा…. उसके बाद घर पर भी उन्हे आराम की ज़रूरत हैँ… उन्हे अकेले कहीं ना जाने दे… कोई उनके साथ हमेशा रहे…
यह सुन सभी लोगों के चेहरे पर ख़ुशी झलक रही थी… एक दूसरे के गले लग सभी लोग अपनी ख़ुशी जाहिर कर रहे थे…
जी अब हम अंदर जाकर उनसे मिल सकते हैँ क्या ?? भाई साहब रमेश जी ने डॉक्टर साहब से पूछा. ..
जी उन्हे दूसरे वार्ड में भेज रहे हैँ हैँ तब आप सब मिल सकते हैँ उनसे… पर उनसे ज्यादा बात करने की कोशिश ना करें ..
ठीक हैँ सर…
इधर समीर दादा जी की सलामती की खबर सुन तुरंत उमेश को फ़ोन लगाता हैँ.. उमेश तो फ़ोन हाथ में ही लेकर बैठा हुआ हैँ… .
हेलो … हां बोल छोटे… अब कैसे हैँ दादा जी??
नमस्ते भाई… अब दादा जी खतरे से बाहर हैँ… पर अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हैँ… उन्हे दूसरे रूम में ट्रांसफर कर रहे हैँ…
यह सुन उमेश की जान में जान आयी … उसने एक बड़ी सांस ली… ठीक हैँ छोटे… ख्याल रखना सबका…. पैसे वैसे की ज़रूरत हो तो बता देना….
ठीक हैँ भाई… अब आप भी ज्यादा परेशान ना हो… मैं घर जा रहा हूँ अभी … माँ अकेली हैँ घर पर …. शाम को आऊंगा अब…
ठीक हैँ छोटे… माँ का ख्याल रखना…और हां पापा और ताऊ जी को खाना खाने को बोल देना…
जी भाई.. ठीक हैँ… अच्छा अब निकलता हूँ… राधे राधे….
राधे राधे छोटे…
दादाजी की सलामती की खबर सुन उमेश शुभ्रा को खैर खबर देने के लिए फ़ोन लगाता हैँ…
इधर दादा नारायण जी दूसरे वार्ड में भेज दिये गए हैँ ….
उनके पास सभी लोग खड़े हुए हैँ… भुवेश जी ने धीरे से उनका हाथ छुआ …
नारायणजी ने उनके स्पर्श से धीरे से अपनी आँखें खोली….
सभी के चेहरे पर मुस्कान तैर आयी थी…
नारायण जी ने हाथों के इशारे से कहा .. तुम सब ठीक??
हां बाऊँ जी… आपको बिल्कुल ठीक देखने के बाद हम सब अपने आप ही ठीक हो गए हैँ…
नारायण जी धीरे से भुवेश जी को अपने पास बुला उनके कानों में बोले…
कितनो खच्च कराए दयो डॉक्टरन ने तुमाओ ??
दादा नारायणजी कितना भी धीरे बोल ले आवाज ही इतनी बुलंद हैँ उनकी सबके कानों तक पहुँच गयी…
नरेशजी बोले.. खरचे की चिंता आप ना करें … जान हैँ तो जहां हैँ… आप सही हो गए बस…. आपको पता हैँ आपके घर वालों का क्या हाल हो गया हैँ आपके बिमार पड़ने से…. भई मान गए कि आज के समय में सब अपने घर से बड़े बुजूर्गों से परेशान हो यहीं चाहते हैँ कि कितनी जल्दी ये स्वर्ग सिधारे पर आपके परिवार वालों की जान तो आप में बसती हैँ…. नरेशजी भावुक होकर बोले …
जे तो सही कहीं आपने… जे सब तो चाहवे कि मैं बस बैठो रहूँ और इनको खच्च करात रहूँ …शुभ्रा लाली को ब्याह सर पर हैँ…..द्वे दिना बाद लगुन सगाई हैँ…. खामखां मैने और गिरके इन सबन की तैयारी में बिघ्न डार दओ …
अब सुन बबलू और भुवेश… मोये लैं चलो.. घरें … धूमधाम से तैयारी करों छोरी की लगुन की…. और वो खेतन को हिसाब कर आयों बबलू ..
