Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि उमेश को कामिनी मैडम अपना बनाने के लिए सारे हथकंडे अपना रही हैँ…. उन्होने बड़ी मेस की पार्टी में उमेश को कोल्ड ड्रींक में शराब मिलाकर धोखे से पिला दी हैँ… राहुल उमेश का दोस्त उमेश की ऐसी हालत देख घबरा जाता हैँ… कामिनी मैडम मौके का फायदा उठाते हुए राहुल को उमेश के साथ अपनी कार में बैठने को बोलती हैँ… राहुल को ऐसे हालात में कुछ नहीं सुझता … वो बैठ जाता हैँ…. उधर शुभ्रा उमेश को लगातार मेसेज कर रही हैँ…मेसेज का जवाब ना मिलने पर वो फ़ोन करती हैँ… कामिनी मैम शुभ्रा का फ़ोन जान फ़ोन उठाती हैँ… शुभ्रा बोलती हैँ… हेलो… सुनिये जी….
अब आगे….
हेलो…. कौन ??
कामिनी मैडम बोली…
जी आप कौन ?? उमेश जी कहां हैँ……ये तो उमेश जी का फ़ोन हैँ ना ??
शुभ्रा लड़की की आवाज सुन अचंभित रह ज़ाती हैँ….
उमेश ने आज पार्टी में ज्यादा पी ली हैँ इसलिये होश में नहीं हैँ… जब होश आ जायेगा तो वो आपसे बात कर लेगा…. कामिनी मैडम बोली…
जी आप कौन है उमेश जी की?? शुभ्रा इतना बोलती ही हैँ कि मैडम कामिनी फ़ोन काट देती हैँ….
शुभ्रा मन ही मन घुटती रहती हैँ… उसकी आँखों से आंसू बह निकले हैँ…
पीछे बैठा राहुल पूछता हैँ मैडम आपके पास उमेश का फ़ोन हैँ क्या ??
जी… वो जब आप उसे बैठा रहे थे तब उसकी जेब से गिर गया.. ये लीजिये … कामिनी मैडम शुभ्रा और उमेश के बीच आग लगाकर फ़ोन राहुल को दे देती हैँ…
इधर शुभ्रा को रोता देख और उसके हाथों में फ़ोन देख उसकी ताई की बेटी दौड़ती हुई ज़ाती हैँ… पूरे घरवालों को बुला लाती हैँ…. .
क्या हुआ छोरी… रात 10 बजे क्यूँ पूरे घर कूँ सर पे उठाये रई हैँ?? दादा नारायणजी अचानक से नींद से जागे बाहर लाठी लेकर आतें हैँ…
बाबा… जीजी को देखो चलके … बहुत रो रही हैँ…
सारे लोग छत पर ज़ाते हैँ… दादा नारायणजी को भी बड़ा बेटा बबलू सहारा दे ऊपर ले जाता हैँ….
क्या हुआ लाली… काये कूँ रोये रई हैँ?? रात को रोनो शुभ ना होवे… दादा नारायणजी शुभ्रा के सर पर हाथ रखते हुए बोले…
हो सकता हैँ बाऊजी… लगुन सगाई पास आतें सुन सबको याद कर रोये रही हो…. अब दिन ही कितने बचे हैँ मेई लाली के ब्याह के… शुभ्रा की माँ बबिता भी आँखों से नीर बहाते हुए बोली…
याद व्याद कछू न कर रही जे … बाऊ जी जे देखो… कितनो बड़ों फ़ोन रखो हैँ लाली के पास… शुभ्रा की ताई आग में घी डालने का काम कर रही हैँ… .
मैं पहले ही कह रही… कछू गड़बड़ हैँ तभी आजकल छोरी के तेवर ठीक ना लाग रहे … पर मेई बात पे काऊँ ने ध्यान ना दियों….
तू चुप कर … छोरी वैसे ही परेशान हैँ…. लाली… तोपे जे इतनो भारी महंगो फ़ोन कहां से आयों?? दादा नारायणजी शुभ्रा से पूछते हैँ….
शुभ्रा आँखें नीची कर बोलती हैँ… दादाजी … ये मुझे इनके भईया समीरजी ने कोलेज में दिया था…मैने बहुत मना किया… पर फिर भी जबरन दे गए….
हाय राम…. छोरी ने तो नाक कटा दी… आजतक खानदान में काऊँ ने ऐसो करों हैँ… सगाई भी ना भई … छोरा छोरी ने बातचीत शुरू कर दई … देख ले बबिता… तेई छोरी के चाल चलन….. बड़ी सीधी लागे तोये तो जे … गऊ हैँ गऊ मेई छोरी तो… जे गऊ तो सींग मार रही…. आज ताई जी को खुलकर मन की भड़ास निकालने का मौका मिल गया था…
चुप कर रही हैँ य़ा नाये … बड़ी आयी शुभ्रा लाली को कहबे वारी…. अपने दिना भूल गयी… कैसे पकड़ी गयी बबलू के संग वो कौन सी फिलम लगी टाकिज में हां “कयामत से कयामत तक ” देखत भई … वाते पहले भी जाने कितनी बार बबलू के संग सैर सपाटे करें तूने…. वो तो फिलम गाम को बिल्लू भी देख रहो… वाने आयें के बताये दी….आज कल तो मोडरन जमानो हैँ… तब भी लाली फ़ोन पर ही तो बात कर रही छोरे ते …. फिलम तो ना देख रई … दादा नारायण जी आँखों में रोष लिये बोले जा रहे थे….
