Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि शुभ्रा की उमेश को लेकर सारी गलतफहमी दूर हो गयी हैँ… उन दोनों का प्यार धीरे धीरे बढ़ रहा हैँ… 16 अक्टूबर की दोनों की सगाई हैँ… उसी की व्यवस्था को लेकर बातचीत करने उमेश के पापा नरेशजी और छोटा भाई समीर शुभ्रा के घर आ रहे हैँ… शुभ्रा उमेश से बातकर नीचे आती हैँ… तभी बाहर किसी के गिरने की आवाज आती हैँ… बाऊ जी गिर गए… आँखें ना खोल रहे…. तभी सभी लोग यह सुन दौड़ते हुए बाहर आतें हैँ…
अब आगे….
बबलू नारायण जी का बड़ा बेटा बोलता हैँ…. बाऊ जी पेशाब करने लाठी लेके बाहर आयें… पतो नाये कैसे गिर गए… आँख ना खोल रे ….
पानी की छींटे डार बबलू इनकी आँखों पे… पड़ोसी दयाशंकर बोले…
बबलू जी नारायणजी के चेहरे पर पानी की छींटे मारते हैँ…
अभी भी ना खुल रही बाऊ जी की आँखें चाचा…… सभी घरवालों की आँखों में आंसू हैँ…
देखियो तो सांस तो चल रई बाऊ जी की य़ा नाये…. ताई सुमित्रा घूंघट की ओट से बोली…
बांवरी हैँ गई हैँ… सांस तो चल रई बाऊ जी की.. बबलू जी अपनी पत्नी पर गुस्सा होते हुए बोले…
अबेर ना करो… जल्दी इन्हे अस्पताल लैंके जाओ…. दयाशंकर जी बोले…
रिक्शा लैं आ विक्की. …. शुभ्रा के पिता भुवेशजी अपने बेटे से बोले….
जी पापा….
रुक जा लाला….बाऊजी भारी भरकम देह के हैँ… रिक्शा मैं नाये जा पावे…. ऊपर ते द्वे लोग और संग बैठेंगे उनके …ना ना … भली मानो तो कोई मोटरसायकिल से ही लैं जाओ…. ताई सुमित्रा जी बोली…
जे भी सही कही जीजी… शुभ्रा की माँ बबिता ने हामी भरी……
तो एम्बुलेंस बुला दूँ ताऊजी ?? विक्की बोला…
वोऊ तो आयेबे में बखत लगायेगी…. बाइक से ही लैं जाये रए … गाड़ी निकार लाला…
विक्की बाइक निकाल रहा होता हैँ तभी नरेशजी हाथों में मिठाई में डिब्बा लिए बेटे समीर के साथ गेट के अंदर घुसते हैँ… वो लोग सभी घर वालों की भीड़ देख , घर की औरतों को रोता देख घबरा ज़ाते हैँ… मिठाई का डिब्बा विक्की के हाथ में पकड़ा आगे नारायण जी की तरफ बढ़ते हैँ….
अरे नारायण जी को क्या हुआ….. ?? नरेशजी अचंभे से पूछते हैँ…
बाऊ जी गिर गए समधीजी अभी … इन्हे अस्पताल लैं जाये रहे हैँ… भुवेश जी भावुक होते हुए बोले…
एम्बुलेंस बुलाई हैँ क्या ??
वोऊँ आयेबे में बखत लगायेगी… य़ा मारे बाइक से लैं जा रहे….
रुकिये…. हमारी गाड़ी से ले चलिये…. बस बाइक से गाड़ी तक पहुँचा दीजिये इन्हे … जिस जिस को चलना हो जल्दी आ जाईये… लेट मत कीजिये… नरेश जी गेट से बाहर निकलते हुए बोले…
समीर भी सभी लोगों के साथ आगे आगे बढ़ रहा हैँ… उसके बगल ताई की लाली चुन्नी से मुंह दबाये रोती हुई चल रही हैँ… समीर की नजर उस पर ज़ाती हैँ… वो समीर को देख बोलती हैँ… हमारे बाबा सही तो हो ज़ायेंगे समीर जी… वो समीर का हाथ पकड़ सहानुभूति लेना चाहती हैँ… तब तक समीर थोड़ा आगे बढ़ बोलता हैँ… आप चिंता ना करें … दादाजी सही हो ज़ायेंगे….
सारा कुटुम्ब चौराहे तक आता है …. नरेशजी आँखों के इशारे से समीर को एटीएम से पैसे निकालने को कहते हैँ…
नारायण जी को समीर और विक्की सहारा देकर गाड़ी की पीछे की सीट पर बैठा देते हैँ… आगे समीर और नरेशजी बैठ ज़ाते हैँ… पीछे भुवेश जी और बबलू जी बैठते हैँ… विक्की बोलता हैँ… आप लोग पहुँचिये मैं बाइक से आता हूँ ….
