Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि नरेश जी अपने बड़े बेटे उमेश जो कि फौज में हैं,,के लिए भुवेश जी के यहां लड़की देखने आयें हुए हैं… पहली बार तो लड़के वालों को लड़की शुभ्रा बिल्कुल पसंद नहीं आती .. पर वीनाजी(उमेश की माँ) के कहने पर लड़की शुभ्रा सूट पहनकर आती हैं…
उमेश बस पूड़ी का पहला कौर ही मुंह में डालने वाला होता हैं तभी सामने से आती हुई शुभ्रा को देखकर वो भौचक्का रह जाता हैं.. उसका मुंह खुला का खुला रह जाता हैं… छोटा भाई समीर अपने भाई को देख मजाकिया लहजे में मुंह बंद करने का इशारा करता हैं उमेश को…
अब आगे..
शुभ्रा ने हल्के नीले रंग का चिकेन का सलवार सूट,,, गले में छोटी सी चेन ज़िसमें ॐ लिखा हुआ हैं… कानों में छोटी छोटी बालियां..एक हाथ में पुराने ज़माने की वो पट्टे वाली घड़ी,, एक हाथ में सादा सा कड़ा … बाल पीछे से क्लिप से बंधे हुए…. पैरों में जूती पहनी हुई हैं… कोई मेकअप नहीं किया हुआ हैं…
बेहिचक शुभ्रा वीना जी के सामने आकर बोलती हैं… लीजिये आंटी मैं ऐसे ही कोलेज ज़ाती हूँ अपने… आपने कहां था कि जैसे कोलेज जाती हूँ वैसे आऊँ…. सभी लड़के वालों को शुभ्रा की सादगी बहुत भाती हैं…. नैंन नक्श भी बहुत प्यारे, छोटा सा चेहरा, सांवला रंग… बड़ी बड़ी आँखें , छोटी सी नाक, होंठ भी छोटे छोटे गुलाबी रंग के…. हाथों की ऊंगलियां बहुत प्यारी थी… कुल मिलाके अब कोई भी शुभ्रा को देख ले तो मना नहीं कर सकता था…. उमेश से अब खाना खाया ही नहीं गया… उसके मन में तो बस एक ही गाना बज रहा था…..
, तेरे चेहरे में वो जादू है
बिन डोर खिंचा जाता हूँ
जाना होता है और कही
तेरी ओर चला आता हूँ…..
तभी दादा नारायण जी कहते हैं अब कैसी लगी हमाई लाली…सच कहूँ तो तब वो साड़ी में मुझे भी अच्छी ना लागी छोरी. ..
तभी नरेशजी वीना जी और भाई साहब रमेश जी को इशारा करते हैं… बताईये क्या करना हैं… फिर वीना ही कहती हैं हमें पांच मिनट दीजिये … थोड़ा आपस में बात करनी हैं… फिर बताते हैं आपको…
जो बात करनी हैं मैं बैठा तो हूँ.. करो…
अरे पिताजी … इन लोगो को आपस में बात करनी हैं,, आपसे नहीं… आप ऐसा कीजिये मेरे साथ बाहर चलिये .. … ये लोग यहीं बैठक में बात कर लेंगे … शुभ्रा के ताऊ जी बोले…
जैसा तू बोले… छोरी के लिए उठना पड़ेगा अपना सिन्हासन छोड़
. ..
चल ले चल मुझे… नारायण जी और लड़की के सभी घर वाले बाहर चले ज़ाते हैं…
तभी बैठक में सभी लड़के वाले आपस में कानाफूँसी करते हैं..
बता नरेश , समीर और उमेश… क्या सोचा हैं… मुझे तो कुल मिलाके लड़की अच्छी लगी… रही बात परिवार की तो थोड़ी बहुत कमियां तो हर घर में होती हैं… बाकी तुम लोग देख लो… मैने तो अपनी राय दी हैं… भाई साहब रमेश बोलते हैं….
कैसी बात करते हैं भाई साहब … आपकी बात कभी काटी हैं हमने… वीना जी भी घूंघट से बोलती हैं…सच कहूँ तो पूरे घर में एक लड़की ही अच्छी लगी…. बाकी आप लोग घर के मुखिया हैं जैसा कहेंगे वैसा ही होगा… बस पीछे से कोई कमी बेशी हुई तो आप मुझसे ये मत कहना तूने ही तो कहा था … जैसे अभी तक माँ जी को कहते हैं…हां नहीं तो….
तुम भी वीना वो तो मैं तुमसे मजाक करता रहता हूँ… तू बता समीर तुझे उमेश के लिए कैसी लगी शुभ्रा…
मैं क्या कहूँ पापा और ताऊ जी… जब मियां बीवी राजी तो क्या करेगा काजी….
सच में क्या हमारे उमेश को पसंद हैं शुभ्रा…. बता उमेश…
आपको भईया के सूर्ख लाल पड़ते चेहरे को देखके ना जान पड़ रहा पापा… जब से भाभी को सूट में देखा हैं तब से कभी हाथ मल रहे हैं… कभी पैर हिला रहे हैं.. कभी शर्मा रहे हैं… बस अपनी ख़ुशी जाहिर ना कर पा रहे भईया… क्यूँ भईया सही कहां ना … आपका भाई सही समझा ना …
उमेश ने समीर को आँख दिखायी… बेटा बताओ तुम्हे पसंद हैं शुभ्रा तो हां कर दे… हम सबको तो खूब पसंद हैं… वीना जी उमेश से बोली…
उमेश ने धीरे से हाँ में सर हिलाया…
तो फिर ठीक हैं… मैं नारायण जी और भुवेश जी से दहेज की बात और कर लूँ… फिर हाँ कर देते हैं.. कैसी रही भाई साहब…
हां.. ठीक हैं नरेश… अब ज्यादा बखत मत खराब करो बुला ले सबको…
जी भाई साहब … नरेशजी सोफे से उठते ही हैं तभी उमेश बोलता हैं रुकिये पापा… आप लोग दहेज की बात करें उससे पहले मैं कुछ बात करना चाहता हूँ शुभ्रा से… आखिर हम दोनों के जीवन का सवाल हैं…
ओह हाँ,, हम तो भूल ही गए कि हमारा उमेश…. ठीक हैं बेटा बता दे… देखो कहीं यह बात सुन लड़की वाले मना ना कर दें…
आगे की कहानी कल… तब तक के लिए जय श्री राम ….
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा
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