लड़के वाले सीजन -2 (भाग -11) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :

जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि शुभ्रा को कामिनी मैडम ने बोला कि उमेश अभी नशे में हैँ… सुबह बात करना उससे… कामिनी मैडम ने शुभ्रा के पूछने पर यह भी नहीं बताया कि वो उमेश की क्या लगती हैँ… शुभ्रा रोने लगती हैँ.. ताई की बेटी शुभ्रा को रोता देख सभी घर वालों को इकठ्ठा कर लेती हैँ… दादा नारायण जी अपनी लाली शुभ्रा को रोता देख उमेश को फ़ोन लगाने को कहते हैँ…. बेल जा रही हैँ… फ़ोन उठता हैँ…

नारायणजी बोलते हैँ… हलो ….

अब आगे….

फ़ोन राहुल उठाता हैँ… वो दादा नारायणजी की आवाज सुन घबरा जाता हैँ… कुछ नहीं बोलता…

बहरो हैँ गयो हैँ का छोरा?? दादा नारायणजी कई बार हलो हलो बोलने पर उधर से कोई जवाब ना मिलने पर झन्ना ज़ाते हैँ…

जी… नमस्ते … राहुल बोला…

तू कौन हैँ छोरे….?? ज़े तो नरेश जी को छोरा उमेश ना लागे हैँ आवाज से… एक ही बार मिलो हूँ छोरे से… पर आवाज अच्छे से पहचान गयो…. उमेश लाला कहां हैँ??

जी… जी…. वो सो गया हैँ… राहुल की जबान लड़खड़ा रही हैँ….

तो तू क्यूँ उल्लून की तरह जागे रहो हैँ… जे छोरा को फ़ोन तूने काय कूँ लयो … तभी छोरी घबराएं गयी होगी कि उमेश लाला कहां गयो….

जी… वो मैं उमेश का दोस्त राहुल हूँ…. उसने आज ज्यादा काम कर लिया… इसलिये थक गया हैँ …. तभी सो गया हैँ… मैं सुबह ही बात करा दूँगा आपकी उमेश से दादा जी… राहुल बोला…

हला….ठीक हैँ ठीक हैँ… तू भी सोये जा …. फौज वारे वैसे ही बहुत मेहनती होवे है… सबेरे जल्दी उठनो होगो…. नारायण जी राहुल के मुंह से दादा जी सुन थोड़ा नम्र हुए….

जी दादा जी… राम राम….

राम राम छोरे … राम राम….

नारायण जी ने फ़ोन काट दिया….वो शुभ्रा की तरफ मुड़े … बोले.. तू भी बांवरी ही हैँ छोरी… रात के समय काय कूँ छोरे कूँ परेशान कर रही फ़ोन करके ….वो सोये गयो हैँ… जे उम्र ही ऐसी होवे हैँ…. पर आगे से रात में फ़ोन मत करियो….

सोये कहीं नहीं हैँ उमेशजी … वो नशे में चूर होकर किसी परकटी की बाहों में झूम रहे हैँ…मुझे पता है …. आज क्या कभी फ़ोन नहीं करूंगी उन्हे …. कल का पेपर हैँ मेरा….अभी सब लोगों को उमेश जी के बारे में बता दिया तो हंगामा हो जायेगा…कल शाम को बता दूँगी….मन ही मन शुभ्रा बुदबुदायी …..

जी दादा जी…. जैसा आप कहे ….यह बोल शुभ्रा नीचे कमरे में चली गयी….

तुम सब का टुकुर टुकुर देख रहे… जाओ सोवो जायके ….

नारायण जी की आवाज सुन सभी लोग अपने अपने कमरे में चलते बने….

छोरी बांवरी हैँ गयी हैँ छोरे के मारे… याए संभाल ले बबिता…. ताई शुभ्रा की माँ से बोली…

जी दीदी…कल समझाती हूँ लाली को…….बबिता जी इतना बोल कमरे में चली गयी….