ताई जी पुरानी पोल खुलते सुन सकपका गयी… बात बनाते हुए बोली…बाऊ जी..मेई लगुन सगाई है गई … वो सब तो ठीक पर छोरी दहाड़े मार के रोये काय कूँ रई हैँ??.. कही छोरा ने ब्याह करबे की मना तो ना कर दई….. मोये तो ऐसी ही लागे हैँ… बड़े घर का छोरा हैँ… पहले ही कोई होगी वाकी मन पसंद छोरी…. है सकत हैँ माँ बापू के सामने ऐसे ही हामी भर दी हो ब्याह की…. आज ताई जी कहने का कोई मौका नहीं छोड़ रही थी…
ए री लाली… मन घबरा ए रहो हैँ…. तू क्यूँ रोये रई हैँ… का तेई ताई सही कह रही हैँ… छोरा ने ब्याह की मना तो ना कर दई…
बाऊ जी.. जब छोरा ने खुद फ़ोन भेजो हैँ लाली को तो मना क्यूँ करेगा ब्याह की… थोड़ो तो दिमाग लगाओ तुम सब… या की बुद्धि तो वैसे ही घास चरने चली जाए हैँ… शुभ्रा के ताऊ बबलू अपनी पत्नी की तरफ इशारा कर बोले…
इधर मैडम कामिनी उमेश और राहुल को लेकर आर्मी होस्पिटल आती हैँ… डॉक्टर से चेकअप कराती हैँ उमेश का…
इन्होने ज्यादा पी ली हैँ… सुबह तक होश आ जायेगा… ये दवाई दे देना और ये सैसे पानी में मिलाकर पिला देना… लगता हैँ इस से पहले इस लड़के ने ड्रींक ली नहीं हैँ तभी इतनी ज्यादा चढ़ गयी इसे…. डॉक्टर साहब बोले… जी ये आपके कौन लगते हैँ कामिनी मैम… डॉक्टर साहब कामिनी मैडम से पूछते हैँ…
जी बस दोस्त हैँ… दोस्त के लिए इतना फर्ज तो बनता हैँ…
ये तो अच्छी बात हैँ.. इस नये शहर में आपने किसी से दोस्ती तो की… हमसे तो करती ही नहीं… डॉक्टर साहब मजाकिया अन्दाज में बोले…
राहुल मन ही मन बुदबुदाया … मैडम को तो लोगों की बसी बसाई ज़िन्दगी में आग लगाने का शौक हैँ… तो आपसे क्यूँ दोस्ती करेंगी…
ठीक हैँ मैडम थैंक यू …आपने यहां तक पहुँचाया …. अब हम चलते हैँ…
थैंक यू की कोई बात नहीं राहुल… तुम लोग भी तो मेरे अपने ही हो…..मैं ड्रोप कर देती हूँ… अभी उमेश होश में नहीं हैँ…
इतनी मिठास मैडम की बोली में देख राहुल को शक होता हैँ…वो बोलता हैँ…नो नीड मैम… क्वार्टर पास में ही हैँ.. हम चले ज़ायेंगे…
अरे कोई बात नहीं … मैं छोड़ आती हूँ…मैडम कामिनी उमेश और राहुल को उनके रूम तक छोड़ वापस आ जाती हैँ… मैडम आज उमेश और शुभ्रा के बीच आग लगा मन ही मन बहुत ही खुश हैँ…
इधर दादा नारायण जी के शुभ्रा के रोने की वजह पूछने पर शुभ्रा और जोर से रोने लगती हैँ…
कछू तो भयो हैँ … लाली ऐसे कभी ना रोये… ला मोये फ़ोन लगाए के दे छोरे को…. मैं बात करूँ हूँ…. दादा नारायण जी शुभ्रा के पिता भुवेश जी से बोले… इससे पहले की भुवेश जी फ़ोन उठाते ताई की बेटी ने फ़ोन उठा उमेश के फ़ोन पर काल लगाया… बेल बज रही हैँ…
दादा नारायण जी ने फ़ोन अपने कान पर रखा हुआ हैँ… फ़ोन उठता हैँ… दादा नारायण जी बोलते हैँ… हलो ….
लड़के वाले सीजन -2 (भाग -11)
लड़के वाले सीजन -2 (भाग -11) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
लड़के वाले सीजन -2 (भाग -9)
लड़के वाले सीजन -2 (भाग -9) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा
लड़के वाले सीजन 1
1 thought on “लड़के वाले सीजन -2 (भाग -10) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi”