Moral Stories in Hindi :
सगाई स्पेशल
जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि शुभ्रा और उमेश की आज सगाई हैँ….. कामिनी मैडम की सच्चाई सबके सामने आ चुकी हैँ…. उनको जेल भेज दिया गया हैँ…. उमेश और उसके दोस्त पैकिंग कर रहे हैँ… आज वो सब अपने ज़िगरी दोस्त उमेश की सगाई में जो जा रहे हैँ ….
अब आगे….
चल भाई 7 बज गए…. 8 बजे की ट्रेन हैँ…. निकलते हैँ…..विवेक बैग टांगते हुए बोलता हैँ….
यार खाना तो खा ले मेस में पहले ….राहुल पेट पकड़ता हुआ बोला….
तुझे हमेशा ऐसे ही टाइम पर भूख क्यूँ लग जाती हैँ यार …. पिछली बार भी ट्रेन तेरी वजह से ही छूटी थी ना …. अबकि बार तो टाइम भी नहीं… ना पहुँचे तो शुभ्रा भाभी किसी और को ही अंगूठी पहना देगी….
विक्रम उमेश की तरफ देख मजाकिया लहजे में बोला….
वो सात जन्मों तक मेरा इंतजार करेगी…. पर कमीने तेरा पेट हमेशा गलत टाइम पर ही क्यूँ भूखा हो जाता हैँ… चल रास्ते में य़ा ट्रेन मैं तुझे खाना खिलाता हूँ…. उमेश राहुल की पीठ पर हाथ मारते हुए बोला….
मुझे नहीं खाना वो पैसे देकर ट्रेन का खाना मेरा तो पेट भी नहीं भरता उससे…. इतना टाइम तो दे दे यार कि लंच बोक्स में रख लाऊँ खाना मेस से… अपनी सगाई में दोस्त को भूखा ही ले जायेगा…. राहुल मासूम सा चेहरा बनाते हुए उमेश से बोला…
ठीक हैँ जा ले आ… बस दो मिनट दे रहा हूँ….
तो ऐसा कर हमारे लिए भी रख ला थोड़ा थोड़ा….. विवेक बोला…
अभी तो सिर्फ मैं ही भूखा दिखायी दे रहा था तुम सबको … अब कैसे पानी आ रहा मुंह में तेरे….. ले ही आता हूँ क्या फायदा जब खाना खाऊँ तो तुम सब भूखे भेड़ियें नजर लगाये मुझे …. लाया लाया… यह बोल राहुल मेस की तरफ चला गया….
सभी दोस्त बाहर यूनिट के गेट पर आयें … चलो भाई हम लोग छोड़ आतें हैँ तुम्हे … यूनिट के बाकी साथी अपनी बाइक बढ़ाते हुए बोले….
ठीक हैँ बस राहुल को आ जाने दो… सब एक साथ निकलते हैँ….
राहुल पीछे से दौड़ता हुआ आया….
कमीनों इंतजार भी नहीं किया…. पैदल ही आना पड़ा मुझे….
राहुल के हाथ में तीन लंच बोक्स , चार भरी हुई पन्नियां देखकर उमेश बोला… इनमे क्या हैँ अब??
वो पूड़ी , रोटी, सलाद आ नहीं रहा था लंच बोक्स में…. इसलिये इन पन्नियों में रख लिया…
तू भी हद करता हैँ… अच्छा चल अब… सभी लोग बाइक पर बैठ ज़ाते हैँ… स्टेशन पहुँचते ही हैँ कि गाड़ी लगी मिलती हैँ….जल्दी से सब बैठ ज़ाते हैँ… उनके बैठते ही गाड़ी चल देती हैँ…
शुक्र हैँ भगवान का गाड़ी नहीं छूटी … नहीं तो आज फिर इस राहुल की वजह से ट्रेन छूट ज़ाती… विवेक एक लम्बी सांस लेते हुए बोला…
हां मैं ही लेट कराता हूँ… .
अब लड़ना बंद करो … अंत भला तो सब भला… बैठ तो गए ना .. उमेश बोला….
