लड़के वाले भाग -1 – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कहां हो भाग्यवती… जल्दी करों …समीर गाड़ी निकालकर साफ कर लें…. देख उमेश तैयार हुआ य़ा नहीं….

जी आयी… आपको तो कोई काम करने नहीं होते…. मुझे तो सब देखना पड़ता हैं… हेडमास्टर जी रिटायर हो गए पर अभी तक हेडगिरी नहीं गयी… दूध फ्रीज में ठंडा करके रखना… बरतन साफ करना… रास्ते के लिए कुछ नाश्ता रखना…. खुद भी अच्छे से तैयार होना… आखिर अपने उमेश के लिए लड़की देखने जो जा रही हूँ…

हां,… तुम्ही को तो देखेंगे सब वहां … सुनो… वो गाजरी रंग की साड़ी पहनना …. उसमें बहुत सुन्दर लगती हूँ…

हां.. पता हैं… आपकी पसंदीदा साड़ी में से एक हैं वो… पर उसमें प्रेस बहुत मुश्किल से होती हैं… हम लेट भी हो रहे हैं… कोई और पहन लूँ??

लाओ ……. मैं करें देता हूँ प्रेस … अपने कपड़े कर ही रहा हूँ… जब तक तुम अपने बाकी काम निपटा लो….

ठीक हैं जी… मैं कपड़े डाल आती हूँ सुखाने को…. वैसे भी बारिश का मौसम हैं कब मेघ आ जायें पता नहीं….

पापा… प्रेस करने से पहले बालों में ये गारनियर कलर तो लगा लीजिये…. नहीं तो पूरे रास्ते दुखी होंगे जैसे तब हुए थे जब हम सुनीता बुआ के यहां गए थे…. लाइये मैं लगा देता हूँ… बड़ा बेटा उमेश नरेशजी से बोला…

हां ये तो मैं भूल ही गया था… अब तो लगता हैं कि सच में बूढ़ा हो गया मैं…

भईया के लिए हमारी भाभी पसंद करने जा रहे हैं… रिटायर हुए दो साल हो गए आपको पापा… अब तो खुद को बूढ़ा मान लीजिये..छोटा बेटा समीर बोला…

हां हां… तू मेरी टांग खींचने का कोई मौका नहीं छोड़ता … ये बता तूने गाड़ी साफ करके बाहर लगायी कि नहीं..

कबकि लग गयी… बस आप लोगों का ही इंतजार कर रही हैं…

अपनी माँ से पूछकर आ और कितना टाइम लगायेगी …

ये ले उसकी साड़ी प्रेस हो गयी.. बोल दे अब तैयार हो जाए …

जी पापा… आप भी तो हीरो बन जाईये….

सब लोग निर्धारित समय पर तैयार हो गए…

देखिये जी हमारा परिवार कहीं जाता हैं तो कितना सुन्दर लगता हैं… घर में तो सब बंदर बने रहते हैं…. वीना जी हंसते हुए बोली…

हा… हा…. सही कहा माँ….

सारा सामान रख लो गाड़ी में….

पापा,, ताऊजी को तो फ़ोन कर लो… वो भी तो चल रहे हैं… समीर बोला…

तेरे ताऊजी समय से पहले तैयार मिलते हैं.. उल्टा हमसे ही कहेंगे कि तुम लोग लेट हो गए…. नरेश जी बोले…

नरेशजी स्कूल के हेड मास्टर पद से रिटायर हुए हैं… दो बेटे और एक बेटी हैं उनके… बड़ी बेटी सिम्मी का विवाह हो गया हैं… उसके अभी 15 दिन पहले ही बेटी हुई हैं इसलिये वो अपनी भाभी को देखने नहीं जा पा रही हैं… दामादजी बाहर नौकरी करते हैं इसलिये उन्हे भी छुट्टी नहीं मिल पायी हैं… बड़ा बेटा उमेश फौज में हैं.. छोटा बेटा अभी एम टेक कर रहा हैं… उमेश ने तो यहीं कहा नरेशजी और वीनाजी से कि माँ पापा आप ही देख आईये लड़की… आप लोगों को पसंद होगी तो मुझे भी होगी….नहीं तो जब छुट्टी होगी तब मैं देख आऊंगा…वैसे भी छुट्टी मुश्किल मिलेगी… पर नरेश जी बहुत ही सुलझे हुए समझदार आदमी हैं… उन्होने कहा … किसी लड़की के घरवालों को बार बार आवभगत के लिए परेशान करना ठीक नहीं…. गांव में भी रिश्तेदार उनसे इस बात से खफा हो गए थे कि पहले ज़माने में तो सभी लोग 20-25 लोगों को लेकर लड़की देखने ज़ाते थे…. इससे दबदबा भी अच्छा बनता था लड़की वालों पर…. ये तो अकेले ही चल दिये हमें भी शामिल नहीं किया…

लेकिन नरेश जी ने यहीं कहा … इतने लोगों की खातिरदारी कराना वो भी बिना इस बात की पुष्टि के कि उस घर में विवाह करेंगे भी कि नहीं लड़के का ,, ठीक नहीं…. पहले अगर हमें ठीक लगेगा सब तो पक्की के समय सभी चलियेगा …. उनके बड़े भाई साहब पास में ही रहते थे उन्हे साथ चलने का आग्रह किया था नरेश जी ने …. बेटा उमेश भी पिता की बात को मना ना कर पाया… दो दिन की छुट्टी लेकर आ गया….

रास्ते में भाई साहब घर के बाहर सड़क पर ही लाठी लिए खड़े मिले …. उन्हे देखते ही सभी ने गाड़ी से उतरकर उनके पैर छूये ….

सभी को खुले दिल से आशीर्वाद दिया भाई साहब रमेशजी ने .. उमेश ने गाड़ी का दरवाजा खोल ताऊ जी को बैठाया…. और उनकी लाठी को आगे रख दिया….

रास्ते में ताऊजी ने कहा मिठाई ली कि नहीं नरेश तूने….

वो तो मैं भूल गया भाई साहब ….

तुम लोग कुछ भी याद नहीं रखते .. ये ले समीर पैसे जा सामने ब्रजवासी की दुकान से दो किलो मिठाई ले आ… भले ही हम लड़की देखने जा रहे हैं पर कहीं जाओ तो मीठा तो लेकर जाना ही चाहिए….

ठीक हैं ताऊ जी मैं लाता हूँ…. समीर जल्दी से मिठाई लेकर आ गया…. .

बतायी गयी जगह पर पहुँच नरेशजी ने लड़की के पिता जी को फ़ोन किया….जी राम राम…. हम यहां चौराहे पर आ गए हैं …. अब बताईये कहां आना हैं… आप वहीं रुकिये मैं बस पांच मिनट में आया….

तभी सामने से एक बुजूर्ग आदमी यहीं कोई 25 साल के लड़के के साथ स्कूटी से आता दिखा…. नरेश जी की गाड़ी के सामने रुककर गाड़ी से उतर नरेशजी के पास आकर बोला…. पर तभी ये क्या हुआ??

शेष आगे……

स्वरचित

मौलिक अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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लड़के वाले भाग -2 – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

 

 

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