अगले दिन शुभ्रा गुस्से में अपना फ़ोन घर पर ही अलमारी में रख पेपर देने चली गयी…

इधर सुबह उमेश को होश आया…. उसका सर चकरा रहा था… राहुल वहां नहीं था… शायद पीटी पर चला गया था…

उसने अपना फ़ोन उठाया.. शुभ्रा के इतने मेसेज एंड काल देख घबरा गया… दो काल तो किसी ने रिसीव भी की थी…. उसने शुभ्रा की आवाज सुनने के लिए अपने फ़ोन पर काल रिकोर्डिन्ग लगा रखी हैँ… जल्दी से वो बात सुनने को कोशिश करता हैँ… कामिनी मैडम की शुभ्रा के साथ की बातचीत सुन उमेश के मन में शुभ्रा को हमेशा के लिए खोने का डर आ जाता हैँ…

वह शुभ्रा को कई बार काल करता हैँ… ना जाने कितनी बार 10…20…..30…40….ना जाने कितने मेसेज टाइप करता हैँ… कितने ओडियो मेसेज …. शुभ्रा तुम गलत समझ रही हो… एक बार बात तो करों… ऐसे अपने उमेश को गलत मत समझो… मर जाऊंगा तुम्हारे बिना…. शुभ्रा सुनो….. पर किसी भी बात का जवाब ना मिलने पर उमेश बेचैंन हो जाता हैँ… काफी देर हो चुकी हैँ उसे उठे हुए… पीटी पर भी जाना हैँ… उठकर हाथ मुंह धो स्पोर्टस यूनीफोर्म पहन वो बेमन रनिंग के लिए निकल जाता हैँ…

रास्ते में राहुल के टी शर्ट के कोलर को पकड़ उसे पीछे खींचता हैँ….

उठ गया तू कमीने … तू इतना बड़ा पिय्क्कड़ हैँ कल पता चला मुझे तो…. .बड़ा सीधा बनता है सबके सामने तो कि मैं ड्रींक को हाथ भी नहीं लगाता… ड्रींक देखकर ही उल्टी आती हैँ मुझे….

क्या बोल रहा हैँ तू ….मैने कल ड्रींक पी थी…. यार मेरा फ़ोन उस कामिनी के हाथ कैसे आया… तू कहां था कल मुझे क्या हुआ कुछ नहीं पता …. उमेश बोला…

तुझे कैसे पता चला कि तेरा फ़ोन कामिनी मैडम के पास था… तुझे तो कल होश ही नहीं था… राहुल आश्चर्य से बोला…

ये सुन रिकोर्डिंग …. उमेश ने राहुल को शुभ्रा और कामिनी मैडम के बीच की बातचीत सुनायी ….

यार ये कामिनी तो बड़ी कमिनी निकली… तभी मैं सोचूँ कि कल इतनी अच्छी क्यूँ बन रही हैँ… ये तो अजगर हैँ… मेरा तो खून खौल रहा हैँ…. समझ गया तुझे इसी ने धोखे से ड्रींक में शराब मिलाकर पिलायी होगी…. साला हम तो डांस में मस्त थे…. मन तो कर रहा जाकर बाल पकड़ दो चार थप्पड़ रसीद दूँ उसके गाल पर …. राहुल आग बबूला होते हुए बोला..

यार अब जो भी हुआ हो… उसे तो बाद में देख लेंगे…. पर मेरी शुभ्रा को जो गलतफहमी हुई हैँ उसे कैसे दूर करूँ मैं …. उमेश की आँखों में आंसू थे….

तो तू फ़ोन कर ना यार… मैं बताऊंगा भाभी को कि तूने कुछ नहीं किया हैँ…. .

फ़ोन ही नहीं उठा रही यार गुस्से में वो… कहीं उसने फ़ोन भी फेंक ना दिया हो गुस्से में…. बहुत परेशान हूँ यार…. एक बार बात हो जाए उससे ….

तू बंशी वाले का नाम लेकर फिर फ़ोन लगा भाभी को….

उमेश फ़ोन लगाता हैँ….

इधर शुभ्रा पेपर देकर आयी हैँ…. उसने अपना बैग रखने के लिए अलमारी खोली…. उसका फ़ोन वाईब्रेट हो रहा था… उमेश लगातार फ़ोन कर रहा था.. शुभ्रा ने फ़ोन नहीं उठाया….. तभी उसने मेसेज चेक किये…. उमेश का यह मेसेज देख कि मर जाऊंगा तुम्हारे बिना शुभ्रा अगर तुमने मुझे गलत समझा तो…. उसने तुरंत उमेश का फ़ोन उठा लिया….

जी सुनिये…..

उधर उमेश शुभ्रा की आवाज सुन अपने दिल पर हाथ रख लेता हैँ….

लड़के वाले सीजन -2 (भाग -12)

लड़के वाले सीजन -2 (भाग -12) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

लड़के वाले सीजन -2 (भाग -10)

लड़के वाले सीजन -2 (भाग -10) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

लड़के वाले  सीजन 1

लड़के वाले भाग -1 – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

 

Leave a Comment

error: Content is protected !!