चलो अब छोटे से बात कर लेता हूँ… कबसे फ़ोन कर रहा हैँ….. उठा नहीं पाया मैं …
उमेश समीर को फ़ोन लगाता हैँ….
भाई राधे राधे…. बैठ गए क्या आप सब ट्रेन में…. पापा कब से फिक्र कर रहे हैँ…. समीर पूछता हैँ…
राधे राधे छोटे… हां बैठ गए…. पापा से बता देना सुबह तक आ जायेंगे…. और कौन कौन आ गया घर में अभी तक ??
भाई मैं आ जाऊँगा सुबह गाड़ी लेकर …. आप लोग बाहर ही मिलना… घर में बुआ जी,फूफा जी , ताई ,ताऊ जी ,,मामा, मामी , अम्मा , बाबा, मौसी मौसा बाकी भी कई लोग और उनके सभी बच्चे आ गए हैँ…. सब बहुत खुश हैँ आपकी सगाई को लेकर ….
और शुभ्रा भाभी से बात हुई आपकी…… दादा जी कैसे हैँ अब??
अच्छा याद दिलाया तूने छोटे… शुभ्रा से तो बात ही नहीं हुई सुबह से …. ना ही दादा जी के बारें में पूछ पाया…. दिन ही कुछ अजीब सा था आज…
ठीक हैँ… चल रखता हूँ फ़ोन…शुभ्रा से बात कर लूँ….नहीं तो फिर नेटवर्क नहीं आयेंगे…. अपना ख्याल रखना छोटे…. उमेश बोलता हैँ….
ठीक हैँ भाई …… जय माता दी….
जय माता दी छोटे… माँ ने भी चौकी रखी होगी ना …
हां भाई रखी हैँ…. कितना भी बिजी हो माँ कभी भूल सकती हैँ…
माँ का भी जवाब नहीं… ठीक हैँ छोटे … बाय ….
बाय भाई….
उमेश अब शुभ्रा को फ़ोन लगाता हैँ… फ़ोन शुभ्रा की सहेली प्रिया उठाती हैँ….
नमस्ते जीजू….
नमस्ते जी … आप कौन ??
मैं शुभ्रा की बेस्ट फ्रेंड प्रिया …. अब तो आपकी बात और शुभ्रा के दीदार आपको कल ही होंगे… बस दिल थाम के बैठियेगा …. शुभ्रा की सहेली प्रिया अपने होने वाले जीजू से मजाकिया लहजे में बोली…..
जी… दिल तो उन्ही के पास हैँ मेरा… संभालना भी उन्हे ही हैँ….
तो आप बात नहीं करायेगी आज शुभ्रा से मेरी… ये तो अन्याय हैँ….
जीजू…. वो तो मैं ऐसे ही कह रही थी… शुभ्रा फेशियल करा रही हैँ… फ्री हो जायेगी तो बात करा दूँगी….
मेरी शुभ्रा को फेशियल वेशियल की क्या ज़रूरत … वो तो वैसे ही इतनी सुन्दर हैँ… उसके चेहरे से नजर ही नहीं हटती …
वाओ जीजू… हाउ रोमैंटिक यू आर …
ठीक हैँ जी… फिर शुभ्रा फ्री हो जाये तो बात करा दीजियेगा…
जी ज़रूर….
उमेश मन ही मन शुभ्रा को अपनी दुल्हन के रुप में देख रहा हैँ…
यही हाल शुभ्रा का हो रहा हैँ….
सभी दोस्त खाना खाकर अपनी अपनी सीट पर सो ज़ाते हैँ….
सुबह राइट टाइम ट्रेन आगरा कैंट पर पहुँच चुकी हैँ…
समीर बाहर ही सभी का इंतजार कर रहा हैँ… उसके साथ में चाचा का लड़का भी है …..
समीर और चाचा का लड़का सभी के पैर छूते हैँ….