हमाये बाऊ जी को कछू न होनो चहिये … छोरी को ब्याह को बड़ो अरमान हैँ बाऊ जी को…. वाये तो देख जाए… ताई सुमित्रा के मुंह से यह बात सुन सभी औरतें जोर जोर से रोने लगती हैँ… उनकी आवाज सुन आस पास के लोग भी अपने घरों से निकल आतें हैँ…
शुभ्रा भी अपनी माँ का हाथ पकड़े अपने दादाजी को देख रही हैँ… उसके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैँ… उसका मन नहीं माना … गाड़ी की दूसरी तरफ से गयी और नारायण जी के चेहरे पर हाथ फेर आयी… उनके हाथ को पकड़ चूमने लगी…. वो बिल्कुल शांत थी…. बस उसके आंसू उसके दुख को बयां कर रहे थे… समीर अपनी भाभी शुभ्रा को देख मन ही मन खुश था कि भाभी के मन में सबके लिए प्यार कूट कूटकर भरा हैँ… हमारे घर में भी सभी से इतना ही प्यार करेंगी… ऐसा सभी सोचते हैँ कि हमारे घर में जो भी लड़की आयें वो बस घर को और घरवालों को अपना समझे …. और दिल से उस घर को अपना ले… समीर भी उनसे अलग नहीं था…
उसने शुभ्रा से कहा … डोंट वरी भाभी…. दादाजी को कुछ नहीं होगा अभी तो वो विक्की की शादी में भी लाठी लेकर नाचेंगे…. बी पोज़िटिव ….
शुभ्रा ने हाँ में सर हिलाया…
गाड़ी आगे बढ़ी…
इधर उमेश मेस में शाम का नाश्ता करने आया हुआ हैँ सोचा शुभ्रा से तो अब कल ही कोलेज के टाइम बात होगी… चलो समीर को ही फ़ोन कर पूछ लूँ शुभ्रा के यहां क्या बातचीत हुई तुम लोगों की… .
उमेश फ़ोन लगाता हैँ… समीर बोलता हैँ… हेलो भाई … कैसे हैँ ??
मैं ठीक हूँ छोटे… तू बता तू ,माँ पापा , शुभ्रा के घर वाले सब कैसे हैँ?? उनके यहां से आ गए??
भाई मैं, माँ, पापा सब ठीक हैँ… आप ये बताओ…. कहां हो अभी ?? कोई ज़रूरी काम तो नहीं कर रहे ??
इस बात का हमेशा ध्यान रखिये घर में कोई भी दुख की बात हो, कोई बिमार हो, कोई हादसा हो जायें , आपके परिवार का कोई भी सदस्य बाहर रहकर नौकरी कर रहा हो, कुछ भी कर रहा हो… उसे वो गंभीर बात एकदम से ना बताये…. और घबराये भी ना … पहले हाल चाल ले तब धीरे धीरे उस बात पर आयें… ये सबक जीवन में याद रखियेगा… ऐसा ही समीर ने किया…
नहीं छोटे … कुछ नहीं बस नाश्ता कर रहा था सोचा तुझसे बात कर लूँ…. .
भाई हम भाभी के घर ही गए थे तभी पता चला कि दादा जी बाथरूम में गिर गए… शायद थोड़ी चोट आयी हैँ… उन्ही को लेकर सभी लोग होस्पिटल आयें हैँ….
ओह…. दादा जी को क्या हो गया ये?? डॉक्टर ने कुछ बताया छोटे…. उमेश बहुत दुखी मन से बोला…
हां भाई दादा जी को अंदर ले गए हैँ…. जैसे ही कुछ पता चलता हैँ आपको बताता रहूँगा… आप परेशान मत हो… मैं हूँ यहां बाकी सब भी हैँ… शुभ्रा भाभी थोड़ा ज्यादा परेशान हैँ… उनसे टाइम मिले तो बात कर लेना आप….
ठीक हैँ छोटे… तू बताता रहना मुझे…. माँ को मत बताना अभी… अकेले होंगी घर पर … हार्ट पेशेंट हैँ… घबरा जायेंगी…..
ठीक हैँ भाई… राधे राधे…
राधे राधे छोटे….
उमेश भी बहुत दुखी हैँ… वो शुभ्रा को फ़ोन लगाता है कि इस टाइम तो उसे समझाना ज़रूरी हैँ… उमेश शुभ्रा को फ़ोन करता हैँ…
दूसरी बार में ताई की बेटी फ़ोन उठाती हैँ… वो शुभ्रा को देती हैँ… जीजी, जीजा जी का फ़ोन हैँ…
शुभ्रा ताई जी की तरफ देखती हैँ… ताई जी बोलती हैँ… जा कर ले छोरे से बात … वो तो दूर रहवे हैँ… बाऊ की का सुन घबरा गयो होगो …
शुभ्रा ताई जी की सहमति मिल फ़ोन लेकर कमरे में आती हैँ…
हेलो शुभ्रा…. सुनो… उमेश धीरे से बोलता हैँ…
शुभ्रा कुछ नहीं बोलती बस फफ़ककर रोने लगती हैँ….
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