सब हो जायेगा बाऊ जी… अभी दो दिन और राखेंगे तुम्हे अस्पताल में जे लोग….
का…मैं अस्पताल में रहके तो और बिमार हैँ जाऊँगो….मोये तो लैं चलो… सबन कूँ देख के अपये आप ठीक हो जाऊँगो…
तब तक डॉक्टर साहब भी आ गए… नारायण जी उनसे कुछ बोल रहे हैँ…
इधर उमेश शुभ्रा को फ़ोन लगाता हैँ… शुभ्रा फ़ोन जल्दी ही उठा लेती हैँ…
इससे पहले कि उमेश कुछ बोलता… शुभ्रा चहकती हुई कहती हैँ… आपको पता हैँ… दादा जी अब ठीक हैँ… बोल भी रहे हैँ….
हां शुभ्रा मुझे बताया समीर ने…. यहीं बताने के लिए ही तुम्हे फ़ोन किया था…
जी वो अभी फूफा जी का फ़ोन आया… उन्होने बताया…
तुम्हारे घर में इतना शोर क्यूँ हो रहा हैँ?? उमेश बोला…
जी दादा जी ठीक हो जायें तो प्रसाद बांटेंगे … ये मन्नत मांगी थी माँ ने… तो वहीं प्रसाद बांट रही हैँ… इसलिये ही बस…
तुम्हारे घर में भी सब एक से एक कार्टून हैँ… उमेश खिलखिलाकर हंसता हुआ बोला…
क्या कहां आपने?? आपको मेरे घर वाले कार्टून लगते हैँ… दादा जी को बताऊंगी… शुभ्रा मासूमियत से बोली…. तो फिर मैं भी आपको कार्टून ही लगती हूँ. .. हैँ ना ??
उस घर में बस तुम ही एक सही ही लगी….तुम्हे पता है जब हम तुम्हे देखने आयें थे तब हमने किस तरह अपनी हंसी रोकी थी… आज उमेश बड़े खुश और मजाक के मूड में था….
जाईये…मैं नहीं कर रही आपसे बात … शुभ्रा गुस्से में बोली…
अरे सुनो तो शुभ्रा… तुम्हे छोड़कर कहां जाऊँ …. मेरी जान तो तुम में बसती हैँ…..
शुभ्रा कुछ नहीं बोलती… मन ही मन शर्मा ज़ाती हैँ…
अच्छा सुनो… दो दिन बाद हमारी सगाई हैँ… तुम्हे अंदर से कुछ हो नहीं रहा… मुझे तो बहुत घबराहट हो रही हैँ… पर अपनी शुभ्रा से मिलने की ख़ुशी ही इतनी हैँ कि बस चले तो अभी तुम्हारे पास आ जाऊँ….
जी…. बस दादा जी आ ज़ायें … अब तैय़ारी ही शुरू होंगी घर में …. आपने कितने दिन की छुट्टी ली हैँ…
तुम बताओ कितने दिन की लूँ?? उमेश शरारत भरे लहजे में बोला….
जी वो तो आपको पता होगा…. सगाई तो एक ही दिन की हैँ..
और ज्यादा छुट्टी लेकर भी कोई फायदा नहीं होने वाला … कौन सा आप मेरे पास रहेंगे… शुभ्रा भी आज सहज होकर उमेश से बात कर रही थी…
अच्छा तो मेरी शुभ्रा भी चाहती हैँ कि मैं हमेशा उसके पास रहूँ… मुझे लगा मैं ही बस ऐसा सोचता हूँ….
सुनो शुभ्रा अब तो बोल तो यार… बहुत बेचैन कर रही हो तुम …
पहले आप कहिये …. शुभ्रा शर्मा कर बोली…
उमेश बोलता हैँ….. मेरी शुभ्रा….
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