सभी स्टेशन से बाहर आ घर के लिए रवाना होते हैँ… जहां पहले से ही उमेश की माँ वीना जी,,, बाकी सब घर परिवार के औरत आदमी उमेश और उसके दोस्तों के स्वागत में आरती की थाली लेकर खड़े हुए हैँ……उमेश और सभी दोस्त सभी बड़ों के पैर छूते हैँ…वीना जी उमेश की बलायें लेती हैँ… उसे गले से लगा भावुक हो जाती हैँ…
तू इतना बड़ा हो गया रे कि अब तेरी शादी का समय भी पास आ गया…. वीना जी पल्लू से आंसू पोंछती हैँ…. उधर उमेश के पिता नरेशजी की आँखों में भी ख़ुशी के आंसू झलक आयें हैँ…
जीजी…. शुभ बखत पर रोते नहीं… सभी लोग अंदर चलो… चाय नाश्ता कराओ बच्चों को… वीना जी की छोटी बहन बोली…
सभी अंदर आतें हैँ….
भाई शेरवानी एक बार पहन कर देख लो… साईज एंड फिटिंग सही हैँ य़ा नहीं?? समीर उमेश को शेरवानी दिखाते हुए बोला…
तेरी पसंद तो बहुत अच्छी हैँ छोटे…. वैसे तो सही ही आयेगी… अब नहाकर ही ट्राई करूंगा …. उमेश चाय की चुस्कियां लेता हुआ बोला….. .
ठीक हैँ भाई…..
शाम हो चुकी हैँ… शुभ्रा के दादा जी, ताऊ जी और पिता भुवेश जी,,नरेश जी और समीर को बार बार फ़ोन कर रहे हैं कि आप सब कहां हैँ…..हम कबसे इंतजार कर रहे हैँ…
जी बस पहुँच गए… चार किलोमीटर दूर हैँ…
उमेश के ताऊ रमेश जी सभी पर गुस्सा होते हुए बोल रहे हैँ… पहले ही कहा था तुम सबसे कि 21 डलिया चेक कर लो… सारे फल मिठाई सही से रखे हैँ य़ा नहीं… तब तो हां हां कर दिया पर
सुबह एक डलिया कम निकली… सुबह खरीदने में ही टाइम लगा दिया सबने……. किसी को इंतजार कराना बहुत खराब बात हैँ…ये तुम लोग कहां समझोगे. . .
ताऊ जी के गुस्से को देख समीर बोला… लो ताऊ जी पहुँच गए मेरिज होम….
सभी लोग गाड़ी से उतरें … उमेश हल्के पीच कलर की शेरवानी पहने हाथों में दुपट्टा , पैरों में जूती पहने किसी राजकुमार से कम नहीं लग रहा था….
वीना जी ने अपने उमेश के गाल के नीचे इतना मना करने के बाद भी काला टीका लगा दिया था….
दादा जी गेट पर ही सुन्दर सी नई लाठी लिए सफेद कुर्ता धोती पहने कुरसी पर बैठे जम रहे थे… वो दोनों हाथ जोड़े हुए हैँ….
सभी का उत्सुकता में खड़े होकर स्वागत करना चाहते हैँ पर दर्द की वजह से बबलू जी उन्हे फिर सहारा देकर बैठा देते हैँ… सभी लड़कों वालों पर इत्र छिड़की जा रही हैँ……टीका लगाया जा रहा हैँ…फूलों की वर्षा की जा रही हैँ….
उमेश के सारे दोस्त शुभ्रा के घर वालों का इतना भव्य स्वागत देख गदगद हो रहे हैँ… गदगद तो सभी लड़के वाले ही हो रहे हैँ…
सभी अंदर ज़ाते हैँ…..सभी ने अपनी कुरसियां थाम ली हैँ…सभी नाश्ता पानी कर रहे हैँ…
सारी सजावट खाने पीने का इंतजाम देख रमेश जी और नरेशजी फूले नहीं समा रहे हैँ… उन्हे उम्मीद नहीं थी कि इतने कम समय में शुभ्रा के घरवाले इतनी शानदार व्यवस्था कर पायेंगे… वो अपनी मूँछों पर रिश्तेदारों को दिखा दिखा कर तांव दे रहे हैँ…
उमेश को स्टेज पर राजगद्दी पर बैठा दिया गया हैँ….
उसकी आँखें बस अपनी शुभ्रा को खोज रही हैँ… तभी सामने से दो लड़कियों के साथ शुभ्रा को पकड़ कर स्टेज पर लाया जा रहा हैँ…
उसने भी पीच और पिंक कलर का लहँगा पहना हुआ हैँ… इतनी सुन्दर लग रही हैँ शुभ्रा की उमेश की नजरें शुभ्रा के चेहरे से हटने का नाम नहीं ले रही हैँ…. शुभ्रा की नजरें नीचे झुकी हुई हैँ..
उसे भी उमेश के बगल में बैठा दिया गया हैँ….
दोनों की दिल की धड़कने बढ़ी हुई हैँ… वीना जी और उनकी जेठानी उमेश की दादी के साथ शुभ्रा के पास आती हैँ…. शुभ्रा की नजरें आपनी माँ पापा को ढूंढ रही हैँ…. तभी शुभ्रा की बेचैंनी जान उमेश शुभ्रा को आँखों के इशारे से बताता हैँ की तुम्हारे माँ पापा वो देखो सामने खड़े हैँ… तुम ही को देख रहे हैँ….. . शुभ्रा माँ पापा को देख मुस्कुरा ज़ाती हैँ… शुभ्रा को खुश देख उमेश भी मुस्कुरा जाता हैँ….
. ….वीना जी शुभ्रा को चुनर उढ़ाती हैँ…. उसकी गोद में गणेश जी की सुन्दर सी प्रतिमा रखती हैँ…. उसे कई तरह के नई डिजाइन के जेवर देती हैँ… ज़िसे शुभ्रा की ताई , शन्नो बन्नो बुआ घूर घूरकर देखती हैँ….
पंडित जी के कहने पर उमेश शुभ्रा का हाथ अपने हाथ में लेता हैँ… माँ की दी हुई अंगूठी उसे पहनाता हैँ…तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हाल गूंज उठा हैँ….चारों तरफ मंगल गीत गाये जा रहे हैँ…. आतिशबाजी हो रही हैँ…. फूल बरसाये जा रहे हैँ….
तभी उमेश अपना हाथ आगे करता हैँ…. शुभ्रा नजरें नीचे झुकाये उमेश को अंगूठी पहनाती हैँ….
उमेश के सभी दोस्त वहां मौजूद सभी लोग बस शुभ्रा और उमेश को अपने फ़ोन के कैमरें की गैलरी में हमेशा के लिए सेव कर लेना चाहते हैँ…. कैमरा मेन तो अपना काम कर ही रहा हैँ….
दादा नारायण जी को सहारा देकर स्टेज पर लाया जा रहा हैँ…. दादा जी को देख साथ में अपनी दादी की फोटो लायी शुभ्रा दादी की फोटो को अपनी गोद में रख लेती हैँ….. नारायण जी अपनी बुढ़िय़ां की फोटो शुभ्रा के हाथ में देख भावुक हो ज़ाते हैँ..
दोनों हाथों को उठा भर भर कर आशीर्वाद दे रहे हैँ बेटे उमेश और लाली शुभ्रा को….. धीरे धीरे आशीर्वाद देने के लिए एक एक कर सभी रिश्तेदार स्टेज पर आ रहे हैँ… सब आज़ बला के खूबसूरत लग रहे हैँ….
उमेश और शुभ्रा बीच बीच में नजरें चुराकर एक दूसरे को देख रहे हैँ… उमेश का बस चलता तो आज ही अपनी शुभ्रा को अपनी दुल्हन बनाकर ले जाता … पर ऐसा हमारे देश में नहीं होता… तभी भारत महान हैँ… कुछ मायने हैँ हमारे रीति रीवाजों के…..
उमेश और शुभ्रा की लगुन सगाई पूरे धूम धाम से हो चुकी हैँ…..
आप सबको कहानी कैसी लगी बताइयेगा ज़रूर चाहे लाइक करके हो सके तो लाइक के साथ एक टिप्पणी करके….
आप सभी को नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएं ….. जय माता दी….
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा
Bhut hi adbhut kahani thi ma’am 😌🤗😍🥰….
All emotions and colors of Indian culture are present in one story..
Apana time yaad aa gaya tha
Aur aage likho